- 31 जनवरी को गोरखपुर महोत्सव में शामिल होने आए निदा फाजली ने बेबाकी से रखे थे अपने ख्याल

GORAKHPUR: 'दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है, मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है.' दोपहर के वक्त अचानक निदा फाजली साहब के गुजर जाने की खबर मिली तो यही लाइनें दिमाग में बजने लगीं। 31 जनवरी को गोरखपुर महोत्सव में शिरकत करने शहर आए मशहूर शायर ने निजी बातचीत के लम्हों में यही पंक्तियां सुनाई थीं। इसके बाद तो शिवॉय होटल के कमरा नंबर 301 में उनसे मुलाकात के तमाम लम्हे जेहन में ताजा होते चले गए। गजलों से लेकर सियासी हालात तक पर उनका बेबाक अंदाज। गोरखपुर महोत्सव के मंच पर परवान चढ़ती उनकी शेर-ओ-शायरी। सब देखना, सुनना एक रुहानी तजुर्बा था। आज जब वो नहीं हैं तो उनसे जुड़ी तमाम यादें जैसे किसी जादुई एहसास सरीखी लग रही हैं।

चिली चिकन और दो तवा रोटी

शायरी, गजल और मसलों की बात करते-करते निदा साहब ने खाने का ऑर्डर दिया था। स्पाइसी चिली चिकन, दो तवा रोटी और सलाद। इसके बाद फिर शेर-ओ-शायरी पर बातों का सिलसिला शुरू हो चुका था। किसी रोते हुए बच्चे को हंसाने की मंशा रखने वाले निदा साहब उस दौरान देश के राजनीतिक हालात से काफी मर्माहत थे। उन्होंने कहा था कि देश में जो भी हालात हैं। उसकी वजह मुठ्ठी भर सियासी लोग हैं। यह सिर्फ चंद वोटों के लिए की जा रही सियासत है।

तीन बार आ चुके थे गोरखपुर

निदा फाजली तीन बार गोरखपुर आ चुके थे। 31 जनवरी को गोरखपुर महोत्सव के अलावा, दिसंबर 2014 के अलावा एक अन्य बार भी वह शहर में आए थे। हर बार उन्हें सुनने के लिए लोग पहुंचे थे।