गोरखपुर (ब्यूरो)। झूले, बांसुरी और गुब्बारे के साथ खजला की खूब डिमांड है। यहीं नहीं, ज्वेलरी व सौंदर्य प्रसाधन की दुकानें भी महिलाओं को काफी आकर्षित कर रही है।

झूलों की ढेरों वेरायटी मौजूद

मेला प्रबंधक शिवशंकर उपाध्याय ने बताया कि मेले का लुत्फ लेने के लिए बच्चे, बुजुर्ग और जवान सभी वर्ग के लोग आ रहे हैैं। मेले में झूलों को ढेरों वेरायटी मौजूद है, जहां पहुंचकर छोटे से लेकर बड़े तक सभी लुत्फ उठा रहे हैं। टिकटिक घोड़ा हो या म्यूजिकल डांस झूला, डबल डेकर झूले, ब्रेकडांस, ड्रेगन, रेंजर, ज्वाइंट व्हील, स्लंबो, टोराटोरा, बड़ी नाव जैसे ढेरों झूले लोगों को अपनी ओर अट्रैक्ट कर रहे हैं। मौत के कुआं भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। महिलाएं मेले में घरेलू सामान और श्रृंगार के सामानों की खरीदारी कर रही हैं। वहीं लोग लजीज व्यंजनों का भी लोग जमकर जायका ले रहे हैं। इस बार हरियाणा के डबल डेकर झूले, लखनऊ का टिकटिक घोड़ा झूला बच्चों को भरपूर मनोरंजन करा रहा है।

खजला की है अलग पहचान

गोरखनाथ मंदिर में लगने वाले खिचड़ी मेला में सबसे अधिक मांग खजला की रहती है। बुलंदशहर का ये खास व्यंजन खिचड़ी मेले में ही बिकता है। खिचड़ी मेले में करीब 50 वर्षो से खजला की दुकान लगाने वाले दिल्ली के राकेश ने बताया कि उनकी तीसरी पीढ़ी मेले में खजला की दुकान लगाने आ रही है। उन्होंने बताया कि जब शुरुआत के दिनों में खजला पांच से छह रुपए किलो बिकता था, अब वही खजला 400 रुपए किलो बिक रहा है। उन्होंने बताया कि खजला तीन तरह के होते हैं, इसमें मीठा, नमकीन और खोया वाले खजला लोगों को खूब पसंद आते है।

35 वर्षों से लगता है फोटो स्टूडियो

वहीं खिचड़ी मेले को यादगार बनाने के लिए ज्यादातर लोग अपने मोबाइल में तस्वीरों को कैद करते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन एक समय था कि मेले में लगने वाले फोटो स्टूडियो पर फोटो खिंचवाने के लिए लोगों की लंबी कतार लगती थी। मेले में स्टूडियो लेकर पहुंचे कानपुर के नसीम ने बताया कि मेले में 35 वर्र्षो से हम लोग स्टूडियो लेकर आ रहे हैं, लेकिन अब पहले की तुलना में 20 फीसदी लोग ही स्टूडियो में फोटो खिंचवाने आते हैं। इससे खर्चा भी मुश्किल से निकल पाता है।

महिलाएं को खूब भाता है खिचड़ी मेला

गोरखनाथ मंदिर में सबसे अधिक भीड़ महिलाओं की होती है, इसका कारण मेले में लगने वाले घरेलू और श्रृंगार के सामान की दुकानें हैं। मेले में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही दिल्ली के उत्पाद सस्ते दामों पर मिल जाते हैं। श्रृंगार का दुकान लगाने वाले लखीमपुर खीरी के मोहसिन ने बताया कि खिचड़ी मेले में वह 10 वर्षों से दुकान लगा रहे हैं। ज्यादातर सामान वह दिल्ली से मंगवाते हैं। बताया खिचड़ी मेले में वह डेढ़ महीने के लिए आते हैं। श्रृंगार के सामानों में महिलाएं का अच्छा रूझान रहता है।

सोशल मीडिया पर छाया नाथो के नाथ बाबा गोरखनाथ

गोरखनाथ मंदिर की खूबसूरती जहां आज की युवा पीढ़ी को खूब आकर्षित कर रही है। वहीं सोशल मीडिया पर नाथो के नाथ बाबा गोरखनाथ की धुन भी हर किसी के मोबाइल में सुनाई दे रही है। भोजपुरी लोकगायक सूरज मिश्रा व्यास के इस गीत को लोग खूब पसंद कर रहे हैैं। श्रद्धालु इस गीत को अपने मोबाइल में रील बनाने के साथ-साथ इसके साथ अपनी तस्वीर भी साझा कर रहे हैैं। इसके गीतकार डॉ। शशिकांत तिवारी हैैं, जबकि अंजनी सिंह ने वीडियो निर्देशक की भूमिका अदा किए हैैं।