गोरखपुर (ब्यूरो)। वहीं, 23 हजार बेड शीट भी उठा ले गए। इसके अतिरिक्त यात्रियों के मुंह पोंछने के लिए इस्तेमाल होने वाले 23 हजार फेश टॉवेल भी गायब हो गए। यात्रियों को ओढऩे के लिए दिए जाने वाले एक हजार कंबल तक गायब हो गए। इस प्रकार सात माह में 71 हजार लिनेन गायब हो चुके हैैं। इन सभी के गायब होने से रेलवे का लाखों रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ा है। हालांकि, रेलवे मैकेनाइज्ड लाउंड्री के जिम्मेदारों की मानें तो पहले की तुलना में बेड शीट कम गायब हुई हैं।

डिमांड पर करते है प्रोवाइड

ट्रेनों में एसी यात्रियों को बेड शीट, पिलो कवर, फेस टॉवेल और ओढ्ने के लिए ब्लैंकेट दिए जाते हैैं, लेकिन यात्रा के दौरान कई बार एसी थर्ड और एसी सेकेंड टियर में सफर करने वाले यात्रियों को डिमांड के बाद भी उन्हें बेड शीट, ब्लैकेंट प्रोवाइड नहीं करा पाते। क्योंकि कोच में पहुंचने के कुछ ही देर बाद लिनेन गायब हो जाते हैैं। अब सवाल इस बात का है कि आखिरकार इसको गायब करने के पीछे की मंशा क्या है और कौन सा सिंडिकेट हैै, जो गायब करता है। इसको लेकर रेलवे की तरफ से सख्ती भी बरती जा रही है। आरपीएफ की मदद से ऐसे चोरों पर नजर रखने के लिए उनकी स्पेशली तैनाती की गई है

दोनों पर दाग

रेलवे से मिली जानकारी के जितने भी लिनेन गायब हुए हैैं। वह सभी एसी थर्ड और एसी सेकेंड टियर के हैैं। जबकि एसी फस्र्ट के यात्रियों ने अपनी साख बचाए रखी हैं। कोच अटेंडेंट चोरी के डर से बेडरोल लिनेन के पैकेट के साथ तौलिया मांगने पर ही देते हैं। ओढऩे और बिछाने के लिए मिलने वाले लिनेन यात्री ले जाते हैं या कोच अटेंडेंट, यह सवाल लगातार बना हुआ है। लेकिन दाग तो दोनों पर लगता है, जो अच्छे नहीं हैं।

एक करोड़ का नुकसान

रेलवे का दावा है कि जून से 31 दिसंबर 2023 तक गोरखपुर से बनकर चलने वाली गोरखधाम आदि 24 एक्सप्रेस ट्रेनों में 71000 लिनेन (बेडशीट, तौलिया, कवर और कंबल आदि) गायब हो चुके हैं। जिसमें एसी टू व थ्री में बेडशीट और तौलिया के अलावा 24000 तकिया का कवर, 1000 कंबल शामिल हैं। लिनेन के गायब होने से रेलवे को करीब एक करोड़ का नुकसान हुआ है। रेलवे इसकी भरपाई कार्यदायी संस्था से वसूल करेगी, लेकिन सवाल यह है कि दाग और धब्बे से जो लिनेन कंडम हुए हैं, उसकी भरपाई कौन करेगा ।

तौलिया से पोछते है जूता

एसी कोचों में यात्रा करने वाले लोग ओढऩे और बिछाने वाले बेडशीट व कंबल पर ही खाना खाते हैं। उतरते समय तौलिया से जूता पोछना नहीं भूलते। दाग और धब्बे के रूप में अपनी छाप छोड़ आते हैं। इसके चलते बेडशीट, कंबल और तौलिया फिर से उपयोग करने लायक नहीं रह जाते। रेलवे प्रशासन ने यात्रियों को बेहतर लिनेन उपलब्ध कराने के लिए गोरखपुर मैकेनाइज्ड लाउंड्री की क्षमता बढ़ाकर 25 हजार टन कर दी है। लाउंड्री से प्रतिदिन 25 हजार बेडरोल के पैकेट और 50 हजार बेडशीट निकल रही हैं। बेडरोल वितरण के लिए नई एजेंसी नामित कर दी गई है, प्रत्येक कोच में एक अटेंडेंट रहता है। निगरानी के लिए सुपरवाइजर्स तैनात हैं।

इन ट्रेनों से ज्यादा शिकायत

गोरखधाम सुपरफास्ट

वैशाली सुपरफास्ट

गोरखपुर एलटीटी सुपरफास्ट

गोदान एक्सप्रेस

दादर एक्सप्रेस

दिल्ली हमसफर एक्सप्रेस

गोरखपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस

आम्रपाली एक्सप्रेस

बेडरोल की क्वालिटी में सुधार लाया जा रहा है। उसके लिए कड़े कदम उठाए जा रहे है। मानक के अनुसार लिनेन की धुलाई की जा रही है, जिससे यात्रियों की संतुष्टि बढ़ी है। यात्रियों से अपील है कि वे बेडरोल का इस्तेमाल सहीं ढंग से करें। इस पर खाने- पीने की वस्तुएं न गिराएं।

पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे