गोरखपुर (ब्यूरो)। ऑनलाइन आवेदन अब 30 मई तक किए जाएंगे। यह जानकारी देते हुए यूनिवर्सिटी प्रवेश प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो। हर्ष कुमार सिन्हा ने बताया कि इंटरमीडिएट क्लासेज के आईसीएससी बोर्ड के रिजल्ट सोमवार को घोषित हुए हैं इसलिए बड़ी संख्या में विद्यार्थी आवेदन नहीं कर सके हैं। जबकि सीबीएसई बोर्ड का रिजल्ट आने वाला है। वीसी प्रो। पूनम टंडन ने अभ्यर्थियों के हित में अंतिम तिथि को 25 मई तक बढ़ाने के निर्देश दिए। संशोधित तिथि की सूचना यूनिवर्सिटी के प्रवेश पोर्टल पर दे दी गई है।

गोरखपुर विश्वविद्यालय अपने पीएचडी कार्यक्रम 2023-2024 के लिए प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ करने जा रहा है। प्रवेश परीक्षा के लिए 874 सीटें ऑफर की गई हैं। इन सीटों में यूनिवर्सिटी सुपरवाइजर के साथ 399 शामिल हैं। वहीं, यूनिवर्सिटी में 34 विषयों में 86 अंशकालिक सीटें उपलब्ध हैं।

नए पीएचडी अध्यादेश की खासियत

- जिन स्टूडेंट्स ने चार साल की यूजी डिग्री पूरी कर ली है, वे पीजी डिग्री की आवश्यकता के बिना पीएचडी प्रोग्राम में इनरॉलमेंट कर सकते हैं।

-जेआरएफ और नेट स्टूडेंट्स के लिए वेटेज जेआरएफ और नेट योग्य छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया के दौरान वेटेज मिलेगा।

-पर्यवेक्षकों को पीएचडी प्रोग्राम शुरू होने से पहले नियुक्त किया जाएगा।

-विदेशी स्टूडेंट को पीएचडी प्रवेश परीक्षा से छूट दी गई है और वे अतिरिक्त सीटों पर सीधे एडमिशन ले सकते हैं।

-यूजी टीचर सुपरवाइजर बन सकते हैं और संविदा टीचर असिस्टेंट सुपरवाइजर बन सकते हैं।

-महिला और दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष प्राविधान।

-थीसिस जमा करने से लेकर पुरस्कार तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और अधिकतम छह महीने के भीतर पूरी की जाएगी।

-वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए अंशकालिक पीएचडी का प्रावधान, अगर कोई स्टूडेंट पीएचडी के दौरान नौकरी ज्वाइन करता है तो उसे नियमित से अंशकालिक पीएचडी में बदलने का विकल्प होगा।

-स्टूडेंट की कार्य प्रगति की नियमित रूप से डॉक्टरेट शोध समिति (डीआरसी) द्वारा निगरानी की जाएगी।

-क्रेडिट पीएचडी कोर्स वर्क में शोध पद्धति और शोध नैतिकता पर अनिवार्य पेपर।

-पीएचडी थीसिस के पुरस्कार की तिथि पीएचडी मौखिक परीक्षा की तिथि होगी। पीएचडी में प्रवेश शोध प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होगा।

-यूनिवर्सिटी से जुड़े यूजी कालेजों के कॉलेज शिक्षकों को भी पीएचडी सुपरवाइजर के रूप में मान्यता दी जाएगी।

-शोध की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान, थीसिस जमा करने से पहले साहित्यिक चोरी जांच समिति से मंजूरी जरूरी होगी।

नया पीएचडी अध्यादेश पीएचडी के सभी वर्गों के छात्रों को बेहतर विकल्प प्रदान करेगा और शोध उत्कृष्टता को बढ़ावा देगा।

प्रो। पूनम टंडन, वीसी