-चौकसी को धता बताकर कचहरी पहुंच रहे बदमाश

-तलाश के दावों पर फिरा पानी, दबाव का देते हवाला

GORAKHPUR: तबाड़तोड़ क्राइम की बोझ से दबी गोरखपुर पुलिस के लिए विकास दुबे एनकाउंटर थोड़ी राहत लेकर लौटी है। दुबे के प्रकरण के बाद जिले की तेज तर्रार क्राइम ब्रांच की टीम, चौकसी बरतने वाले थानेदार और अपराधियों की धर-पकड़ के लिए बने व्यूह रचना को धता बताकर बदमाश कोर्ट में सरेंडर कर रहे हैं। वहीं, पुलिस इसे अपनी कामयाबी बताकर पीठ थपथपा रही है। जबकि, उनके इस रवैये से अब सवाल उठने लगे हैं। पुलिस की सख्ती पर माफिया राकेश यादव और राणा प्रताप सिंह ने कोर्ट में सरेंडर किया।

इनाम जारी कर तलाश करने का पीटते ढिढोरा

जिले में विभिन्न मामलों में फरार चल रहे बदमाशों पर इनाम जारी कर पुलिस उनकी तलाश करने का ढिढोरा पीट रही है। एक हफ्ते पूर्व जिले के टॉप 10 बदमाशों की लिस्ट जारी गई थी। लिस्ट में माफिया राकेश यादव का नाम शामिल है। गुलरिहा एरिया में प्रापर्टी डीलर और उसके दोस्त पर हमले की सुपारी देने, शूटर को संरक्षण देने के आरोपित राकेश के खिलाफ 25 हजार रुपए का इनाम जारी हुआ। क्राइम ब्रांच, गुलरिहा और पिपराइच की पुलिस टीम उसकी तलाश में लगे होने का ढिढोरा पीटती रही। लेकिन बुधवार दोपहर पिपराइच के पुराने मुकदमे में जमानत निरस्त कराकर वह जेल चला गया। कोविड के कारण दीवानी कचहरी में चेकिंग का दायरा बढ़ा हुआ है। लेकिन नियमित कचहरी जाने वाले एक वकील की तरह वह पहुंचा। कोर्ट में पुराने मामले में जमानत निरस्त कराकर जेल चला गया। इसी तरह से झंगहा में हुए डबल मर्डर की साजिश रचने, आरोपियों के संरक्षण देने के आरोपित राणा प्रताप सिंह के खिलाफ पुलिस ने इनाम घोषित किया। उसकी लगातार तलाश किए जाने की बात होती रही। लेकिन वह भी आराम से कोर्ट पहुंचा। पुलिस की मुस्तैदी को धता बताते हुए जेल चला गया।

मुखबिरी से पुलिस फेल

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि मुकदमों में वांछित अभियुक्तों की तलाश पुलिस करती है। लेकिन कई बार लचर मुखबिरी और पुलिस की लापरवाही से अभियुक्त आराम से सरेंडर कर जेल चले जाते हैं। कुछ मामलों में पुलिस जान बूझकर भी ढील देती है। कोर्ट में अर्जी देकर कोई भी मुल्जिम सरेंडर कर सकता है। यदि मुल्जिम के पास अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे, जिसमें तलाश चल रही है। उससे संबंधित कागजात होते हैं तो कोई प्राब्लम नहीं होती है। कुछ मामलों में अभियुक्त कोर्ट में अर्जी देते हैं तो उनकी रिपोर्ट संबंधित थानों से मांग ली जाती है। इस दौरान यदि पुलिस ने आरोपित को पकड़ लिया तो उसका गुडवर्क हो जाएगा।

इन्होंने किया सरेंडर

आरोपी मुकदमा थाना

राकेश यादव पिपराइच

अनूप यादव शाहपुर

सोलू उर्फ वीरेंद्र गोरखनाथ

राणा प्रताप सिंह झंगहा

यह होती लापरवाही

-अभियुक्तों पर इनाम घोषित कर पुलिस टीम उनकी तलाश में सुस्त पड़ जाती है।

- पुलिस के मूवमेंट की जानकारी बदमाशों को होती है। लेकिन पुलिस के मुखबिर सुस्त रहते हैं।

-पुराने और तेज तर्रार होने की गलत-फहमी में पुलिस को बड़ा झटका लगता है।

- कई बार अभियुक्तों या उनके किसी परिचित के प्रति मेहरबानी दिखाते हुए अनदेखी की जाती है।

- कोर्ट के आसपास पुलिस अपने मुखबिरों को एक्टिव नहीं करती है।

- अभियुक्त की तलाश में एक-दो बार दबिश देकर पुलिस टीम निष्क्रिय हो जाती है।

वर्जन

किसी अभियुक्त की जिसमें उसकी तलाश चल रही है। उससे संबंधित कागजात होने पर आरोपित कोर्ट में सरेंडर के लिए निर्धारित अवधि पर तत्काल अर्जी दे सकता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कोर्ट की तरफ से संबंधित थाना से रिपोर्ट मांगी जाती है। न्यायालय परिसर के बाहर ही पुलिस किसी को अरेस्ट कर सकती है। कोर्ट में फरार अभियुक्त का सरेंडर करना पुलिस के लिए कामयाबी नहीं, बल्कि उनकी नाकामी मानी जाती है।

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एडवोकेट, दीवानी कचहरी

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