नशे में जिंदगी

- शहर में स्टेट्स सिंबल तो किसी ने शौक में शुरू किया नशा

- काउंसलर और रिहेलिबेशन सेंटर पर सामने आते हैं ऐसे मामले

शहर के भीतर नशा का शौक करने वाले धीरे-धीरे इसके दलदल में फंसते जाते हैं। कभी शौकियां तो कभी दोस्तों के बीच स्टेटस सिंबल के रूप में ड्रग्स की शुरुआत लोगों की जिंदगी दलदल में ढकेल देती है। पुलिस रिकार्ड के अनुसार, शुरुआत में नशा सबको ठीक लगता है। बाद में इसकी आदत पड़ जाती है। क्रिमिनल एक्टिविटी में पकड़े गए आरोपित भी इसे शौकियां शुरू करने की बात कह चुके हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कुछ युवाओं में फैशन की वजह से इसकी लत लगती है। लेकिन यह कब लत में बदल जाए। इसका अंदाजा नहीं लग पाता।

मजे के लिए लेते नशा, बढ़ जाती तड़पन

पुलिस और रिहैलिबेशन सेंटर से जुड़े लोगों का कहना है कि यूथ में नशे का फैशन होता है। लोगों को धीरे-धीरे इसका मजा आता है। फिर ये उनकी ललक बन जाता है। बाद में यह स्थिति होती है कि नशे के बिना कोई रह नहीं पाता है। नशा न मिलने पर बेचैनी सहित कई शिकायतें सामने आती हैं। इसके साथ यह भी होता है कि तमाम लोग यह सोचकर नशा शुरू करते हैं कि मजे के लिए ले रहे हैं। लेकिन आगे चलकर उनको नशा आदत के रूप में जकड़ लेता है।

ऐसे लगती लत, बढ़ती जाती प्रॉब्लम

डॉक्टर्स का कहना है कि जब हम किसी नशीली चीज का सेवन करते हैं तो वो सीधे हमारे दिमाग पर असर डालती है। फिर वह दिमाग के कुछ हिस्सों को प्रभावित करने लगती है। फिर हमारा दिमाग वैसी ही भावनाएं उत्पन्न करने लगता है। यह उसी तरह से होता है जैसी कि कोई चीज हमें काफी पसंद हो। उसके लिए जितनी इच्छा होती है। उसी तरह से नशे के लिए इच्छा जागती है। लेकिन अन्य चीजों की अपेक्षा ये ज्यादा मोटिवेशनल होती है। यह भावना ब्रेन में डोपामीन हार्मोन के रूप में केमिकल मैसेज देती है। इसी वजह से लोगों में नशीली चीज लेने की तीव्र इच्छा होती है। इच्छा जागने पर नशे के आदी बेचैन होकर नशा तलाशने लगते हैं। कुछ लोग इसको अमल भी कहते हैं। जबरजस्त इच्छा होने पर इसे छोड़ पाना मुश्किल होता है।

ये आते बदलाव

नशे की शुरुआत अक्सर शौकियां होती है, कई बार दोस्त दबाव बनाते हैं।

दोस्तों संग होने पर लोग इनकार नहीं कर पाते। बाद में इसकी आदत पड़ जाती है।

नशीली चीजों के असर से नशा करने वाले खुद पर कंट्रोल नहीं रख पाते।

मन पर काबू नहीं रहता है। बॉडी भी कंट्रोल से बाहर निकलती जाती है।

नशा न करने पर व्यक्ति अक्सर चिड़चिड़ा और परेशान हो जाता है।

नशे की तलब पूरी होते ही व्यक्ति सामान्य और खुद को हल्का महसूस करता है।

नुकसान बताएं, ये कदम उठाएं

-बात को बिना घुमाए-फिराए बच्चे को इसके बारे में बताएं।

-पैंरेट्स की जिम्मेदारी है कि बच्चों को इसके नुकसान से अवेयर करें।

-नशा लेने के बाद क्या- क्या प्रॉब्लम आती है। इसके बारे में जानकारी दें।

-यदि कोई बच्चा ड्रग्स ले रहा है तो उसकी इंसल्ट न करें, बल्कि प्यार से समझाएं।

-बच्चों पर पूरा भरोसा रखते हुए उसे नुकसान समझाने के बारे में जानकारी दें।

-यदि किसी ने ड्रग्स लेना शुरू कर दिया है तो उसकी वजह जानने की कोशिश करें।

-ड्रग्स के लक्षणों को पहचाने, किसी तरह के बदलाव नजर आने पर तत्काल सजग हो जाएं।

-हर वक्त सोना, सामने आने से बचना, बहुत खाना या फिर बिल्कुल न खाना सहित कई बदलाव होते हैं।

- ड्रग की लत लग जाने पर इसे छोड़ पाना मुश्किल होता है। इसलिए मदद करें, एडिक्शन सेंटर ले जाएं।

ऐसे छूटेगी नशे की लत

नशा छोड़ने के लिए पहले इच्छा शक्ति को मजबूत करना होगा।

नशा छोड़ने के लिए पहले उसकी मात्रा कम करें, फिर उससे दूरी बनाएं।

अपनी फैमिली और दोस्तों की मदद लें। इस पर ध्यान दें कि जिंदगी अनमोल है।

नशे की चीजों के दूसरे आप्शन भी मौजूद हैं। उनका सेवन किया जा सकता है।

पॉजिटिव रहें और फिजिकली एक्टिव रहें, दिल को खुश रखने की कोशिश करें।

वर्जन

ऐसे तमाम मामले हैं जिनमें शुरुआत में शौकियां या फिर दोस्तों के दबाव में लोगों ने नशा शुरू कर दिया। अच्छा लगने पर इसकी लत लग गई। धीरे-धीरे इस कदर नशे के आदी हो गए कि बिना इसके काम नहीं चल पा रहा था। इसलिए नशे की मात्रा बढ़ती चली गई।

दुर्गेश सिंह चंचल, को डायरेक्टर, शुद्धिकरण नशा मुक्ति केंद्र

कई बार ऐसे लोगों को पकड़ा गया है जो नशे की लत पूरी करने के लिए चोरी, लूट, सहित अन्य घटनाओं में शामिल हो गए थे। पूछताछ में यह सामने आया है कि उन्होंने पहले शौकियां शुरूआत की। इसके बाद इसके आदती होते चले गए। नशे की जरूरत पूरी करने केलिए क्राइम करने लगे।

वीपी सिंह, सीओ कोतवाली