गोरखपुर (ब्यूरो)।इसके बावजूद भी अब तक इसे शुरू नहीं किया जा सका है। कार्यदायी संस्था सीएनडीएस ने अब तक ओटी को हैंडओवर तक नहीं किया है। जबकि इसके लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से तीन से चार बार पत्र लिखा जा चुका है।

नहीं मिल रहा है फायदा

इस मॉड्यूलर ओटी के निर्माण में अब तक 8 करोड़ से अधिक की रकम खर्च हो चुकी है, लेकिन इसका फायदा अब तक किसी को भी नहीं मिल सका है। महिला अस्पताल में इस ऑपरेशन थिएटर का निर्माण 2008 में नेशनल अर्बन हेल्थ मिशन के तहत हुआ था। सरकार के प्रपोजल को हरी झंडी मिलने के बाद करीब दो करोड़ रुपए से पहली बार यह ऑपरेशन थिएटर तैयार हुआ। यह ऑपरेशन थिएटर वर्ष 2012 में एनएचएम घोटाले की जांच की आंच में फंस गया। जांच कर रही सीबीआई ने इसे सील कर दिया। इसके कारण करीब चार साल तक ऑपरेशन थिएटर बंद रहा। वर्ष 2016 में इसकी सील खोली गई।

कार्यदायी संस्था ने किया था अधूरा निर्माण

एनएमएम के दौरान ओटी निर्माण में खेल हो गया था। सील खुलने के बाद अस्पताल प्रशासन को पता चला कि ऑपरेशन थिएटर में नाली, स्लैब, एग्सहॉस्ट के लिए खिड़की जैसे कई जरूरी निर्माण कार्य ही नहीं हुए थे। इन कमियों को दूर कराने में करीब सवा करोड़ खर्च हो गए। वर्ष 2016 में जैसे-तैसे साढ़े तीन करोड़ की लागत से ऑपरेशन थिएटर तैयार हुआ।

बिना संचालित हुए मॉड्यूलर में बदला

वर्ष 2016 में इसके संचालन की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके लिए ओटी को विसंक्रमित किया गया। तीन महीने तक चली इस प्रक्रिया के दौरान पांच बार ओटी में इंफेक्शन की जांच हुई। इसमें से चार बार जानलेवा बैक्टीरिया मिले। अक्टूबर 2016 में ओटी को संचालित करने के लिए ग्रीन सिग्नल मिल गया। संचालन से पूर्व ही शासन का फरमान आ गया कि इसे मॉडयूलर में तब्दील किया जाए। इसके लिए शासन ने चार करोड़ रुपए स्वीकृत भी कर दी। जिसके बाद से एक बार फिर यह ओटी निर्माण के नाम पर बंद कर दी गई। अब इसे मॉडयूलर ओटी के तौर पर बनाया जा रहा है। आठ करोड़ रुपए खर्च होने के बाद इसमें एक भी ऑपरेशन नहीं हुए।

कार्यदायी संस्था को ओटी हैंडओवर करने के लिए तीन बार पत्र लिखा कर रिमांडर भी किया गया है। लेकिन संस्था ने अभी तक ओटी को हैंडओवर नहीं किया है। ओटी हैंडओवर होते ही उसे विसंक्रमित कर ऑपरेशन शुरू कर दिया जाएगा।

- डॉ। एनके श्रीवास्तव, एसआईसी महिला अस्पताल