-जंक्शन पर चूहा मारने के कीटनाशक पर हर माह खर्च होते हैं 55 हजार रुपए

-ट्रेन के संचालन के बाद दिखने लगे चूहें

-चूहों को लेकर रेलवे प्रशासन परेशान, कीटनाशक डालने का काम शुरू करने का आदेश

GORAKHPUR: गोरखपुर रेलवे प्रशासन चूहों के आतंक से हमेशा से परेशान रहा है। हांलाकि लॉकडाउन के सब कुछ बंद होने से स्टेशन से चूहें अचानक गायब हो गए थे लेकिन जैसे ही ट्रेंस का संचालन शुरू होने लगा वैसे ही चूहों को लेकर रेलवे की चुनौती भी बढ़ गई है। अब चूहें पार्सल और अमानती सामानों पर हमला करने लगे हैं। उधर चूहों को देखते ही कीटनाशक डालने का काम भी दोबारा शुरू हो गया है।

पार्सल और अमानती सामानों घर के लिए चुनौती

स्टेशन पर चूहों का सर्वाधिक आतंक पार्सल और अमानती सामान घर में है। यहां रखे सामान चूहें अक्सर कुतर देते हैं। हालांकि लॉकडाउन के दौरान चूहों की संख्या काफी कम हो गई थी। लेकिन एक बार फिर काफी चूहें दिखाई दे रहे हैं। इसलिए अब कीटनाशक दवाइयां डाली जा रही है। साथ ही उनके बिलों को भी बंद करने का कार्य किया जा रहा है। ्र

सभी परेशान

सबसे अधिक चूहें प्लेफार्म, टै्रंक के आसपास, कोचिंग यार्ड, पॉर्सल घर, खाने-पीने के स्टाल और पेंट्रीकार में सक्रिय है। पेंट्रीकार से ट्रेन के अन्य कोच में भी चूहें पहुंच जाते हैं। चूहों के आतंक से न सिर्फ वेंडर्स, स्टेशन कर्मचारी बल्कि यात्री भी परेशान हो जाते हैं।

हर महीने 55 हजार होते खर्च

स्टेशन पर चूहों के खातमे के लिए हर महीने 55 हजार रुपए खर्च होते हैं। इसमें दवाइयां, मैन पॉवर और चूहों के बिल बंद करने का काम होता है।

वर्जन

लॉकडाउन के समय से काम ठप था। चूंकि सब कुछ बंद था इसलिए चूहें भी गायब हो गए थे। ज्यादातर मर गए तो कुछ ने अपना ठिकाना बदल लिया। अब दोबारा काम शुरू हो गया है।

आरपी मिश्रा, कांटैक्टर पेस्ट कंट्रोल