गोरखपुर (ब्यूरो)।इसके बाद यूनिवर्सिटी को 'ए प्लस प्लस' ग्रेड तो मिल गया, लेकिन 91 लाख रुपए से तैयार हो रही जिम अभी तक चालू नहीं हो सकी। यूनिवर्सिटी के पास फंड की कमी होने की वजह से बहुत सारे काम पेंडिंग हैं। कैंपस में शुद्ध पेयजल की किल्लत है। कई डिपार्टमेंट जर्जर हो रहे हैं, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को 7 महीनों से सैलरी नहीं मिली।

टीमों को नहीं मिला फंड

खेलो इंडिया गेम्स में डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी का प्रदर्शन काफी खराब रहा। यूनिवर्सिटी को पूरे इवेंट में केवल एक मेडल मिला वो प्लेयर भी यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कॉलेज का था। इतने खराब प्रदर्शन की वजह यूनिवर्सिटी प्रशासन खुद है। प्लेयर्स की मानें तो कई गेम्स के ट्रायल ही नहीं हुए। जिनके हुए उनमें से भी कई टीमें यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से फंड रिलीज न होने की वजह से पार्टिसिपेट नहीं कर पाईं। जिन स्टूडेंट्स ने अपना पैसा लगाकर यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व किया उनको भी अभी तक पैसा नहीं मिला।

प्लेयर्स को नहीं मिल रही सुविधाएं

स्टूडेंट्स जब यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेते हैं तब उनसे स्पोट्र्स की फीस ली जाती है। ट्रायल होने के बाद प्लेयर्स को कैंप लगाकर ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें उनकी डाइट का भी खास ख्याल रखा जाता है। कुछ स्टूडेंट्स ने बताया कि पहले उनकी डाइट का खर्च यूनिवर्सिटी की ओर से दिया जाता था, लेकिन पिछले तीन सालों से यह बंद हो गया है। वहीं, उनकी ट्रेनिंग के लिए न ही कोच हैं और न ही सुविधाएं।

बाहर ट्रेनिंग कर रहे प्लेयर्स

सूत्रों की मानें तो जिम के इक्विपमेंट करीब 91 लाख रुपए में आए थे। सभी मशीनें 6 महीने से आकर रखी हुई हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन भी इसको लेकर शांत है। इसकी वजह से प्लेयर्स बाहर मार्केट में मोटी फीस देकर ट्रेनिंग करने को मजबूर हैं।

इनॉगरेशन न होने की वजह से अभी जिम को चालू नहीं किया गया है। नया सेशन शुरू होने से पहले ट्रेनर अप्वाइंट कर इसे प्लेयर्स के लिए खोल दिया जाएगा।

प्रो। विनय सिंह, उपाध्यक्ष, क्रीड़ा परिषद