गोरखपुर (ब्यूरो)। इन सड़कों की हालत ऐसी हो गई है कि यहां सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क यह तय कर पाना म़ुश्किल हो है। करीब 10 साल से मरम्मत के अभाव में खस्ताहाल बनीं ये सड़कें राहगीरों को कमर दर्द दे रही हैं। इन सड़कों को बनाने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से करीब तीन महीने पहले कवायद शुरू की गई थी। जीडीए ने इसके लिए तीन करोड़ 75 लाख रूपये का प्रस्ताव भी तैयार किया था। लेकिन शासन से स्वीकृति न मिलने के चलते यह फिलहाल ठंडे बस्ते में है। मेन कैंपस की बात करें तो यहां कोई ऐसी सड़क नहीं है जहां गड्ढों के साथ गिट्टी और धूल उड़ते न मिल जाए। इससे इन सड़कों पर चलने वाले स्टूडेंट, टीचर और कर्मचारी गाड़ी की बजाय पैदल चलने में ही भलाई समझते हैं। छात्रों का कहना है कि इन गड्ढों में गिरने से बेहतर है कि पैदल चलकर धूप और हीटवेव ही झेल लिया जाए।

हर दस कदम पर टूटी है सड़क

यूनिवर्सिटी के मेन कैंपस की बात करें तो यहां हर दस कदम पर सड़क पूरी तरह से गढ्ढे में तब्दील हो चुकी है। मेन गेट से अंदर घुसते ही एनएसएस ऑफिस के सामने ही सड़क की उखड़ती गिट्टियां इसकी तस्दीक करती हैं। कुछ कदम आगे बढऩे पर कैंटीन के सामने तो सड़क के ऊपर से गुजरना सबसे बड़ा चैलेंज है। यहां गिरकर कई बार स्टूडेंट्स और कर्मचारी चोटिल हो चुके हैं। वहीं इससे आगे बढऩे पर मनोविज्ञान डिपार्टमेंट के सामने इतना बड़ा गढ्ढा है कि इसमें अक्सर बड़ी गाडिय़ां भी फंस जाती हैं। वहीं आर्ट्स फैकल्टी से मेन गेट तक जाने वाले लेफ्ट लेन वाले रास्ते को सीएम के दौरे के दौरान पैचिंग करके सही करने की कोशिश की गई थी। लेकिन बाद में यह पैचिंग भी उजडऩे लगी है। वहीं, केमेस्ट्री डिपार्टमेंट और प्राक्टर ऑफिस के सामने कट वाली सड़क के गढ्ढे ढाई फिट से भी ज्यादा गहरे हो चुके हैं।

हॉस्टल्स की हालत और खराब

यूनिवर्सिटी के मेन कैंपस के अलावा यहां बने छात्रावासों की सड़कें तो ज्यादा खराब हालत में हैं। गौतम बुद्धा, संतकबीर और स्वामी विवेकानंद हॉस्टल के अंदर और आस-पास की सड़कों पर गढ्ढे इतने गहरे हो चुके हैं कि यहां अक्सर स्टूडेंट्स की बाइक पलट जाती है। वहीं, टीचर्स कॉलोनी का हाल भी बदहाल है। चाहे वह हीरापुरी हो या कचहरी बस स्टैंड के पास मौजूद प्रोफेसर कॉलोनी में गड्ढों के चलते यहां आना-जाना मुश्किल टॉस्क है। यूनिवर्सिटी के एक कर्मचारियों ने बताया कि दस साल पहले एक बार सड़क बनी थी। तबसे मरम्मत तक नहीें हुई। इससे सड़क पर चलना काफी मुश्किल काम है।

बरसात में होती है परेशानी

एक महीने बाद जुलाई से बारिश का मौसम शुरू हो जाएगा। इसके बाद इन सड़कों से गुजरना और मुश्किल हो जाएगा। बारिश के दिनों में सड़कों पर पानी भर जाने से अक्सर यहां बाइक और पैदल चलने वाले लोगों के फिसलने का डर बना रहता है। कभी-कभी तो गड्ढों का अंदाज न मिलने से बाइक सवार इसमें गिरकर गंभीर रूप से चोटिल हो जाते हैं।

यूनिवर्सिटी का कोई ऐसा कोना नहीं बचा है जहां सड़क में दो फिट से कम के गढ्ढे न बने हों। पैदल चलना तो मुश्किल है ही। यहां अक्सर बाइक और सायकिल भी फिसल जाती है। अगले महीने से बारिश शुरू होने वाली है जिससे परेशानी और बढ़ जाएगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन को सड़कों की मरम्मत करानी चाहिए।

- लाभांश, स्टूडेंट, डीडीयूजीयू

आर्ट्स फैकल्टी जाते समय एकबार मैं गढ्ढे में फंसकर गिर चुका हूं। अब यहां से गुजरते समय पटरी से होकर जाता हूं। जर्जर सड़क से गुजरने पर अक्सर ऐसा महसूस होता है कि ये गढ्ढे कहीं परमामेंट कमर का दर्द न दे दें। यूनिवर्सिटी प्रशासन को जल्द से जल्द सड़क बनवाने पर विचार करना चाहिए।

- सक्षम, स्टूडेंट, डीडीयूजीयू

जर्जर सड़कों को बनाने का प्रस्ताव तैयार है। शासन की स्वीकृति मिलते ही इसका काम शुरू करा दिया जाएगा। चुनाव के बाद स्वीकृति मिलने की संभावना है। यूनिवर्सिटी का कायाकल्प करने की कवायद चल रही है।

- प्रो। शांतनु रस्तोगी, कुलसचिव, डीडीयूजीयू