गोरखपुर (ब्यूरो)। कई लोग कमरे को गर्म रखने के लिए पूरा दिन हीटर चलाते हैं। रूम हीटर कमरे को गर्म रखता है, लेकिन यह नुकसानदायक भी है। अत: गोरखपुराइट्स को सतर्क रहने की जरूरत है। एक्सपर्ट की मानें तो बंद कमरे में अंगीठी, रूम हीटर या ब्लोअर के प्रयोग से कार्बन मोनोआक्साइड गैस बन जाती है। कमरे में इस गैस की अधिकता होने से यह जानलेवा भी हो सकती है। जब भी कमरे में अंगीठी या हीटर जलाएं, खिड़की या दरवाजा थोड़ा खुला रखें, नहीं तो हाइपोक्सिया डिजीज होने से मौत तक हो सकती है।

हीटर में मेटल रॉड और सिरेमिक कोर

इलेक्ट्रिक कारोबारियों की मानें तो रूम हीटर के अंदर मेटल रॉड और सिरेमिक कोर लगा होता है। इलेक्ट्रिसिटी मिलते ही गर्म होने के बाद इसमें लगा रॉड हीट जेनरेट करता है, जिससे कमरे का टेम्प्रेचर बढऩे लगता है। कमरे में मौजूद लोगों को गर्मी का एहसास होने लगता है। इससे कमरे की नमी कम हो जाती है। साथ ही कमरे का ऑक्सीजन लेवल भी कम हो जाता है।

घटती ऑक्सीजन, बढ़ती कार्बन मोनोऑक्साइड

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ। गणेश यादव ने बताया, कार्बन मोनोऑक्साइड केरोसिन, कोयला और लकड़ी के ठीक से न जलने पर ज्यादा मात्रा में निकलती है। जो ऑक्सीजन को बंद कमरे से रिप्लेस कर देती है। इससे कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ जाती है। यह गैस फिर सांस के माध्यम से व्यक्ति के फेफड़े में पहुंच कर नुकसान पहुंचाती है। मनुष्य के ब्लड में मौजूद आरबीसी, ऑक्सीजन की जगह कार्बन मोनोऑक्साइड गैस से ज्यादा जल्दी जुड़ जाती है। इसलिए धीरे-धीरे व्यक्ति के खून में आक्सीजन की जगह कार्बन मोनोऑक्साइड पहुंचने लगती है। इससे मस्तिष्क में धीरे-धीरे आक्सीजन कम हो जाती है। मस्तिष्क में आक्सीजन के इसी कमी के कारण व्यक्ति नींद के दौरान बेहोश हो जाता है। इस स्थिति में कभी कभी व्यक्ति सांस नहीं ले पाता इसी स्थिति को हाइपोक्सिया कहते हैं। इस स्थिति में दम घुटने से उसकी मौत हो सकती है।

साइलेंट किलर है हाइपोक्सिया

चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। वीएन अग्रवाल ने बताया कि हाइपोक्सिया से गर्भवती, नवजात व बुजुर्गों को खतरा ज्यादा रहता है। कोरोना पेंडमिक की दूसरी लहर से संक्रमित हुए लोग व जो व्यक्ति फेफड़े व सांस संबंधी किसी बीमारी से गुजर रहे हैं व जिन्हें ब्लडप्रेशर व एनीमिया की समस्या है उनके लिए बंद कमरे में अलाव का प्रयोग ज्यादा खतरनाक है। बुजुर्गों, बच्चों व गर्भवती की प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। इन लोगों के लिए भी बंद कमरे में अलाव का प्रयोग खतरे की घंटी है।

लगातार हीटर के सामने न बैठें, होतीं ये प्रॉब्लम

स्किन प्रॉब्लम

ऑक्सीजन की कमी

सांस लेने में परेशानी

दम घुटना

सिर दर्द

आंखों को नुकसान

हड्डियां कमजोर

बच्चों और जानवरों के जलने का खतरा

ये सावधानी बरतें

- मुंह ढक कर ना सोएं, कमरें में वेंटिलेशन का ध्यान रखें।

- कमरे में एक बाल्टी पानी खुला जरूर रखें।

- कमरा गर्म होने के बाद अंगीठी बुझाकर सोएं।

- सांस के मरीज कमरे में अलाव ना जलाएं।

- नवजात के कमरे में अलाव बिलकुल ना जलाएं।