गोरखपुर: आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक पर आधारित स्लीप अलर्ट डिवाइस ड्राइवर सीट के ठीक सामने लगाई गई है। डिवाइस में सीसी कैमरे लगे है। जो ड्राइवर के शरीर, चेहरे और आंखों की गतिविधियों को रीड करेगा।
बीप की आवाज
ड्राइवर को झपकी आते ही स्लीप अलर्ट डिवाइस से बीप की आवाज आने लगेगी। बीप की आवाज पर भी अगर ड्राइवर की नींद नहीं टूटी तो सायरन बजने लगेगा। इसकी आवाज कंडक्टर और पैसेंजर्स तक पहुंचेगी। सायरन बजते ही ड्राइवर जाग जाएगा। इसके बाद भी ड्राइवर नहीं जागा तो कंडक्टर और यात्री ड्राइवर को जगा देंगे।
भोर में आती नींद
हाईवे पर अक्सर रात में खाना खाने के बाद या रात दो बजे से सुबह 6 बजे के बीच ड्राइवर्स को नींद आने की संभावना बढ़ जाती है। ड्राइवर झपकी लेने लगते हैं। ड्राइवर बस चलाते समय सो जाते हैं, न कंडक्टर जान पाता है और न पैसेंजर कुछ समझ पाते हैं और देखते ही देखते हादसा हो जाता है।
बसों की लोकेशन
पैसेंजर अब अपने मोबाइल फोन के माध्यम से भी बसों की लोकेशन देख सकते हैं। इसके लिए उन्हें पूछताछ सेंटर पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह सुविधा देने के लिए रोडवेज प्रशासन ने ट्रैक योर बस नाम से मोबाइल एप लांच किया है।
मिलेगी सटीक जानकारी
रोडवेज बसों के लाइव लोकेशन लेने के लिए भी जीपीएस आधारित व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम वीटीएस लगाए जा रहे हैं। यह सिस्टम लग जाने से ड्राइवर्स और कंडक्टर्स की मनमानी नहीं चलेगी। वे निर्धारित समय और रूट पर ही संचालित होंगी। रोडवेज की बस कहां चल रही है, ऑफिस में बैठे अफसर लाइव देखते रहेंगे।
230 बसों में लगी
रोडवेज की 230 बसों में पैनिक बटन लग गई है। नई बसों में ये पहले से ही लगकर आ रही है। पैनिक बटन सीधे हेल्पलाइन नंबर 112 से जुड़ी है। पैसेंजर आपात स्थिति में बटन दबा सकते हैं। बटन दबते ही सूचना पुलिस तक पहुंच जाएगी। मौके पर सुरक्षा बल पहुंच जाएंगे। इस व्यवस्था के संचालन के लिए क्षेत्रीय कार्यालय में कंट्रोल रूम बना दिया गया है।
लखनऊ-दिल्ली रूट पर चलने वाली 100 बसों में स्लीप अलर्ट डिवाइस लगाया जा चुका है। व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम भी लग रहे हैंं। इससे हादसे पर अंकुश लगने के साथ पैसेंजर्स की सुरक्षा बढ़ेगी।
लव कुमार सिंह, आरएम गोरखपुर