गोरखपुर (ब्यूरो)। जी हां 90 के दशक में प्रदेश को दहला देने वाला श्रीप्रकाश शुक्ला कुछ इस तरह क्राइम करता था। बुरे कर्म का नतीजा भी बुरा होता है और महज 25 वर्ष की उम्र में श्रीप्रकाश पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया। बड़हलगंज का मामखोर गांव जहां श्रीप्रकाश के जन्म की शोर-शराबे के बीच खुशियां मनाई गई। उस घर के गेट पर अब ताला और बाहर सन्नाटा पसरा रहता है। आस-पास के लोग बताते हैं कि श्रीप्रकाश का साथी माफिया राजन तिवारी आज भी मामखोर जाता है, गांव में इंट्री करने से पहले बाहर सिवान में पूजा करता है।

पुलिस के टारगेट पर है श्रीप्रकाश का साथी

श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ कई अपराध में जिले के दक्षिणी एरिया के सोहगौरा निवासी राजन तिवारी का भी नाम चर्चा में आया है। बताया जाता है कि बिहार में साल 1998 में एक मंत्री की श्रीप्रकाश शुक्ला ने दिन दहाड़े हत्या की थी। सूत्रों की मानें तो इस हत्या में उसके साथ राजन तिवारी का भी नाम आया था। राजन तिवारी गोरखपुर के टॉप माफिया की लिस्ट में भी शामिल है। श्रीप्रकाश के मरने के बाद से ही राजन पुलिस के टारगेट पर रहा है। आज भी राजन श्रीप्रकाश के गांव मामखोर में शादी और अन्य फंग्शन में पहुंचता है।

मामखोर का पहलवान बना यूपी का शॉर्प शूटर

श्रीप्रकाश के गांव के लोग बताते हैं कि वह गांव के एक मंदिर के पास दंगल में पहलवानी करता था। उसके सामने किसी भी मनबढ़ की बात करो तो, वह उसे अगले ही दिन मार पीट कर घायल कर देता था।

रंगबाजी में की पहली हत्या

मामखोर के लोग बताते हैं कि श्रीप्रकाश के घर पर हमेशा ताला लटका रहता है। उसके चार भाई थे। जिसमे श्रीप्रकाश सबसे छोटा था। वर्तमान समय में श्रीप्रकाश के केवल दो भाई हैं। एक भाई की मौत हो चुकी है। एक भाई मध्य प्रदेश तो सेकेंड नंबर के गिरिश शुक्ला दाउदपुर स्थित घर पर रहते हैं। दाउदपुर में भी श्रीप्रकाश का घर था। यहां उसकी रंगबाजी और बढ़ गई। उस समय देवरिया निवासी राकेश तिवारी रायगंज में किराए का कमरा लेकर रहता था। अच्छे मनबढ़ के रूप में राकेश दाउदपुर और बेतियाहाता में जाना जाता था। श्रीप्रकाश शुक्ला ने आगे निकलने के लिए साल 1993 में बेतियाहाता काली मंदिर से दाउदपुर की तरफ जाने वाली सकरी रोड पर राकेश तिवारी की हत्या की थी। यह श्रीप्रकाश की शुक्ला के जीवन की पहली हत्या थी, यहीं से उसने जरायम की दुनिया में कदम रखा और फिर कभी ना रूका।

22 सितंबर को मारा गया श्रीप्रकाश

ये बता दें कि एके 47 से अपराध करने वाला पहला और आखिरी क्रीमिनल भी श्रीप्रकाश शुक्ला है। वह एके 47 से हत्या करता था। इसलिए पुलिस भी उसके करीब जाने से डरती थी। 22 सितंबर साल 1998 को गाजियाबाद में पुलिस मुठभेड़ में श्रीप्रकाश शुक्ला मारा गया था।

श्रीप्रकाश को चर्चा में लाने वाली कुछ घटनाएं

1993: गोरखपुर में राजेश तिवारी की हत्या

1997: लखनऊ में वीरेंद्र शाही की हत्या

1998: बिहार में मंत्री की हत्या

1998: तत्कालिन मुख्यमंत्री की हत्या की सुपारी

श्रीप्रकाश शुक्ला का जन्म - 1973

श्रीप्रकाश की मौत - 22 सितंबर 1998

श्रीप्रकाश शुक्ला के पिता एयरफोर्स में काम करते थे

जब गोरखपुर समेत प्रदेश भर में श्रीप्रकाश शुक्ला ने दहशत मचाई थी। उस समय मैं बनारस में पोस्टेड था। कई बार श्रीप्रकाश की सूचना पर हम लोग भी एक्टिव हुए हैं। लेकिन कभी श्रीप्रकाश मिला नहीं। श्रीप्रकाश आतंक प्रर्याय बन चुका था। इसलिए एसटीएफ का उसी समय गठन हुआ था।

शिव पूजन यादव, रिटायर्ड सीओ