गोरखपुर (ब्यूरो)। यह खतरे का संकेत है। भूगर्भ जल विभाग गोरखपुर की रिपोर्ट के हिसाब से गोरखपुर का वॉटर लेवल हर साल 10 से 20 सेमी नीचे जा रहा है। हालांकि, शहर से राप्ती नदी के सटी होने के कारण अभी गोरखपुर सेफ जोन में है। मगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में गोरखपुर भी सेमीक्रिटिकल जोन में आ जाएगा।

बॉयो डायवर्सिटी में भिन्नता

हर साल गोरखपुर ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की स्थिति भी ग्राउंड वॉटर लेवल के मामले में खराब हो रही है। इसकी वजह बॉयो डायवर्सिटी में भिन्नता आने की वजह से मानसून का समय पर ना आना है। इस कारण बारिश होने की टाइमिंग इधर-उधर हो जा रही है और मिट्टी को पानी सोखने का समय नहीं मिल पा रहा। इस कारण ग्राउंड वॉटर का लेवल कम हो रहा है। इस वजह से गोरखपुर सूखे की तरफ बढ़ रहा है।

इन जगहों पर मेजरमेंट

ग्राउंड वॉटर डिपार्टमेंट के एक्सईएन विश्वजीत सिंह ने बताया, गोरखपुर के 20 ब्लॉक में पीजो मीटर लगा है, जो वॉटर लेवल बताता है। हाल ही में तारामंडल और बडग़ो में वॉटर लेवल नापा गया था, जिसमें 4-5 मीटर तक का ग्राउंड वॉटर लेवल है। वहीं, गोरखपुर का एवरेज ग्राउंड वॉटर लेवल 5 मीटर है। इसके अलावा महराजगंज, देवरिया और कुशीनगर में भी ग्राउंड वॉटर लेवल मेजरमेंट हुआ। इन जिलों का एवरेज वॉटर लेवल 3 से 4 मीटर है। जो अच्छे स्टेज पर है।

हांसूपुर की स्थिति वीक

एक्सईएन विश्वजीत सिंह ने बताया, गोरखपुर में रामगढ़ताल और राप्ती नदी होने की वजह से ऐसा कोई प्लेस नहीं जो ड्राई जोन में आता हो। वहीं, तीन से चार साल से बारिश भी अच्छी हो रही है। गोरखपुर ब्लॉक के हांसूपुर एरिया का स्थिति गंभीर है। क्योंकि यहां बाकी जगहों के हिसाब से ग्राउंड वॉटर लेवल कम देखा गया है।

यूपी का ग्राउंड वॉटर लेवल

प्रदेश के कई एरिया गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं। ग्राउंड वॉटर रिसोर्सेज के न्यूएस्ट एनलिसिस 2022 के हिसाब से प्रदेश में 54 विकासखंड ओवर क्रिटिकल, 46 विकासखंड क्रिटिकल और 169 विकासखंड सेमीक्रिटिकल कैटेगरी में हैं। साल 2000 में प्रदेश में ओवर क्रिटिकल या क्रिटिकल विकास खंडों की संख्या केवल 20 थी। जो पांच गुना बढ़कर इस वक्त 100 तक पहुंच गई है। वहीं, ग्राउंड वॉटर की अवेलबिलिटी के हिसाब से सेफ विकासखंडों की संख्या साल 2000 में 745 थी। जो 2022 के एनलिसिस के हिसाब से घटकर 557 रह गई है।

साउंडर से होती चेक

साउंडर नामक डिवाइस या इक्विपमेंट से ग्राउंड वॉटर लेवल मेजरमेंट किया जाता है। इस डिवाइस में एक सेंसर लगा होता है, जो वॉटर को टच करने पर आवाज करता है। उस डिवाइस में वॉटर लेवल का मीटर शो कर देता है।

चला रहे अवेयरनेस कैंपेन

ग्राउंड वॉटर डिपार्टमेंट के ऑफिसर दिनेश शर्मा ने बताया, कंपोजिट विद्यालय सिक्टौर, सेंट जेवियर्स, गायत्री इंटर कॉलेज, सेंट एंड्रयुज इंटर कॉलेज, जुबली इंटर कॉलेज, और प्राइमरी स्कूल्स में पोस्ट मानसून अवेयरनेस कैंपेन चलाकर लोगों को पानी बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

ऐसे बचाएं ग्राउंड वॉटर

- घर में पानी वेस्ट न करें।

- रेन वाटर हार्वेस्टिंग करें।

- पानी बचाने के लिए लोगों को अवेयर करें।

- वेस्ट वाटर का प्यूरिफिकेशन करें।

- अधिक से अधिक पेड़ लगाएं।

- पानी को दूषित होने से बचाएं।

एक नजर में ग्राउंड वॉटर लेवल (मीटर में)

नौसढ़ मंडी परिषद हांसूपुर स्पोट्र्स कॉपलेक्स बडग़ो

साल प्री-मानसून पोस्ट-मानसून प्री-मानसून पोस्ट-मानसून प्री-मानसून पोस्ट-मानसून प्री-मानसून पोस्ट-मानसून प्री-मानसून पोस्ट-मानसून

2021 5.95 1.85 ६.४५ २.४५ ८.९५ ७.०५ ३.९५ १.१० ५.८५ १.१५

2022 6.00 1.65 ६.८५ ३.२५ ९.०५ ५.९५ ४.७० १.८४ ५.७० १.४५

2023 6.05 3.35 ७.१५ ५.९० ९.५५ ८.६५ ६.८० १.९० ५.९५ ३.४०

गोरखपुर और आसपास के जिलों में हर साल प्री एंड पोस्ट मानसून ग्राउंड वॉटर लेवल मेजरमेंट होता हैए जिसमें अभी तक तो शहर सेफ जोन में हïै। जल संरक्षण के लिए अवेयरनेस कैंपेन चलाया जाता है, जिससे फ्यूचर में कोई समस्या ना हो।

विश्वजीत सिंह, एक्सईएन ग्राउंड वॉटर डिपार्टमेंट