गोरखपुर (ब्यूरो)। शुक्रवार की रात 8:49 बजे मकर संक्रांति हो गई। शनिवार को गोरखनाथ मंदिर में आस्था और श्रद्धा के साथ खिचड़ी का महापर्व मनाया जाएगा। इस दिन उत्तर प्रदेश, बिहार तथा देश के विभिन्न भागों के साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से आए लाखों श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाएंगे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 15 सौ से अधिक स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं। साथ ही महिला-पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग इंट्री गेट बनाए गए हैं। दोनों तरफ से एक बार में लगभग 50-50 श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा, ताकि मंदिर में एक साथ ज्यादा भीड़ न होने पाए।

कोविड प्रोटोकाल के पालन पर जोर

गोरखनाथ मंदिर में कोविड प्रोटोकाल का पूरा पालन किया जा रहा है। मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी ने बताया कि खिचड़ी चढ़ाने आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए मास्क

अनिवार्य किया गया है। जो लोग मास्क लगाकर नहीं आएंगे, उन्हें मास्क प्रदान किया जाएगा। मास्क लगाने के बाद ही मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा।

श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था :

श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए यात्री निवास, ङ्क्षहदू सेवाश्रम व नया धर्मशाला सहित अन्य जगहों पर व्यवस्था की गई है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना के मद्देनजर पूरे

मंदिर परिसर में जगह-जगह अलाव की भी व्यवस्था की गई है।

त्रेतायुगीन है बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा

गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है। मान्यता है कि उस समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां

ज्वाला देवी के दरबार मे पहुंचे। मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया। कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में

ग्रहण करते हैं। उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए। भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और यहीं धूनी रमाकर

साधनालीन हो गए। उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे। इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर लोगों ने उन्हें खिचड़ी अर्पित की।

तभी से हर मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई जाती है। कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार में बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा

है।