गोरखपुर (ब्यूरो)। यह अनफिट ई-रिक्शा सड़कों पर खुलेआम सवारी ढो रहे हैं और ट्रिप पर ट्रिप लगा रहे हैं।

दो साल में करानी है फिटनेस

जिले में लगभग दस हजार ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हैं। आए दिन हादसों के बाद भी ई-रिक्शा पर लगाम नहीं लग पा रही है। इसके बाद भी आरटीओ विभाग गंभीर नहीं है। 24 घंटे गोरखपुर सिटी के मुख्य सड़कों पर धड़ल्ले से ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। आरटीओ के अनुसार ई-रिक्शा रजिस्ट्रेशन के बाद फिटनेस के लिए आरटीओ नहीं पहुंचते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद से प्रत्येक दो साल में ई-रिक्शा की फिटनेस होने का नियम है। करीब एक हजार ई-रिक्शा ऐसे हैं जो कि अनफिट है और सड़कों पर दौड़ रही हैं।

कागजों में ही अभियान

मनमाने तरीके से सड़क घेरकर खड़े होकर ट्रैफिक व्यवस्था को चौपट करते हैं। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ चालान हो जाता है। आरटीओ की ओर से इनकी फिटनेस चेक करने के लिए सिर्फ कागजों पर ही अभियान चलाया जा रहा है। ई-रिक्शा में सफर का मतलब है कि जान का जोखिम लेना है। इसमें कहीं भी कोई सुरक्षा के इंतजाम नहीं होते हैं। ऑटो-टेंपो में तो एक बार फिर भी बॉडी काफी हद तक सिक्योर होती है, इसमें बॉडी के नाम पर सिर्फ एंगिल का ढांचा ही रहता है।

जिले में करीब 10 हजार ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हैं। इनमें लगभग एक हजार ई-रिक्शा संचालकों ने अपने ई-रिक्शा का फिटनेस नहीं कराया है। ई-रिक्शा चालकों पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है।

- अरुण कुमार, एआरटीओ प्रशासन, गोरखपुर