गोरखपुर (ब्यूरो) दरअसल, देवरिया जिले के लार निवासी श्रीबाला प्रसाद (75वर्ष) को न्यूरो की प्रॉब्लम थी। परिजन गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज पहुंचे। लेकिन दलाल के चक्कर में आकर वह एंबुलेंस के जरिए पैडलेगंज स्थित ईशु हॉस्पिटल पहुंच गए। जहां उन्हें एडमिट करवाया गया। इसी दौरान उनकी मौत हो गई। सीएमओ डॉ। आशुतोष दुबे ने बताया कि मौके पर जांच के दौरान पेशेंट की मौत हो चुकी थी। मरे हुए का आईसीयू में ट्रीटमेंट चल रहा था। लेकिन उसको जिंदा बताकर इलाज करते रहे, इस दौरान हॉस्पिटल वालों ने ट्रीटमेंट के लिए रुपए भी जमा कराया था। इस मामले में सख्ती से कार्रवाई करते हुए ईशु हास्पिटल को पूरी तरह से सीज करते हुए अपने कब्जे में ले लिया गया है।

बीआरडी में दलालों की सक्रियता

बता दें, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इन दिनों दलाल एक्टिव हैैं। एक्टिव दलाल पेशेंट्स के अटेंडेंट को अपने जाल में फंसा कर प्राइवेट हॉस्पिटल में पहुंचाने का काम कर रहे हैैं। यह अटेंडेंट कुशीनगर, महाराजगंज, देवरिया और बिहार के गोपालगंज और सिवान से आते अपने मरीज संग आते हैैं। लेकिन इन मरीजों को बेहतर इलाज का झांसा देकर यह दलाल बीआरडी मेडिकल कालेज से मरीजों को सिटी के प्राइवेट हास्पिटल में ले जाते हैैं और मरीजों के अटेंडेंट से मोटी रकम वसूलते हैैं। इतना ही नहीं एंबुलेंस चालक भी इस धंधे में लिप्त होते हैैंै। इनकी प्राइवेट हॉस्पिटल के संचालक से सेटिंग होती हैं। ये रात में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पहुंच कर इस ताक में रहते हैं कि कोई पेशेंट उनकी जाल में फंस जाए। सिर्फ इतना ही नहीं मेडिकल कॉलेज में भी कुछ ऐसे स्टाफ हैं जिनकी दलालों से सांठगांठ रहती हैं। यही नहीं देवरिया जिले की भटनी की रहने वाली सावित्री देवी (55वर्ष) को न्यूरो का प्रॉब्लम थी। परिजन उन्हें लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। इस दौरान परिजन दलाल के संपर्क में आ गए। दलाल ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में बेड नहीं खाली है। हमारा जानने वाला एक हॉस्पिटल है। जहां सस्ते में इलाज हो जाएगा। इसके बाद परिजन उसके साथ हो लिए। इसी तरह बिहार के गोपालगंज जिले के रामजी प्रसाद के साथ भी हुआ।

धीरे-धीरे कर बढ़ाते हैैं रकम

सूत्रों की माने तो एक्टिव दलाल पहले तो पेशेंट्स के साथ आए अटेंडेंट को सस्ता ट्रीटमेंट का झांसा देते हैं। इसके बाद जैसे ही पेशेंट्स प्राइवेट हॉस्पिटल में एडिमिट होता हैं। ये नार्मल पेशेंट्स को क्रिटिकल बताकर अटेंडेंट से भारी रकम वसूलने का खेल करते हैं। यह रकम धीरे-धीरे लाखों में पहुंच जाती है। पेशेंट्स की जान बचाने के लिए अटेंडेंट इलाज में खर्च होने वाले पैसें की जुगत में लग जाता है। वहीं सीएमओ की माने तो बिना रजिस्टर्ड प्राइवेट हास्पिटल संचालकों के खिलाफ ऑल रेडी जांच चल रही है। लेकिन ईशु प्राइवेट हास्पिटल के सील के बाद से सिटी व आसपास एरिया के जितने भी प्राइवेट हास्पिटल हैैं। उन सभी की जांच शुरु करा दी गई है। जितने भी हास्पिटल हैैं, उन सभी के एक्टिव दलालों पर नकेल कसा जाएगा।

फैक्ट फीगर

प्राइवेट हॉस्पिटल - 320

प्राइवेट नर्सिंग होम - 67

क्लीनिक - 254

हॉस्पिटल पर सीज की कार्रवाई - 33

इन इलाकों में है प्राइवेट हास्पिटल

- मेडिकल कालेज रोड

- राजेंद्रनगर

- फातिमा रोड

- बेतियाहाता

- तारामंडल

बीआरडी मेडिकल कालेज हो या फिर जितने भी सरकारी हास्पिटल हैैं। उन सभी जगहों पर एक्टिव दलालों पर नकेल कसने के लिए पुलिस और हेल्थ डिपार्टमेंट की संयुक्त टीम छापेमारी कर कार्रवाई करेगी। इसके लिए निर्देश जारी कर दिया गया है।

कृष्णा करुणेश, डीएम