- करीब पांच करोड़ की लागत से चरगांवा आईटीआई परिसर में बना ट्रेनिंग सेंटर

-आरटीओ ने शासन को भेजा पत्र, अब हरी झंडी का इंतजार

GORAKHPUR: गोरखपुराइट्स को फोर व्हीलर और टू व्हीलर की ट्रेनिंग लेने के लिए अब इधर-उधर भटकना नहीं होगा और न ही इसके लिए ज्यादा रुपये खर्च करने होंगे। अगले महीने से वाहन ट्रैनिंग टै्रक की सुविधा मिलेगी। आरटीओ विभाग की ओर से चरगांवा आईटीआई परिसर में करीब पांच करोड़ की लागत से ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (डीटीआई) बनकर तैयार हो चुका है। सिर्फ कार्यदायी संस्था की तरफ से भवन और ट्रेनिंग सेंटर को हैंडओवर करना है। इसके बाद गाड़ी सीखने वालों को सुविधाएं मिलने लगेंगी। हालांकि आरटीओ ने टेंडर के लिए शासन को पत्र भेज दिया है। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी।

कम खर्च पर डाइविंग ट्रेनिंग

फोर व्हीलर हो या टू व्हीलर चलाने वालों को अब अपनी जेब ज्यादा ढीली नहीं करनी पड़ेगी। प्राइवेट ट्रेनिंग सेंटर में कार सीखने के लिए 3000 हजार और टू व्हीलर की ट्रेनिंग लेने के लिए 2000 हजार देने पड़ते थे। उससे इसमें कम ख्ार्च होगा।

ट्रैक का कार्य पूरा

भवन का रंगरोगन और ट्रैक का कार्य पूरा हो चुका है। सिर्फ संकेतक बोर्ड लगाया जाना बाकि है। कार्यदायी संस्था के अनुसार, अगले महीने तक ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर को आरटीओ के हवाले कर दिया जाएगा। इसके बाद आरटीओ की तरफ से सेंटर पर वाहनों की ट्रेनिंग दी जाएगी।

चार एकड़ जमीन पर बना इंस्टीट्यूट

चरगांवा आईटीआई की खाली पड़ी लगभग चार एकड़ जमीन पर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनाया गया है। इस ट्रेनिंग स्कूल पर कुल लगभग पांच करोड़ रुपये खर्च हुए है। जानकारी के मुताबिक, परिवहन विभाग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट चलाने के लिए टेंडर निकालेगा। टेंडर के आधार पर नामित फर्म ही इस इंस्टीट्यूट का संचालन करेगी।

यह मिलेंगी सुविधाएं

अगर स्कूल ट्रेनिंग संचालक गाड़ी प्रोवाइड कराते हैं तो बहुत कम फीस देनी होगी।

-जिनके पास गाड़ी होगी उन्हें फ्री में गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग मिल सकेगी।

-साथ ही ट्रेनिंग के बाद सर्टिफिकेट भी जारी होगा। इससे आरटीओ से लाइसेंस लेने में भी ज्यादा परेशानी नहीं होगी

-आरटीओ की इस पहल से फर्जी सर्टिफिकेट से लाइसेंस लेने वालों पर भी लगाम लगेगा।

टेस्टिंग ट्रैक की तरह व्यवस्था

-टीआईआरसी की तर्ज पर ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक से मिलता-जुलता ही ट्रेनिंग के लिए भी ट्रैक है।

-सड़कों की जरूरत के हिसाब से ट्रैक बनाए गए हैं। सिंगल आठ एच शेप और वाई शेप का ट्रैक बना है।

-इसके अलावा किसी कर्व सड़क के टेल एंड से गाड़ी कैसे वापस लेनी है। यह भी दिखाया गया है।

वर्जन

ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर का काम लगभग पूरा हो चुका है। टेंडर के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद ट्रेनिंग सेंटर शुरू करा दिया जाएगा।

बीके सिंह, एआरटीओ प्रवर्तन सेकेंड