गोरखपुर (ब्यूरो)। जबकि किशोरी की इंस्टाग्राम पर एक युवक से दोस्ती हो गई थी। वह उससे देर रात तक बातेंं करती थीं। घरवालों को शक हुआ तो उन्होंने किशोरी से मोबाइल ले लिया। दो ही दिन बाद किशोरी इंस्टाग्राम फ्रेंड के साथ घर से फरार हो गई। ये तो केवल एक केस है, जिले में हर मंथ 2 दर्जन से अधिक किशोरी इंस्टाग्राम और फ्रेंड के चक्कर में घर छोड़ रही हैं। इसको लेकर सीडब्ल्यूसी ने भी चिंता व्यक्त की है।

स्कूल जाने वाली किशोरी के बहक रहे कदम

सीडब्ल्यूसी की मानें तो घर छोडऩे वाली किशोरियों की अर्बन एरियाज में संख्या कम है, अधिकतर रूरल इलाके से केस आ रहे हैं। इसमे स्कूल जाने वाली किशोरियों की भी अच्छी संख्या है। खासकर गवर्नमेंट स्कूल पढऩे वाली किशोरियों के कदम अधिक बहक रहे हैं।

अवेयरनेस की कमी

सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष वंदना सिंह ने बताया कि अधिकतर घरों में पैरेेंट्स को मोबाइल के बारे में अधिक जानकारी नही होती है। जबकि बच्चे कम उम्र में ही एंड्रॉयड मोबाइल चलाने में मास्टर हो जा रहे हैं। इसलिए घर पर बच्चे पैरेंट्स को आसानी से मुर्ख बना देते हैं। अगर बच्चों को प्रॉपर गाइड किया जाए तो वह गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे।

एक मोबाइल ढेर सारे एप

मोबाइल में ढेर सारे एप और वेबसाइट के चक्कर मेें फंसकर बच्चियां समाज और परिवार से दूर हो जा रही हैं। उन्हें जो दुनिया सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही हैं वह उसे ही असल जिंदगी समझने लग रही हैं।

जाल में फंसकर हो रही जिंदगी बर्बाद

सीडब्ल्यूसी के पास कई ऐसे केस भी आए हैं। जिसमे झूठ बोलकर किशोरियों को फंसाया गया था। एक किशोरी इंस्टाग्राम दोस्त के चक्कर में घर छोड़ी। बाद में पता चला कि युवक पहले से शादी शूदा है। ऐसे मामले के बाद गंभीर धाराओं में मुकदमा तो दर्ज होता है लेकिन किशोरियां का बचपन फिर वापस नहीं आ पाता है।

13 से 19 एज तक करनी होगी निगरानी

सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष ने बताया कि पैरेंट्स को बच्चों को टाइम देना होगा। खासतौर से 13 से 19 साल की एज तक बच्चियों को प्रॉपर गाइड करना चाहिए। इसके लिए सख्ती नहीं बल्कि उनका दोस्त बनकर पैरेंट्स को उनकी कॅरियर की राह आसान बनानी चाहिए।

बरतें सावधानी

। बच्चों को 18 साल एज यानी इंटर की पढ़ाई तक मोबाइल ना दें

। बच्चों की हर गतिविधियों पर नजर रखें

। बच्चियां कितने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक्टिव हैं, उसकी निगरानी करें

। स्कूल में बच्चियों की अटेंडेंस जरूर चेक करें

। सप्ताह या मंथ में बच्चियों के स्कूल आते जाते चेक करें, कहीं कोई परेशान या बहला फुसला तो नहीं रहा

। बच्चों को मोटिवेशनल कहानियां या फिल्में दिखाएं

एज ग्रुप की बच्चियां छोड़ रही घर - 12 से 18

हर मंथ घर छोड़ रहीं किशोरियां - 24

अवेयरनेस की कमी के कारण किशोरियां गलत स्टेप उठा रही हैं। बाद में उसका पछतावा भी होता है, तब उनके लिए जिंदगी में कुछ भी कर पाना कठिन हो जाता है। पैरेंट्स को हर हाल में बच्चों पर ध्यान देना होगा। तभी ऐसे मामलों में कमी आएगी। 12 से 19 साल की एज गु्रप वाली बेटियों को प्रापर गाइड करना चाहिए।

वंदना संह, अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी