गोरखपुर (ब्यूरो)। वहीं, कम्पाउंडर और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के भरोसे संचालित हो रही डीडीयू की डिस्पेंसरी में दवा तक की किल्लत है। कैंपस में बने इस सीएचसी में सामान्य उल्टी, बुखार की दवाएं छोड़कर अन्य कोई दवा नहीं मिलती। ऐसे में यहां इलाज की आश लेकर आने वाले स्टूडेंट, टीचर और कर्मचारियों के साथ किसी दिन अनहोनी हो जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।

पेरासिटामोल और गैस की दवा से हो रहा स्टूडेंट्स का इलाज

डीडीयू के सीएचसी में उल्टी, गैस, बुखार को छोड़कर किसी अन्य बीमारी की दवा नहीं मिलती है। यहां तैनात कांट्रैक्ट के डॉक्टर और कर्मचारी स्टॉक में उपलब्ध पेरासिटामोल और एसीलॉक देकर स्टूडेंट्स का इलाज करते हैं। इसके अलावा गंभीर बीमारी की शिकायत लेकर पहुंचने वाले स्टूडेंट्स को बिना चेकअप के सीधेे जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।

दिन के पौने एक बजे भी ओपीडी में नहीं मिले डॉक्टर

सोमवार को दिन में पौने एक बजे डीडीयू की डिस्पेंसरी में पहुंचने पर यहां तैनात दो में एक भी डॉक्टर नहीं मिले। डॉक्टर के बारे में पूछने पर सीएचसी में बैठे कम्पाउंडरों ने बताया कि वे करीब एक घंटे पहले ही जा चुके हैं, जबकि अस्पताल में बैठने का समय सुबह आठ बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक है। यह समय डॉक्टर से लेकर कम्पाउंडर और आउटसोर्सिंग कर्मचारी सभी पर लागू होता है।

पांच डाक्टरों के पद पर सिर्फ दो की तैनाती, होम्योपैथ में नहीं हैं डॉक्टर

डीडीयू की डिस्पेंसरी में पांच डाक्टरों के पद हैं। इसमें से होम्योपैथ के एकमात्र डॉक्टर सालभर पहले ही रिटायर हो चुके हैं। वहीं, एलोपैथ में चार डॉक्टरों के पद होने के बावजूद दो स्थाई डॉक्टरों का पद साल 2017 से खाली चल रहा है। ऐसे में करीब सात साल से यह डिस्पेंसरी केवल दो कांट्रैक्ट वाले डॉक्टरों के भरोसे संचालित हो रही है।

हफ्ते में 6 दिन ही खुलती है डिस्पेंसरी, छुट्टी वाले दिन रहती है बंद

यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स, टीचर और कर्मचारियों के लिए चलने वाली डिस्पेंसरी हफ्ते में केवल 6 दिन ही खुलती है। वहीं यूनिवर्सिटी के छुट्टी वाले दिन सीएचसी भी बंद रहती है। ऐसे में हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स को इमरजेंसी के केस में जिला अस्पताल और अन्य अस्पतालों की ओर रूख करना पड़ता है।

सीएचसी में भर्ती करने की नहीं है कोई सुविधा

डीडीयूृ की सीएचसी में पेशेंट्स को भर्ती करने की कोई सुविधा नहीं है। यहां करीब 20 से 25 स्टूडेंट, टीचर और कर्मचारी अपना इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन गंभीर बीमारी की स्थिति में यहां तैनात स्टॉफ उन्हें तुरंत जिला अस्पताल एवं अन्य अस्पतालों के लिए रेफर कर देते हैं, जबकि इसे उच्चीकृत स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा प्राप्त है। वहीं, यहां मिलने वाली ब्लड टेस्ट, यूरीन की जांच समेत अन्य सुविधाएं भी बंद हो चुकी हैं।

सालाना 15 लाख का डिस्पेंसरी बजट

डीडीयू के सीएचसी का सालाना बजट 15 लाख रूपये का है। यानी एक साल में यहां 15 लाख तक की दवाइयां खरीदी जा सकती हैं। इसके लिए यूनिवर्सिटी के एफओ की अनुमति जरूरी होती है। यह व्यवस्था इसी साल नई कुलपति के आने के बाद लागू हुई है। इससे पहले यहां कोटेशन के माध्यम से खरीद की जाती थी।

सीएचसी पर इन जानलेवा बीमारियों का नहीं है कोई इलाज

- यहां सांप काटने की दवा नहीं मिलती

- डिस्पेंसरी में नहीं उपलब्ध है रैबीज का इन्जेक्शन

- जहर खाने वाले लोगों को नहीं मिल पाएगा इलाज

- करंट की चपेट में आने वालों को यहां नहीं मिल पाएगा इलाज

हमारी तबीयत खराब होने पर मजबूरी में घर जाना पड़ता है, क्योंकि यहां इलाज और देखभाल के लिए हमारे कोई सहारा नहीं है। यूनिवर्सिटी की डिस्पेंसरी में पैरासिटामाल और ऐसीलॉक को छोड़कर कोई दवा नहीं मिलती।

- अदिती, हॉस्टलर, डीडीयूजीयू

एकबार गर्मी के चलते मुझे कैंपस के अंदर ही चक्कर आ गया था। आनन-फानन में डिस्पेंसरी पहुंची तो यहां इलेक्ट्राल देकर बोला गया कि यहां बस यही उपलब्ध है। परेशानी दूर नहीं हुई तो जिला अस्पताल पहुंचकर ड्रिप चढ़वाया तब जाकर आराम मिला।

- अंजली, स्टूडेंट, डीडीयूजीयू

हम लोग हॉस्टल में रहते हैं, यहां तबीयत खराब होने पर सीएचसी में जाने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है, लेकिन दोपहर दो बजे यह बंद हो जाती है। वहीं, छुट्टियों के दिन भी यह बंद रहती है। इसके चलते बहुत परेशानी होती है।

- अंकित वर्मा, हॉस्टलर, डीडीयूजीयू

एक दिन रात में मेरे रूममेट की तबीयत खराब हो गई थी। मजबूरी में हमें उसे लेकर प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ा था। अगर डिस्पेंसरी चौबीस घंटे चलती तो हमें परेशानी नहीं उठानी पड़ती। यूनिवर्सिटी प्रशासन को इसपर ध्यान देना चाहिए।

- रंजीत चौरसिया, हॉस्टलर, डीडीयूजीयू

सीएचसी को अपग्रेड करने का प्लान तैयार किया जा रहा है। यहां दो डाक्टरों के तैनाती की प्रक्रिया चल रही है। जेम पोर्टल से खरीद का नियम होने के चलते ही दवा खरीद में लेट हुआ है। जल्द ही यहां दवा उपलब्ध करा दी जाएगी। किसी भी सूरत में स्टूडेंट्स को परेशानी नहीं होने दी जाएगी। डिस्पेंसरी बंद होने के बाद उन्हें ऑन काल सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

- प्रो। शांतनु रस्तोगी, कुलसचिव, डीडीयूजीयू