गोरखपुर (ब्यूरो)। दीक्षा भवन में आर्गनाइज प्रोग्राम में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा, 70 परसेंट छात्राओं ने गोल्ड जीता है। अभी जहां भी जाती हूं वहां बेटियों की धूम दिखती है। ऐसा ही माहौल रहता है। उन्होंने कहा, खुशी के साथ चिंता का विषय यह है कि बेटियां आगे चल रही हैं और बेटे पीछे। उन्होंने इस पर शोध की जरूरत बताई। कुलाधिपति ने कहा, आज सभी मेधावियों को स्वर्ण पदक मिला है। इसे ले जाकर घर पर रख दें। मगर किसी से सोने की मांग न करने का भी प्रण लें। अपने दम पर आगे बढऩे की शपथ लें। किसी से मांग कर लेना बहादुरी नहीं होती है बल्कि मुझे लगता है ये सबसे बड़ी कमजोरी है। पदक हासिल करने वाले मेधावियों में 71 परसेंट छात्राओं की संख्या को देखकर मैं आनंदित हूं।

कुलाधिपति ने मोदी के काशी दौरे को किया जिक्र

पीएम के काशी दौरे का जिक्र करते हुए कुलाधिपति ने कहा, दो दिनों तक पीएम और सीएम काशी में थे। जब हमें जिंदगी में आगे बढऩा है तो जानना चाहिए कि दुनिया मे क्या है। बनारस कैसे बदल रहा है इसे पीएम ने बताया। काशी में कैसे क्या बदला? इसे यूनिवर्सिटी और प्राइमरी के बच्चों को दिखाना चाहिए।

स्टूडेंट्स को कराएं भ्रमण

कुलाधिपति ने कहा, जब जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना हो तो देश और दुनिया में क्या हो रहा है ये जानना बेहद आवश्यक है। इसके लिए बच्चों को देश दुनिया की घटनाओं से अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को भ्रमण कराने पर भी फोकस किया जाए। आज के ये विद्यार्थी आईएएस, पीसीएस, वैज्ञानिक, इंडस्ट्री तैयार करने वाले बनेंगे। राम मंदिर के निर्माण की मजबूूूती एक साल तक चले, इसे लेकर पचास फीट नीचे नींव तैयार करने को देशभर के इंजीनियर और मनीषी जुटे। तीन महीनों तक मंथन हुआ। ये वही देश है जहां हजारों वर्ष पुराने मंदिर मौजूद हैं। उस दौर के इंजीनियर क्या हमसे ज्यादा उन्नत नहीं थे। जब तक हम नहीं देखेंगे पता नहीं चलेगा।

एक-दूसरे को प्रोत्साहन करना जरूरी

कुलाधिपति ने कहा कि ऑडिटोरियम में आगे की तरफ परिषदीय स्कूलों के बच्चे बैठे हैं। उनके पीछे बैठने वाले मेधावी जब मंच पर आकर सम्मानित हो रहे थे तो मैंने देखा की ये बच्चे जोर से तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ा रहे थे। ऐसे ही जब इन बच्चों को सम्मानित किया जा रहा था तो मेधावी तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ा रहे थे। एक दूसरे का प्रोत्साहन करना बेहद आवश्यक है। ये बच्चे पहली बार यूनिवर्सिटी आए हैं। मुझे लगता है कि सभी बच्चों और स्कूली शिक्षकों को यूनिवर्सिटी में आना चाहिए। लैब, लाइब्रेरी यहां की कक्षाओं को वो देखेंगे तो उन्हें प्रेरणा मिलेगी। बच्चों के अंदर भी समाज के लिए कुछ करने का जज्बा उत्पन्न होगा।

75 परसेंट घातक बीमारियां जानवरों से मानव में फैली हैं: एके श्रीवास्तव

मिल्क और मीट के निर्यात में यूपी अग्रणी राज्यों में है। उन्होंने कुपोषण के खिलाफ जंग का आहवान करते हुए कहा कि हर व्यक्ति 10 लोगों को ऐसा मैसेज दे कि कुपोषण को लेकर वो जागरूक हों। यदि किसी बच्चे को एक हजार दिनों तक अच्छी डाइट नहीं मिलती तो वह हमेशा बीमार रहेगा। मधुमेह इसी का नतीजा है। आयोडीन साल्ट सिर्फ मेज का नमक है। यह बातें डीडीयूजीयू के कन्वोकेशन प्रोग्राम को संबोधित करते हुए चीफ गेस्ट प्रो। एके श्रीवास्तव ने कहीं। उन्होंने कहा कि किसी भी यूनिवर्सिटी के लिए एकेडमिक कलेंडर और कन्वोकेशन होता है। जिन छात्रों और छात्राओं ने पदक हासिल किया है, उन पर देश की प्रगति और विकास को लेकर अहम जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, जिन स्टूडेंट्स ने कन्वोकेशन में पदक हासिल किया है। उनपर देश को आगे ले जाने की अहम जिम्मेदारी है। दुनियाभर में फैली 75 परसेंट घातक बीमारियां जानवरों से मानव में फैली हैं। आधा पका दूध, मीट ये सब इसके अहम कारकों में शामिल हैं। बचाव की दिशा में कदम उठाने व एकजुट होकर विकास के बारे में योजना बनाने की आवश्यकता है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाली माताओं को कुपोषण के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। एक बच्चे को जन्म लेने के बाद 1000 दिनों तक पोषणयुक्त आहार की आवश्यकता होती है। जो उसे बीमारियों से जिंदगी भर दूर रखती हैं। बढ़ती जनसंख्या से पानी का संकट आता है। देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ ही है। एक नया शोध ये भी दर्शाता है कि ट्यूबर क्लासिस (टीबी) भी जानवरों से व्यक्ति में आता है। इसे लेकर गांवों में जागरुकता लानी है।

वीसी ने गिनाईं उपलब्धियां, बोले- यूनिवर्सिटी को आत्मनिर्भर बनाने किया जा रहा प्रयास

वीसी प्रो। राजेश सिंह ने कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल और मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए यूनिवर्सिटी द्वारा अर्जित उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। वीसी ने कहा कि पूर्वांचल के विकास पर आधारित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के माध्यम से पूर्वांचल के विकास का रोडमैप तैयार करने में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अहम भूमिका निभाई। यूनिवर्सिटी के सूझावों पर कैबिनेट कमेटी की ओर से कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। 40 हजार करोड़ रूपए कहां से आएंगे? कमेटी उसका खाका तैयार कर रही है। इसके साथ ही नाथपंथ पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर भी अलग अलग अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों का आयोजन किया गया। नाथपंथ पर इंटरनेशनल सेल बनाई जा रही है। गंभीरनाथ चेयर भी यूजीसी की ओर से स्थापित की जा रही है। सीबीसीएस पैटर्न को भी यूनिवर्सिटी और संबद्ध कॉलेजों के यूजी और पीजी फस्र्ट ईयर में लागू किया जा चुका है। इस पैटर्न को ध्यान में रखकर ही 63 नए सिलेबस की शुरुआत की गई है। जीरो वेस्ट कैंपस, इलेक्शन सेल, 17 अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप, 100 अंतराष्ट्रीय खिलाडिय़ों के लिए फेलोशिप, पांच रुपए नाश्ता और भोजन के लिए अदम्य चेतना फाउंडेशन से करार हुआ है। इसके अलावा जीरो वेस्ट कैंपस की स्थापना की है। यूनिवर्सिटी को क्यू एस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में देश के शैक्षणिक संस्थानों में 96वीं और राज्य यूनिवर्सिटी में पहला स्थान मिला है। कन्वोकेशन प्रोग्राम का संचालन डॉ। तुलिका मिश्रा ने किया।

रिसर्च के लिए दिलाई शपथ

कुलाधिपति के संबोधन से पहले संकायाध्यक्ष ने शोध करने वाले छात्र और छात्रों को प्रतिज्ञा दिलाई। वीसी प्रो। राजेश सिंह ने गेस्ट्स का स्वागत करते हुए कहा कि लोक शिक्षक के रूप में राज्यपाल की मान्यता है। उन्हें कई पुरस्कार मिले र्हं। टीवी ग्रस्त रोगियों और प्राइमरी स्कूल के छात्रों के प्रति आप में करुणा है। कृषि विज्ञानी प्रो। एके श्रीवास्तव ने कहा कि ग्लोबल और लोकल के बीच समन्वय स्थापित करना मेरा उद्देश्य रहा है। गोरखनाथ पीठ, और अन्य गतिविधियों से यूनिवर्सिटी को वैश्विक रूप प्रदान किया गया है।

सूची

यूजी के टॉपर्स

बीए: मोहम्मद इरशाद अली, 81.34 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

बीएससी: निकिता गुप्ता, 84.22 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

बीएससी एग्रीकल्चर: अनुष्का सिंह, 82.57 प्रतिशत, बीआरडी कॉलेज गोरखपुर

बीकॉम : मधुप्रिया, 79.00 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

बीएड : अपर्णा ओझा, 95.88 प्रतिशत, सरस्वती विद्या कॉलेज आर्यनगर गोरखपुर

एलएलबी :च्योति कुमारी, 74.70 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

एमबीबीएस : आयुष सिंह, 68.11 प्रतिशत, बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर

पीजी के टॉपर्स

दृश्य कला : निधि गुप्ता, 79.65 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

मंच कला : आकृति यादव, 78.95 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

गृह विज्ञान : वशिष्ठ त्रिपाठी शालिनी, 73.44 प्रतिशत, सीआरडीपीजी कॉलेज

मनोविज्ञान : दिव्या सिंह, 81.30 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

संस्कृत : पुष्पा यादव, 84.15 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

भूगोल : निहारिका यादव, 80.80 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

इतिहास : पूजा श्रीवास्तव, 76.40 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

प्रा। इतिहास : विकास रौनियार, 81.60 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

उर्दू : अक्सा बतूल, 77.70 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

अंग्रेजी : औजाह इरफान, 76.90 डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

समाजशास्त्र : अप्रनेश यादव, 73.55 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

दर्शनशास्त्र : प्राची सिंह, 72.50 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

हिंदी : आशुतोष कुमार तिवारी, 78.40 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

राजनीति शास्त्र : मल्लिका पांडेय, 77.60 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

शिक्षाशास्त्र : प्राची पांडेय, 79.20 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

रक्षा, स्त्रातजिक अध्ययन : सोनल दूबे, 97.60 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

रसायन शास्त्र - सपना पांडेय, 83.92 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

गणित : प्रांजल शर्मा, 96.30 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

प्राणि विज्ञान : अर्पित सिंह, 85.32 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

वनस्पति विज्ञान : आर्यमा मिश्र, 84.68 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

भौतिकी : अर्जुन कुमार, 80.75 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

जैव प्रौद्योगिकी : शिवांगी रूंगटा, 85.20 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

सांख्यिकी : निधि मिश्रा, 86.68 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

पर्यावरण विज्ञान : दिव्या शर्मा, 82.08, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

माइक्रोबायलोजी : मोहिनी मौर्या, 83.16 प्रतिशत, डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी

राज्यपाल के हाथों मेडल पाकर मेधावियों के खिल उठे चेहरे

डीडीयूजीयू के कन्वोकेशन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के हाथों 45 स्टूडेंट्स को स्वर्ण पदक और 76 को स्मृति पदक दिए गए। राज्यपाल के हाथों मेडल और शाबाशी पाकर यूनिवर्सिटी के मेधावियों के चेहरे खिल गए। कुलाधिपति ने अपने संबोधन ने छात्रों को जमकर हौंसल बढ़ाया।

नंबर वन आने पर खुशी

मैने लगन से पढ़ाई की। जो क्लास में सर लोग लेक्चरर देते थे उसे घर पर जाकर एक रिवाइज करता था। मैं बीए में ओवरऑल नंबर वन आया हूं। बहुत खुशी मिल रही है। हमने 6 से 7 घंटे की पढ़ाई की है। सिविल सर्विसेस की तैयारी के लिए दिल्ली में एडमिशन लिया हूं। मुझे क्लास में सर लोगों से अच्छा गाइड मिलता था।

बीए- ब्वॉयज- मोहम्मद इरशाद अली

मेडल- 1+4

पिता- रामकुमार

माता-आखिया खातून

घर- सोहरतगंज, सिद्धार्थनगर

घर के लोग खुश हैं

हमने मेहनत की और रिजल्ट अच्छा आया, लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि मैं टॉप करूंगी। कुलाधिपति से मेडल पाकर बहुत खुशी हो रही है। हमारे मम्मी पापा से काफी सहयोग मिला। मेरी सफलता से घर के लिए बहुत खुशी हैं। अब पीजी करूंगी। उसके बाद पीएचडी करके टीचर की तैयारी करूंगी।

बीए- गल्र्स- समरीन मुशर्रफ

मेडल- 0+2

पिता- मुशर्रफ जहांंगीर खान

माता-रिजवाजान खातुन

घर- नवलपुर, देवरिया

नोट बनाकर की तैयारी

हमने नार्मल पढ़ाई की। पढ़ाई को कभी लोड नहीं समझा। क्लास में सीरियस होकर सर लोगों का लेक्चर सुनता और नोट बनाकर पढ़ा हूं। शुरू से ही मेरा रुझान पत्रकारिता को लेकर था, फोटोग्राफी करना हमारा शुरू से शौक रहा है। इसलिए हमने बीएससी कम्प्लीट करने के बाद बीजे कोर्स करने का इरादा बनाया।

बीजे- निखिल तिवारी

मेडल- 1+1

पिता- पवन तिवारी

माता-संजू तिवारी

घर- मिश्रौली, सलेमपुर, देवरिया

लगन से की पढ़ाई

पढ़ाई लगन से की, मगर मेडल का चाह नहीं थी, हिन्दी हमारा पसंदीदा सब्जेक्ट रहा। इसलिए इसमें रुचि ली। पीएचडी करके आगे किसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन कर पढ़ाने का लक्ष्य है। मेडल मिला है मगर संतोष अभी इससे नहीं है। हमारी साहित्यिक गतिविधियों को देखकर हमारे सर लोग यही कहते हैं। जो प्रतिभा है। उसे ही आगे लेकर चलना चाहिए।

एमए हिन्दी- आशुतोष कुमार तिवारी

मेडल- 1+5

पिता- गोविन्द तिवारी

माता-उषा तिवारी

घर- खड्डा, कुशीनगर

पापा से मिला मोटिवेशन

पापा संस्कृत के प्रोफेसर थे इसलिए हमने संस्कृत विषय को चुना और लगन से पढ़ाई की। मुझे 8 मेडल पाकर खुशी हो रही है। पापा से हमेशा मोटीवेशन मिलता रहता है, हाईस्कूल मे मुझे अच्छे माक्र्स मिले थे। वही क्लास मेरे लिए प्रेरणा बना। उसी समय टीचर बनने की ठान ली, मैं मेडल के लिए नहीं टीचर बनने के लिए पढ़ाई कर रही हूं। यह तो मेरे लिए बस एक तोहफा है। इससे मेरी शिक्षा की उड़ान को और पंख लगेंगे। मैं बहुत खुश हूं।

एमए संस्कृत- पुष्पा यादव

मेडल- 2+6

पिता- राम अंगद यादव

घर- गोरखपुर

मेडल पाकर गदगद हूं

कुलाधिपति से मेडल पाकर गदगद हो गया। इससे आगे की पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ेगी। पापा हमारे व्यवसायी हैं और भैया वकील व दीदी स्कूल में गवर्नमेंट टीचर हैं। इन लोगों का हमेशा पढ़ाई को लेकर मुझे सहयोग मिला है। आगे मैं पीएचडी करके किसी यूनिवर्सिटी में टीचिंग का काम करूंगा।

एमए एमएससी मैथ्स- प्रांजल शर्मा

मेडल- 1+7

पिता- अशोक कुमार शर्मा

घर- तिवारीपुर गोरखपुर

जज बनूंगी

मैं इस साल एलएलएम करूंगी, उसके बाद जज की तैयारी करूंगी। मुझे कुलाधिपति से दो यूनिवर्सिटी और चार स्मृति मेडल मिले हैं। मैंने मन लगाकर पढ़ाई की गई, मुझे मेडल की उम्मीद नहीं थी कि मैं ही टॉप नंबर लाऊंगी। हमने यूजी भी यहीं से किया है। यहां पढ़ाई काफी अच्छी होती है, इसलिए हमने बिहार से आकर गोरखपुर यूनिवर्सिटी को चुना है। आगे भी एलएलएम यही से करूंगी।

बीए एलएलबी- ज्योति कुमारी

मेडल- 1+4

पिता- अजय कुमार पाठक

घर- बिहार, गोपालगंज

मां-पापा हैं मेरी प्रेरणा

आर्मी पब्लिक स्कूल में मम्मी टीचर हैं और पापा लैब में हैं। उन्हीं लोगों से प्रेरणा लेकर मैने एनसीसी चुनी है। आगे मुझे सीडीएस की तैयारी करनी है और आर्मी में जाना है। हमने एमएससी केमेस्ट्री में एडमिशन लिया हूं। शुरू से मेरा लक्ष्य रहा है कि मैं आर्मी में जाकर देश की सेवा करूं। गवर्नर मैम से मेडल पाकर अच्छा लगा।

बीएससी एनसीसी थर्ड ईयर- शिवांगी रावत

मेडल- 0+1

पिता- नागेन्द्र सिंह रावत

माता-अनिता रावत

घर- पौड़ी गड़वाल, उत्तराखंड

कुलाधिपति ने लगाया चंदन का पौधा

यूनिवर्सिटी के 40वें कन्वोकेशन में शामिल होने आईं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने दीक्षा भवन स्थित कुलाधिपति वाटिका में चंदन का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इसके पूर्व में कुलाधिपति के द्वारा कुलाधिपति वाटिका में पौधरोपण किया गया।

एनसीसी कैडेट्स ने दिया गॉर्ड ऑफ ऑनर

कुलाधिपति आंनदीबेन पटेल को कन्वेंशन हाल परिसर में गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रो। डीएन मौर्या, प्रो। विनिता पाठक, डॉ। अनुपम सिंह के नेतृत्व में एनसीसी के विद्यार्थियों ने महामहिम को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया।

गृहविज्ञान विभाग के पोषण कैलेंडर और स्मारिका का विमोचन

कन्वोकेशन प्रोग्राम के अंतर्गत कुलाधिपति ने होम साइंस डिपार्टमेेंट के पोषण कैलेंडर और यूनिवर्सिटी की स्मारिका का भी विमोचन किया। इस दौरान चीफ गेस्ट प्रो। एके श्रीवास्तव, कुलपति प्रो। राजेश सिंह और गृह विज्ञान की अध्यक्ष प्रो। दिव्या रानी सिंह एवं स्मारिका के संपादक प्रो। गौर हरि बेहरा मौजूद रहे।