- दीवाने की महफिल में पॉलिटिक्स पर भी जमकर वार

- बातों-बातों में केजरीवाल पर भी खूब साधे निशाने

GORAKHPUR: 'उसे जिद थी झुकाओ सर, तभी दस्तार बख्शुंगा, मैं अपना सिर बचा लाया, महल और ताज उस पर है' गोरखपुर के लोगों को दिल्ली सरकार से अपने अलग होने की दास्तान जब कुमार विश्वास ने इस अंदाज में सुनाई, तो माहौल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, तो वहीं लोगों ने खूब ठहाके भी लगाए। मौका था, नेशनल एजुकेशनल सोसायटी की ओर से संचालित कॉलेजेज के गोल्डन जुबिली सेलिब्रेशन का, जहां देश के उम्दा कवियों की कतार में ऊपर आने वाले कुमार विश्वास लोगों से अपनी कविताओं के जरिए रूबरू थे। दीवाने की इस महफिल में जहां पॉलिटिक्स पर कविताओं के साथ बातों से खूब तंज हुआ, तो वहीं नेताओं और उनके काम पर भी खूब शब्द-बाण चले।

गोरखपुर की हस्तियों का भी किया जिक्र

डॉ। कुमार विश्वास जब स्टेज पर पहुंचे और उन्होंने कविताओं का सिलसिला शुरू किया, तो शुरुआत अपने ऑल टाइम हिट 'कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है' से की। इसके बाद कविताओं का दौर शुरू हो गया। बीच-बीच में जहां उन्होंने पॉलिटिकल लीडर्स की चुटकियां ली, तो वहीं गोरखपुर की हस्तियों का भी जिक्र किया। उन्होंने फिराक गोरखपुर, महादेवी वर्मा को भी याद किया, तो वहीं नाथ परंपरा का जिक्र करना भी नहीं भूले। इसके साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन में गोरखपुर के आंदोलनकारियों की भी उन्होंने याद दिलाई। देर रात तक सजी इस महफिल का लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया।