गोरखपुर (ब्यूरो)। क्योंकि बहुत जल्द मार्केट में ऐसी पोर्टेबल वाशिंग मशीन आने वाली है, जिसे आप आसानी से खरीद सकेंगे और यूज भी कर सकेंगे। यही नहीं इसे कहीं भी अपने साथ बैग में रखकर ले जा सकते हैैं। इस पोर्टेबल वाशिंग मशीन को एमएमएमयूटी के इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रभाकर तिवारी ने अपने एक्स स्टूडेंट अवनीश सिंह के साथ मिलकर बनाई है। इस पोर्टेबल वाशिंग मशीन को भारत सरकार के महानियंत्रक, एक्स अभिकल्प एवं व्यापार चिन्ह (भारतीय पेटेंट कार्यालय) से पेटेंट ग्रांट भी हो गया है। यह पेटेंट एप्लीकेशन 4 अप्रैल 2018 को फाइल किया गया था, जो 18 महीने बाद अक्टूबर 2019 में प्रकाशित हुआ और कई राउंड की सुनवाई और आपत्ति के बाद 2 फरवरी 2024 को यानी लगभग छह साल बाद ग्रांट हुआ है।

स्टूडेंट के साथ अविष्कार

डॉ। प्रभाकर तिवारी ने बताया, एक दिन उनके एक्स स्टूडेंट अवनीश सिंह से उनकी वार्ता हुई। इस दौरान छात्र के हास्टल में वाशिंग मशीन नहीं होने से कपड़े धूलने की समस्या का जिक्र किया। अवनीश सिंह ने कहा कि वाशिंग मशीन छोटी होती तो हम एक खरीद लेते। यहां से छोटी वाशिंग मशीन डिजाइन करने का प्लान दोनों ने बनाया और एक अलग बेहद हल्की और पोर्टेबल मशीन डिजाइन कर दी। कई महीनों की मेहनत के बाद प्रोटो टाइप मॉडल बनाकर सफल परीक्षण किया गया। उसके बाद दोनों ने इसे पेेटेंट करवाने का डिसीजन लिया। उन्होंने बताया, इस मशीन की सबसे खास बात यह है कि यह आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जायी जा सकती है। इस पोर्टेबल वाशिंग मशीन को पेटेंट भी करा दिया गया है। एक निजी कंपनी से एमओयू के लिए सिग्नेचर होना बाकी है। उसके बाद यह मार्केट में भी अवेलेबल हो जाएगी। इसकी कीमत भी एक हजार से कम होगी।

कैरी करना होगा आसान

प्रो। तिवारी बताते हैैं कि वैसे तो कन्वेंशनल वाशिंग मशीन को कैरी करना उतना आसान नहीं होता। हर कोई जल्दी खरीदना भी नहीं चाहता। वो भी तब जब अकेले किसी शहर में नौकरी पेशेवर हो या फिर स्टूडेंट्स। लेकिन बैग में ले जाने वाला पोर्टेबल वाशिंग मशीन को आसानी से कहीं भी ले जा सकते हैैं। यह बेहद यूजफूल है। यह पोर्टेबल वाशिंग मशीन कांसेप्ट चेंज करने वाली मशीन है। इसे बाल्टी में रखकर भी इसे कहीं भी प्लगिंग कर इसका इस्तेमाल कर सकते हैैं। यह एक साथ मैक्सिमम 5 कपड़े धो सकती है।

पोर्टेबल वाशिंग मशीन हर किसी के लिए बेहद कारगर साबित होने वाली मशीन होगी। आसानी से इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है। यह बेहद सराहनीय रिसर्च है। इसे पेटेंट करा लिया गया है। इसका निजी कंपनी से एमओयू भी कराया जाएगा, ताकि मार्केट में उपलब्ध हो सके और लोगों के काम आ सके।

जेपी सैनी, वीसी, एमएमएमयूटी