गोरखपुर: गीताप्रेस पत्रिका कल्याण का वार्षिक प्रकाशन करता है। 2025 के लिए छपने वाली यह पुस्तक इस बार पर्यावरण विशेषांक होगी। विगत वर्ष गीताप्रेस ने वार्षिक कल्याण विशेषांक की लगभग 1.60 लाख प्रतियां प्रकाशित कीं थी। इस बार पर्यावरण विशेषांक के कारण इसे लगभग दो लाख से अधिक प्रकाशित करने की तैयारी है। ताकि प्रत्येक पाठक के पास इसे पहुंचाया जा सके और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा सके।
क्या है कल्याण
कल्याण गीताप्रेस से प्रकाशित होने वाली मासिक धार्मिक पत्रिका है। इसके प्रकाशन की शुरुआत 1926 में हुई थी। पहला अंक मुंबई से प्रकाशित हुआ था जो साधारण था। इस वर्ष 12 अंक वहीं से प्रकाशित हुए। दूसरे वर्ष 1927 में कल्याण का प्रथम विशेषांक भगवन्नामांक गोरखपुर से प्रकाशित हुआ। तभी लेकर आज तक प्रति वर्ष विशेषांक ही प्रकाशित हो रहे हैं। इस वर्ष पर्यावरण अंक प्रकाशित होगा जो 99वां है।
गांधी जी के आग्रह पर आज भी कल्याण में नहीं छपते विज्ञापन
'कल्याणÓ के आदि संपादक भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार व गांधीजी के बीच प्रेमपूर्ण संबंध थे। 'कल्याणÓ का पहला अंक 1926 में प्रकाशित हुआ था, इसमें गांधी जी का लेख भी छपा था। भाईजी यह अंक गांधी जी को भेंट करने गए थे। उन्होंने न सिर्फ कल्याण की प्रशंसा की, बल्कि यह आग्रह भी किया था कि कल्याण या गीताप्रेस से प्रकाशित होने वाली किसी पुस्तक में बाहरी विज्ञापन न प्रकाशित किया जाए, इससे कल्याण व पुस्तकों की शुचिता बनी रहेगी। इसका पालन आज भी गीताप्रेस करता है। कल्याण के विभिन्न अंकों में गांधी जी के लेख छपते रहे। आज भी गांधी जी द्वारा लिखा गया पत्र गीताप्रेस में सुरक्षित रखा गया है।
गीता प्रेस से प्रकाशित कल्याण पत्रिका का विशेषांक हर साल प्रकाशित होता है। इस सााल लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से पर्यावरण विशेषांक छापने की तैयारी है। संपादन के बाद इसके छापने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
डॉ। लालमणि तिवारी, प्रबंधक गीता प्रेस