- गोरखपुर-वाराणसी एनएच के गढ्डे जिम्मेदारों की खोल रहे पोल

- कमिश्नर और डीएम समेत माननीयों द्वारा निरीक्षण के बाद भी नहीं सुधरे हालात

GORAKHPUR: बलम धीरे चलो गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग को लेकर सोशल मीडिया पर एक्टिव गोरखपुराइट्स कुछ इसी तरह के व्यंग करते दिखते हैं। हो भी क्यों न, गढ्ड़ों में तब्दील हो चुकी सड़क पर चलना किसी जोखिम से कम नहीं है। ये हाल तब जब एनएच 29 के हाल को लेकर तमाम समीक्षा बैठकों में निर्माण की गति तेज करने के निर्देश डीएम, कमिश्नर समेत माननीयों की तरफ से अक्सर होते रहते हैं। लेकिन तमाम निर्देशों के बाद भी एक बार फिर बरसात के सीजन में इस रास्ते पर चलना हादसे को दावत देने के बराबर हो चुका है।

नहीं सुधरे हालात, मंत्री से मरम्मत की गुहार

गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर बदहाली का दंश झेलती सड़क का कमिश्नर, डीएम समेत माननीय बार-बार निरीक्षण कर कार्यदायी संस्था को निर्देशित भी करते रहे हैं। लेकिन यह सबकुछ बेअसर नजर आ रहा है। वर्तमान में फिलहाल बरसात के कारण हाईवे का काम रुका हुआ है। बता दें, एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने कार्यदायी एजेंसी जेपी एसोसिएट को यहां सड़क निर्माण का जिम्मा दिया था। लेकिन एजेंसी की उदासीनता कहें या अधिकारियों की लाचारी, जो आज तक सड़क का कार्य पूरा नहीं हो सका। आलम ये कि गढ्डों में तब्दील हो चुके इस रास्ते से गुजरने वालों को तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। लंबे समय से मरम्मत न होने के चलते एनएच के आसपास के लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। इस लेकर लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से भी अपनी परेशानी बताई लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब लोगों ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से गुहार लगाई है।

अप्रैल 2017 में शुरू हुआ था काम

गोरखपुर-वाराणसी राजमार्ग बदहाल होने के चलते बड़हलगंज के बीच जितने भी कस्बे, गांव या फिर फोरलेन पर चलने वाली पब्लिक है, दुर्गति का सामना कर रहे हैं। शायद ही कोई दिन हो जब इस सड़क को लेकर सोशल मीडिया पर लोग बहस का मुद्दा न बनाएं। कोई व्यंग कसता है तो कोई जिम्मेदारों को उदासीन बताता है। इधर बरसात के दिनों में इस मार्ग से गुजरने वाले वाहन सवारों का बुरा हाल है। बता दें, फोरलेन के शिलान्यास के बाद इसका निर्माण कार्य अप्रैल 2017 में शुरू हुआ। लेकिन धीमी गति और जगह-जगह खुदे हुए गढ्डों ने लोगों को दुर्घटनाओं का शिकार बनाना शुरू कर दिया है। इसको लेकर लोगों ने कई बार जिला प्रशासन और कमिश्नर समेत माननीयों से गुहार लगाई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है।

एनएच पर डेली गुजरने वाली गाडि़यां

बड़ी व छोटी गाड़ी - 3500

रोडवेज बसें - 21

दो पहिया - 2500-3000

कोट्स

चाहे बस या अपने निजी साधन से चलें पर गढ्डों के कारण बहुत कष्ट होता है। ये परेशानी बहुत ही असहनीय और दर्दनाक है। इस पीड़ा को जिम्मेदारों को समझना होगा।

प्रणव द्विवेदी, एडवोकेट

मैं 9 जुलाई को एनएच 29 के गढ्डों की चपेट में आने से बाल-बाल बच गया। शाम का वक्त था। एनएच के इन गढ्डों के कारण मेरी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। गनीमत ती कि मैं बच गया। पता नहीं इस सड़क का भाग्य कब बदलेगा।

संजय पांडेय, प्रोफेशनल

मैं लगभग 50 वर्षो से इस सड़क पर आता-जाता रहा हूं। एक लेन से दो लेन हुई, फिर राज्य से एनएच को हस्तांतरित हुई, लेकिन इसके गढ्डे कभी भी नहीं हटे। जब सीएम के क्षेत्र को पीएम के क्षेत्र से जोड़ने वाली सड़क का यह हाल है तो देश की बाकी सड़कों का अनुमान लगाया जा सकता है।

श्याम नारायन, सीनियर सिटीजन

सरकार कोई भी आए पर हालात जस के तस ही रह जाएंगे। इसलिए हमने ट्विटर पर मुहिम चलाई है ताकि ये बात नितिन गडकरी तक पहुंच सकें। जिम्मेदार प्रयास करते तो शायद यह सड़क सही हो जाती और कई लोगों की जान जाने से बच जाती।

राहुल वर्मा, प्रोफेशनल

गोला से गोरखपुर अक्सर आना-जाना होता है। लेकिन गोरखपुर-वाराणसी मार्ग के गढ्ड़े नहीं भरे। नारकीय जीवन हो चुका है। इस सड़क का हाल ऐसा है कि आए दिन यहां एक्सीडेंट होना तय है। गाडि़यां तो ऐसे फंसती हैं की पूछिए मत।

दीपक तिवारी, सर्विसमैन