- गोली चलाकर हो गए लापता, नहीं खोज पाई पुलिस

- माफियाओं के एसेट्स की डिटेल तैयार करेंगे थानेदार

GORAKHPUR: एक दशक में ऐसे कितने मर्डर हुए जिनमें पुलिस को शूटर का सुराग नहीं मिल सका। ऐसे सभी मामलों की डिटेल एक बार फिर से खंगाली जाएगी। एडीजी जोन दावा शेरपा ने जोनभर के पुलिस अधिकारियों को इसकी पड़ताल करने का निर्देश दिया है। एडीजी के फरमान पर पुलिस अधिकारी हरकत में आ गए हैं। पुराने मामलों की फाइलें खंगालने के लिए थानेदारों को गाइडलाइंस जारी हो रही हैं। यह सब कुछ कानपुर कांड के बाद फिर से कराया जा रहा है। 10 साल के भीतर शहर में भी कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें शामिल शूटर्स का पता पुलिस नहीं लगा सकी। किसी तरह से मुकदमों को निपटा करके पुलिस ने फाइलों को ठंडे बस्ते बांधकर आलमारी में रख दिया। दोबारा उनकी कोई खोजबीन नहीं हो सकी। कई बार कोशिशें हुईं कि पुराने मामलों में फरार अज्ञात बदमाशों तक पुलिस पहुंच सके। लेकिन हर बार थानेदारों ने कोई सुराग न मिलने का हवाला देकर फाइलों की धूल झाड़ने की जहमत नहीं उठाई। एडीजी के निर्देश से जिलों में फाइलों को खंगाला जाएगा। इससे पुलिस की लिस्ट से गायब रहकर पब्लिक के लिए दहशत बने कई क्रिमिनल्स को काबू करने में मदद मिलेगी।

10 साल पहले हुए कत्ल में पुलिस खाली हाथ

वर्ष 2011 में 10 माह के भीतर दो सनसनीखेज मर्डर हुए। दोनों वारदातों में शूटर ने धर्मशाला बाजार रामलीला कमेटी के महामंत्रियों को शिकार बनाया। बिल्कुल नजदीक से उनकी खोपड़ी में गोली मार दी। रात के सन्नाटे में गोली चलने की आवाज किसी को नहीं सुनाई पड़ी। मर्डर के बाद कुछ दिनों तक रंजिश, प्रॉपर्टी के विवाद सहित अन्य तरह के सवालों में उलझी पुलिस क्लू तलाशती रही। लेकिन शूटर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी। शहर में कहीं भी किसी को अज्ञात गोली मारने की घटना में कातिलों का सुराग न मिलने से लोगों को 10 साल पुरानी घटना याद आ जाती है।

रईस मर्डर में साजिशकर्ता को जेल, पुलिस हुई फेल

22 फरवरी 2020 की देर रात शहर के चर्चित रईस राजघाट एरिया के बनकटीचक निवासी मोहम्मद नुसरतुल्लाह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घर के बाहर खड़े अकेले बदमाश ने उन पर गोली चलाई। बगल के मकान में कैरम खेल रहे लोगों से बातचीत करके वह अपने घर में घुसे। तभी पीछे से आए एक शूटर ने उन पर हमला कर दिया। गोली मारने के बाद बाहर निकला बदमाश बाइक से फरार हो गया। इस साल की सबसे चर्चित घटना में हाथ-पैर चलाने के बाद राजघाट पुलिस ने रुपए के लेनदेन का विवाद बताकर एक लाख 91 हजार रुपए लेने वाले प्रॉपर्टी डीलर अनिल सोनकर को गिरफ्तार कर लिया। जांच के बाद पुलिस ने दावा किया कि रुपए न चुकाने पड़ें इसलिए अनिल ने शूटर हायर करके हत्या कराई। लेकिन शूटर के बारे में कोई जानकारी पुलिस को नहीं मिल सकी।

इन घटनाओं में नहीं मिले शूटर

जाम लगाकर लगाए आरोप, हाथ नहीं आए कातिल

09 नवंबर 2011 की देर रात रामलीला कमेटी धर्मशाला बाजार मोहल्ले के हरिमोहन शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घर के पास ही उनकी डेड बॉडी सड़क किनारे देखकर लोगों ने शोर मचाया। इसके बाद फैमिली मेंबर्स घटना को जान पाए। उनके सिर में एक गोली मारी गई थी। घटना के दूसरे दिन लोगों ने सड़क पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया। एक बाहुबली का नाम लेते हुए गंभीर आरोप लगाए। लोगों का कहना था कि उनके इशारे पर मर्डर हुआ। लेकिन पब्लिक का गुस्सा शांत होने के साथ-साथ घटना भी पुलिस भूल गई।

चंद दिनों में बंद हो गई कक्कू के मर्डर की फाइल

11 जनवरी 2011 की शाम करीब सात बजे की बात है। धर्मशाला बाजार में रहने वाले रामलीला कमेटी के महामंत्री कक्कू यादव अपने कमरे में हीटर जलाकर हाथ सेंक रहे थे। परिवार के लोग दूसरे कमरे में थे। तभी बदमाशों ने उनके सिर में गोली मार दी। इस बात की भनक किसी को नहीं लगी। कातिल आराम से चले गए। उनकी एक बेटी कमरे में पहुंची तो पिता को गिरा देखकर शोर मचाने लगी। उसने समझा कि पिता को करंट लग गया है। हॉस्पिटल ले जाने पर मालूम हुआ कि गोली मारी गई थी। अज्ञात के खिलाफ गोरखनाथ थाना में मुकदमा दर्ज हुआ। बाद में इस मामले को लोग भूल गए।

घेरकर गोलियों से भूने गए बैंक मैनेजर, नहीं लगा सुराग

शाहपुर एरिया में अशोक नगर कॉलोनी में 29-30 सितंबर 2015 की रात में वारदात हुई। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया बैंक रोड के एरिया मैनेजर दीनानाथ यादव रात में अपनी कार ड्राइव करते हुए घर लौट रहे थे। कॉलोनी में घर से थोड़ी दूरी पर दो बाइक पर पांच बदमाश खड़े थे। दीनानाथ की कार को देखते हुए बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां दाग दीं। पत्नी और बच्चों संग मोहल्ले में रहने वाले दीनानाथ बैंक में हुई करोड़ों रुपए की हेराफेरी की जांच में जुटे थे। इस घटना से गोरखपुर दहल गया था। मुकदमा दर्ज करके पुलिस ने पूरे इलाके का सीसीटीवी फुटेज खंगाला लेकिन किसी तरह का क्लू हाथ नहीं आया। पांच साल बाद भी बैंक मैनेजर के कत्ल में शामिल शूटर का कोई सुराग नहीं मिला।

भूतों ने चलाई थी कफील के भाई पर गोली

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ऑक्सीजन कांड से चर्चा में आए डॉ। कफील के भाई कासिफ को बदमाशों ने गोली मार दी थी। तीन गोलियां लगने से घायल कासिफ का लंबे समय तक उपचार चला। 10 जून 2018 की शाम कासिफ अकेले ही स्कूटर से लौट रहा था। गोरखनाथ एरिया में बाइक सवार बदमाशों ने गोली चला दी। इस मामले में सीसीटीवी फुटेज खंगालकर पुलिस हांफ गई लेकिन कोई जानकारी हासिल नहीं हुई। दो साल बाद भी शूटर्स का पता नहीं लगा। जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। शहर की तेज तर्रार टीम इस मामले में खाली हाथ रह गई। नाकामी पर लोगों ने कहा था कि भूतों ने गोली दागी थी।

क्या है एडीजी का निर्देश, क्या देनी है जानकारी

- 10 साल के भीतर पनपे ऐसे क्रिमिनल्स जिनकी गहरी पैठ है लेकिन पुलिस की नजर नहीं पड़ी।

- ऐसे क्रिमिनल्स के बारे में पूरी जानकारी, उम्र, उनका पूरा ब्यौरा, वर्तमान स्थिति पुलिस जुटाएगी।

- 10 साल में कौन-कौन से ऐसे मामले सामने आए जिनमें शूटर्स के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।

- इस दौरान कितने अपराधियों ने रंगदारी मांगी, सुपारी लेकर किसी को गोली मारी और अन्य तरह के क्राइम किए हैं।

- मुकदमा दर्ज होने के बाद किन वजहों से शूटर तक पहुंचने में पुलिस नाकाम रही, इसके लिए क्या-क्या प्रयास किए गए।

माफियाओं की प्रॉपर्टी की बनाएंगे कुंडली

कानपुर की घटना के बाद से रजिस्टर्ड माफियाओं की प्रॉपर्टी की कुंडली तैयार करने का निर्देश भी एडीजी ने दिया है। जोन के सभी जिलों के एसएसपी-एसपी से एडीजी ने कहा है कि थानावार माफियाओं की लिस्ट खंगाली जाए। माफियाओं के बारे में नई सूचनाएं अपडेट की जाएं। कुछ माफियाओं के खिलाफ पूर्व में कार्रवाई हुई थी। अब उनकी वर्तमान में क्या स्थिति है, इसके बारे में पूरी जानकारी ली जाए। साथ ही इस बात का भी पता लगाएं कि उनके पास कितनी प्रॉपर्टी है। उनका सोर्स ऑफ इनकम क्या है। उनके पास मौजूदा एसेट क्या-क्या हैं। इनको कहां से कब और कैसे बनाया गया है सहित अन्य कई बिंदुओं पर एडीजी ने जांच के निर्देश दिए हैं। पुलिस टीम रजिस्ट्री डिपार्टमेंट, जीडीए, नगर निगम और नगर पालिकाओं से संबंधित रिकॉर्ड भी खंगालकर ताजा जानकारी जुटाएगी।

वर्जन

यह प्रक्रिया शासन की प्राथमिकता में है। इससे क्रिमिनल्स के बारे में सही जानकारी हो सकेगी। इस तरह की कार्रवाई के बाद माफियाओं का पुलिस से बचकर निकल पाना मुश्किल होगा। इसलिए इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं।

दावा शेरपा, एडीजी जोन