गोरखपुर (ब्यूरो)। हिट वेव को लेकर हेल्थ डिपार्टमेंट ने भी एडवाइजरी जारी की गई है, लेकिन कुछ स्कूल इस एडवाइजरी का पालन नहीं करा रहे हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स गर्मी से बेहाल हैं। बच्चों को स्कूल लेने पहुंचे पैरेंट्स का कहना था कि कि घर में तो हम बच्चों को गर्मी और उमस से बचाने के लिए कई तरह के इंतजाम किए हुए हैं, लेकिन स्कूल में बच्चों को ज्यादा दिक्कत होती है। स्कूल से निकलने के बाद बच्चे सुस्त दिखते हैं। बच्चे जब घर पहुंच रहे हैं तो गर्मी से उनके शरीर पर लाल चकत्ते और दाने देखने को मिल रहे हैं। कपड़े बदलने के दौरान वह खूब खुजली करते हैं। इससे वह और भी लाल हो जा रहे हैं। कई बच्चों को तो डॉक्टर्स को दिखाने के नौबत आ जा रही है।

सीन 1

दोपहर 1:45 बजे डिवाइन पब्लिक स्कूल बिछिया की छुट्टी हुई तो बच्चे बाहर निकलने लगे। छोटी क्लास में पढऩे वाली एक स्टूडेंट ने अपने पापा से कहा कि बाबा बहुत गर्मी लग रही है, आइसक्रीम दिला दीजिए। गर्मी को देखते हुए पिता ने उसे आइसक्रीम दिलाया। स्कूल से बाहर निकलने वाली सिर्फ एक स्टूडेंट्स गर्मी से बेहाल नजर नहीं आई, उसके अलावा भी स्कूल से निकलने वाले स्टूडेंट्स गर्मी और उमस से बेहाल नजर आए। उनका कहना था कि स्कूल के कमरे में बहुत गर्मी होती है, ज्यादा पंखे कम होने से कोई छाते से बच्चों को धूप से बचाने की कोशिश करता दिखाई दिया तो किसी ने बच्चे के सिर और मुंह को कपड़े से बांध रखा था।

सीन 2

दोपहर 2 बजे बिछिया स्थित दून पब्लिक स्कूल की छुट्टी हुई। स्कूल के बाहर स्टूडेंट्स के बाहर निकलने का सिलसिला शुरू हो गया। इस दौरान स्कूल से निकलने वाले स्टूडेंट्स गर्मी से बेहाल दिखे। उनके माथे से पसीना टपक रहा था, शर्ट पसीने से भीगी हुई थी, बच्चों का कहना था कि क्लासरूम में बच्चों की संख्या अधिक होती है इससे काफी गर्मी लगती है। लगातार क्लास चलते हैं, इससे क्लासरूम के बाहर निकलना भी मुश्किल है।

गर्मी ने बच्चों की परेशानी बढ़ा दी है। गर्मी के कारण बच्चे सुस्त नजर आ रहे हैं, उमस भरी गर्मी में बच्चे स्कूल में कैसे होंगे, इसकी चिंता लगी रहती है।

रोशनी, पेरेंट्स

गर्मी के कारण बच्चों को काफी दिक्कत हो रही है। बच्चों के शरीर पर गर्मी से लाल चकत्ते और दाने निकल जा रहे हैं। बच्चे को डॉक्टर दिखाई हूं।

ज्योति, पेरेंट्स

गर्मी की अभी शुरुआत हुई है। जल्द ही गर्मी को देखते हुए स्कूल के समय परिवर्तन के लिए आदेश जारी किया जाएगा।

डॉ। अमरकांत सिंह, डीआईओएस गोरखपुर