गोरखपुर (ब्यूरो)। अब लेप्रोस्कोपिक तकनीक से ऑपरेशन की सभी सुविधाएं गोरखपुर में ही एम्स में उपलब्ध हैं।

काफी पैसे खर्च होते थे

शहर में सेरोपोसिटिव पेशेंट्स के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण पेशेंट्स को एसजीपीजीआई और केजीएमयू लखनऊ की दौड़ लगनी पड़ती थी। जिसके चलते इलाज में उनका काफी पैसा खर्च होता था। आमतौर पर गोरखपुर के निजी हॉस्पिटल्स में इस तरह के पेशेंट़़स के लिए ओपन सर्जरी फिलहाल की जाती है। इस तरह के ऑपरेशन को लेकर मरीजों में डर भी बना रहता था। वहीं, दूरबीन वाला ऑपरेशन चीरे वाले ऑपरेशन से काफी बेहतर होता है, ये बात कई रिसर्च से साबित भी हो चुकी है।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी से बेहतर

एम्स विशेषज्ञों के अनुसार, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी पेशेंट के लिए बेहतर होती है। हर अस्पताल में प्लाज्मा स्टेरिलाइजर तथा अन्य उपकरणों के न होने की वजह से सीरोपॉजिटिव पेशेंट्स को मजबूरी में चीरे वाला ही ऑपरेशन कराना पड़ता है। एम्स गोरखपुर में ऐसे पेशेंट्स के लिए पूरी सुविधा है, जिसका लाभ अब पेशेंट्स को मिलना शुरू हो गया है। गौरतलब है कि इस तरह की सर्जरी अब पूरी दुनिया में अपनाई जा रही है।

मरीज पूरी तरह स्वस्थ है

बताते चलें कि एम्स में एक 30 वर्षीय महिला की लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी सर्जरी की गई, जो हेपेटाइटिस बी से पीडि़त थी। हालांकि यह जटिल ऑपरेशन था लेकिन इसे आसान करते हुए डॉक्टर्स की टीम को लेप्रोस्कोपिक विधि से सफल ऑपरेशन किया। जिसमें उन्हें सफलता मिली है। सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।

ये लोग रहे टीम में शामिल

एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ। जीके पाल के मार्गदर्शन में सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ। गौरव गुप्ता के सहयोग से सर्जिकल टीम ने दूरबीन विधि से सफल ऑपरेशन किया। टीम में एसोसिएट प्रो। डॉ। मुकुल सिंह, सीनियर रेजिडेंट डॉ। राजकुमार, एकेडमिक जेआर डॉ। ऐश्वर्या, एनेस्थीसिया टीम में डॉ। प्रियंका द्विवेदी, डॉ। अंकिता सांखला, डॉ। अभिषेक आदि मौजूद रहे।