गोरखपुर (ब्यूरो)। केंद्रीय स्कीम का लाभ लेकर यहां की महिलाएं ड्रोन पायलट बन रही हैं और नारी सशक्तीकरण को नया आयाम देने के साथ स्वाबलंबन के स्वप्न को ऊंची उड़ान देने को तैयार हैं। गोरखपुर एम्स के सपोर्ट से वे दुरस्थ स्थानों पर ड्रोन से दवाएं पहुंचाएंगी तो एचयूआरएल के जरिए 9 महिलाएं खाद पहुंचाएंगी।

दिल्ली में हुई ट्रेनिंग

दिल्ली से ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग लेकर गोरखपुर पहुंचीं सरदारनगर की नीलम और डुमरी खास की कुसुम लता ने कहा, इस स्कीम से जुड़ कर हम सभी को काफी अच्छा लग रहा है। दिल्ली में 10 दिन की ड्रोन ट्रेनिंग दी गई, जिसमें ट्रेनर्स की ओर से ड्रोन के बारे में जानकारी दी गई। ड्रोन को कैसे उड़ाया जाए और कैसे उतारा जाए। इस बारे में बताया गया। साथ ही लिखित परीक्षा भी हुई, जिसे पासआउट करने के बाद प्रमाण पत्र दिया गया। ये ड्रोन से जीवनरक्षक दवा पहुंचाएंगी।

ग्रेजुएट और इंटर शिक्षा

ड्रोन दीदी नीलम यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई करने के बाद स्वयं सहायता समूह से जुड़ गईं। वह कहती हैं कि पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल होना सौभाग्य की बात है। इस पहल से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी। साथ ही रोजगार के अवसर मिलेंगे। वहीं, कुसुम लता का कहना है कि साइंस से इंटर की पढ़ाई की। शादी होने के बाद वह स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। योग्यता के आधार पर ड्रोन पायलट के रूम में चयन हुआ। इनका वेतन तकरीबन 15 हजार रुपए होगा।

250 किमी। में भेजेंगे दवा

ड्रोन के माध्यम से 200-250 किलोमीटर के दायरे में दवाएं पहुंचाई जाएंगी। साथ ही टेलीमेडिसिन के माध्यम से इलाज और दवाओं के इस्तेमाल से जुड़ी जानकारी भी दी जाएगी। इस व्यवस्था से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को जोड़ा जाएगा।

9 'शक्तिÓ पहुंचाएगी खाद

हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड ने उत्तर प्रदेश और बिहार के विभिन्न जिलों की स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को ड्रोन प्रशिक्षण दिया है। महिलाओं को मुफ्त ड्रोन प्रशिक्षण और कृषि कार्यों में उपयोग के लिए मुफ्त ड्रोन प्रदान किए जाएंगे। इस योजना के तहत एचयूआरएल कंपनी ने गोरखपुर मंडल की 9 महिलाओं को प्रशिक्षण देने का समर्थन किया है। ये महिलाएं समस्तीपुर में ड्रोन प्रशिक्षण सुविधा में 10 दिनों की ट्रेनिंग ले रही हैं। 10 दिन की ट्रेनिंग के बाद इन महिलाओं को ड्रोन पायलट का सर्टिफिकेट मिलेगा और सरकार से करीब 10 लाख रुपये का ड्रोन मुफ्त मिलेगा। इनमें गोरखपुर जिले से विभा शर्मा, ममता सिंह, पूनम गुप्ता, बबिता पासवान और रीमा सिंह, देवरिया से सीमा गुप्ता एवं संगीता विश्वकर्मा, महराजगंज से कुन्ती देवी एवं सिरमती हैं।

ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग करना मेरे लिए काफी रोमांचक अनुभव रहा। ड्रोन के जरिए जरूरतमंदों को दवा पहुंचाना और उन्हें जीवन देना प्राथमिकता है। अब अपने क्षेत्र के गांवो में ड्रोन पायलट के रूप में कार्य करने के लिए तैयार हूं।

नीलम वर्मा, ड्रोन पायलट

दूरदराज गांवों में रहने वाले लोग यदि गंभीर रूप से बीमार होते हैं तो उन्हें तत्काल दवाएं नहीं मिल पाती हैं और उन्हें समय से अस्पताल पहुंचने में कठिनाई होती है। यह काम अब ड्रोन से आसान हो जाएगा। साथ ही लोगों तक ड्रोन के माध्यम से दवाएं भी पहुंच सकेंगी।

कुसुम लता, ड्रोन पायलट

खेतों में कैसे खाद का छिड़काव किया जाएगा और ड्रोन की मदद से आटो मोड में कैसे सेट कर दिया ताकि वह खेतों में छिड़काव कर दे। इस बात की ट्रेनिंग दी गई। काफी अच्छा लगा। दो जनवरी से 11 जनवरी तक ट्रेनिंग हुई। 10 लीटर टंकी में लिक्विड डालकर खेतों में छिड़काव करना आसान होगा।

रिमा सिंह, ड्रोन दीदी

पहले खेत की मैपिंग कर लेंगे। उसके बाद ड्रोन की मदद से टेक ऑफ व लैैंडिंग करेंगे। इसके बाद खेत की मैपिंग कर उसमें लिक्विड भरकर खाद का छिड़काव करेंगे। काफी अच्छा लगा। समस्तीपुर में हमारी ट्रेनिंग पूरी हो गई है। रिमोट से भी ड्रोन को उड़ा सकते हैं और आटो मोड में सेटिंग करने से भी वह खुद ही छिड़काव कर लैैंडिंग कर लेगा।

ममता सिंह, ड्रोन दीदी