गोरखपुर (ब्यूरो)।झंगहा के मोतीराम अड्डा निवासी वीरेंद्र चौधरी यूनिवर्सिटी में जूनियर वर्कशाप मैनेजर के पद पर काम करते थे। वे परिवार समेत परिसर के सरकारी आवास में रहते थे। बीते 3 फरवरी साल 2021 को वीरेंद्र ने खोराबार के बहरामपुर के पास ट्रेन से कटकर खुदकुशी कर ली थी। उसी समय अन्य कर्मचारियों और वीरेंद्र के परिजनों यूनिवर्सिटी के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया था। जिसके बाद 21 सितंबर 2021 को वीरेंद्र की पत्नी मैनावती ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर केस दर्ज करने की गुहार लगाई थी।


पत्नी का है यह आरोप
कोर्ट को दिए प्रार्थना पत्र और एफआईआर में दर्ज तहरीर में मैनावती ने बताया है, उनके पति वीरेंद्र को 14 मार्च 2018 को परिसर के उद्धान और पेड़ आदि के रखरखाव की जिम्मेदारी दी गई थी। साल 2020 में उनके पति को परिसर के 465 पेड़ों को काटने और उनके नीलामी का काम सौंपा गया। जिसमें उनकी मदद चौकीदार और माली ने भी की। नीलामी का पैसा जिम्मेदार अधिकारी के पास जमा कर दिया गया और एक एक पेड़ की सूची भी दे दी गई। आरोप है कि एमएमयूटी के तत्कालीन रजिस्ट्रार और वर्तमान में वहीं पर कार्यरत डॉ। जिउत सिंह, प्रोफेसर हरिशचंद्र और लेखा विभाग के मनोज बालनी ने पति विरेंद्र को बुलाकर गबन का आरोप लगाया और जांच की बात कही। साथ ही कहा कि जांच से बचना है तो घुस बालनी के पास दे दो।
शिकायत का नहीं हुआ असर
मैनावती ने बताया, उनके पति ने इसकी शिकायत अधिकारियों से की लेकिन कुछ नहीं हुआ। बाद में उनके पति 25 जनवरी 2021 को चिकित्सीय अवकाश पर चले गए। अवकाश खत्म होने के बाद जब वह ड्यूटी आए तो भी उक्त लोग उनपर दबाव बनाने लगे। जिससे वीरेंद्र मानसिक रूप से प्रताडि़त हुए और ट्रेन के आगे जाकर खुदकुशी कर ली। इस संबंध में इंस्पेक्टर खोराबार कल्यान सिंह सागर ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज कर विवेचना की जा रही है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी