- मामला सामने आने पर हर बार तलब की जाती फाइलें

- जांच के नाम पर चलता खेल, हर बार हो जाते हैं फेल

GORAKHPUR: हाईस्कूल की मार्कशीट का फर्जी तरीके से इस्तेमाल करके पासपोर्ट बनवाने के मामले में कई लोगों की गर्दन फंसेगी। लेकिन यदि पुलिस ने ठीक से जांच की तो नतीजा सामने आ सकेगा। पूर्व में सामने आए फर्जीवाड़े में चार साल से चल रही जांच का नतीजा शून्य रहा है। नए मामले के साथ पुरानी फाइलों को खंगालने में पुलिस अधिकारी जुटे गए हैं। फिर भी यह कहा जा रहा है कि पूर्व की तरह यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा। कभी किसी ने सवाल भी उठाया तो उसे गोलमोल जवाब देकर टरका दिया जाएगा।

यह हुआ था, इस हाल में विवेचना

वर्ष 2005 से 2009 के बीच शहर के कूड़ाघाट, शाहपुर के पते पर 91 नेपाली मूल के लोगों ने पासपोर्ट आवेदन किया। इसमें पुलिस, एलआईयू के वेरीफिकेशन के बाद 60 लोगों का पासपोर्ट जारी हुआ। वर्ष 2009 में भारत नेपाल मैत्री समाज के तत्कालीन अध्यक्ष मोहन लाल गुप्त ने जांच की मांग उठाई। 36 लोगों के पासपोर्ट से संबंधित दस्तावेज के पते की तस्दीक नहीं हुई। मामला डंप हो गया जिसकी बाद में शासन से शिकायत हुई। वर्ष 2014 में नए सिरे से जांच में कैंट एरिया में रहने वालों के पते पर 26 और शाहपुर के एड्रेस पर पासपोर्ट बनवाने वाले पांच व्यक्ति दोषी पाए गए। 15 जुलाई, 2015 को कैंट और 18 को शाहपुर पुलिस ने पासपोर्ट बनवाने वाले नेपाली नागरिकों पर जालसाजी करने और 17 पासपोर्ट अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया। इसमें 25 महिलाओं को आरोपित बनाया गया। इनमें विमला थापा, रामा गुरुंग, सीमा, सीमा पुत्री नरेश, सीमा राना, कल्पना थापा, मेनका थापा, कमला, प्रिया गुरुंग, सोनिया गुरुंग, आशा, आरती श्रेष्ठ, प्रीति गुरुंग, हेमा, संतोषी गुरुंग, कुमारी रमा थापा, गंगा थापा, आशा थापा, कल्पना गुरुंग, माया, रीता सुब्बा, रूपा लामा, सिंधु रियल, संगीता गुरुंग, सूरज राना, अनिल गुरुंग के खिलाफ मामला उठा था। इन लोगों ने जीआरडी गेट, चंडी भवन, दुर्गा भवन, कूड़ाघाट, यादव निवास और जगरनाथ भवन के पते का इस्तेमाल किया था।

पुरानी चार साल से पेंडिंग, नए मामले पर भी सवाल

एफआईआर होने के बाद जांच पड़ताल जारी रही। चार साल में इसकी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आ सकी। वादी मोहन लाल गुप्त के निधन के बाद उनकी जगह भारत नेपाल मैत्री समाज के अध्यक्ष बने अनिल गुप्त ने जांच की मांग उठाई। लेकिन हर बार पुलिस अधिकारी उनको गोलमोल जवाब देते रहे। परेशान होकर अनिल गुप्त ने आरटीआई दाखिल कर दी जिसका नतीजा शून्य रहा। पुलिस ने बताया कि मामले की विवेचना जारी है। लेकिन यह जांच कब पूरी होगी इसके बारे में जान पाना आसान नहीं रहा। 18 अप्रैल 2018 को अनिल ने आरटीआई दाखिल किया तो जवाब गोलमोल सामने आया। शनिवार को पासपोर्ट ऑफिस के पास दुकानों पर छापेमारी करके पुलिस ने फर्जी मार्कशीट, थानों की मुहर सहित कई दस्तावेज बरामद किया। इस मामले में गोरखनाथ पुलिस ने आरोपित धर्मपुर के अमित कुमार यादव को अरेस्ट कर लिया। जबकि एक दुकान के मालिक पर भी केस रजिस्टर्ड हुआ है।

इन सवालों के मांगे थे जवाब

1. शाहपुर थाना में तीन फरवरी 2012, तीन मई 2012 को परशुराम क्षेत्री के खिलाफ एफआईआर की कॉपी मांगी।

2. शाहपुर में दर्ज मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट की कॉपी।

3. अंतिम रिपोर्ट को अदालत में वापिस लिए जाने के संबंध में की गई कार्रवाई

4. क्राइम ब्रांच ने इस मामले में कितनी जांच की है। उसकी सत्यापित कॉपी उपलब्ध कराने का निवेदन

5. 60 नेपाली नागरिकों में सिर्फ 31 की जांच हुई। बाकी अन्य के संबंध में हुई कार्रवाई की रिपोर्ट

6. कैंट और शाहपुर में दर्ज फर्जी पते के एफआईआर में हुई विवेचना की संबंधित जानकारी

7. क्राइम ब्रांच में प्रद्युम्न सिंह के द्वारा 31 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में विवेचना को समाप्त करने के संबंध में कार्रवाई की डिटेल

इसका मिला यह जवाब

बिंदु एक से पांच तक थाना कैंट से संबंधित नहीं है। बिंदू छह के संबंध में बताया गया कि कल्पना थापा कूड़ाघाट कैंट सहित 26 के खिलाफ दर्ज मामले की विवेचना जारी है। बिंदू संख्या सात पर बताया गया थाना कैंट से संबंधित है। इसकी रिपोर्ट भेजी जा रही है। जबकि आवेदक ने मामले का आवेदन जन सूचना अधिकारी, एसएसपी ऑफिस के नाम से किया था। इसके बाद भी शाहपुर और कैंट थाना में चल रही कार्रवाई की गोलमोल जानकारी मुहैया कराई गई।

वर्जन

पुराने मामलों की शिकायत में जांच पर जांच की जा रही है। लेकिन नतीजा शून्य रहा है। मुकदमे की विवेचना से संबंधित प्रगति की रिपोर्ट का जवाब गोलमोल दिया जाता है। एक बार फिर नया मामला सामने आया है। लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि इस रैकेट से जुड़े लोगों पर कार्रवाई हो सकेगी।

अनिल कुमार गुप्त, अध्यक्ष भारत नेपाल मैत्री समाज, गोरखपुर

फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवाने के मामले की छानबीन चल रही है। इससे संबंधित सभी बिंदुओं पर जांच की जाएगी। पुराने मुकदमों की फाइलें भी खंगाली जाएंगी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।

- डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी