- विश्व हृदय दिवस आज
- गोरखपुर और आसपास भी तेजी से बढ़ रहे हैं हार्ट पेशेंट्स
GORAKHPUR: बदलते एक तरफ पश्चिमी देशों में जहां हार्ट पेशेंट की होने वाली मौत के मामले में कमी आ रही है। वहीं, दूसरी तरफ भारत में पिछले कुछ सालों में हार्ट पेशेंट की संख्या में 24 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। जो चिंताजनक है। गोरखपुर भी कम नहीं है। यहां के पेशेंटों की संख्या का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं कि रोज करीब दस लाख तक की दवा बिक जा रही है। जबकि, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक हार्ट स्पेशलिस्ट भी नहीं है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि खानपान से लेकर दिनचर्या संयमित रखना ही हार्ट की बीमारियों को दूर रखने का सबसे बढि़या जरिया है। थोक व्यवसायी के अनुसार, थोक दवा मार्केट में प्रतिदिन दस लाख रुपए की दवा बिक रही है। पूर्वाचल की सबसे बड़ी दवा मंडी भलोटिया मार्केट से नेपाल, बिहार और आसपास के जिलों से व्यापारी दवाएं खरीदकर ले जाते हैं।
शहर में ज्यादा हैं रोगी
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। सुधीर कुमार बताते हैं कि बीते 26 वर्षो में हृदय रोग से मरने वालों की संख्या पाश्चात्य देशों में जहां तेजी से घट रही है। वहीं भारत में इसमें 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो बेहद चिंताजनक है। 1970 के बाद पैदा होने वाले लोगों में हार्ट की समस्या लगातार बढ़ रही है। एक नई जानकारी के अनुसार गांव में रहने वाले हृदय रोगियों की संख्या शहर में रहने वालों से ज्यादा है। हृदय रोग एवं लकवा से मरने वालों की संख्या इंसेफेलाइटिस, जल जनित बीमारियां, कैंसर आदि से भी बहुत ज्यादा है।
हृदय रोग के मुख्य कारण
- मधुमेह
- अति तनाव
- फास्ट फूड
- अत्यधिक तैलीय वसा का सेवन
- समय से पूर्ण जन्म
- हाई ब्लडप्रेशर
- शारीरिक श्रम न करना
- तंबाकू का सेवन
बचाव
- मधुमेह पूर्ण नियंत्रण रखें।
- उच्च रक्तचाप पर पूर्ण नियंत्रण रखें।
- किसी भी प्रकार के तंबाकू संबंधी उत्पाद का सेवन ना करें।
- हरी सब्जियों एवं रेशेदार फल का सेवन लाभकारी है।
- श्30 से 45 मिनट प्रतिदिन तेज चलना, साइकिल चलाना व तैरना लाभकारी ह.ै
- तनाव से बचना चाहिए।
- सरसों के तेल का प्रयोग खानपान में जरूर करें, कुछ रिफाइंड तेल का प्रयोग करें
- हृदय रोग के पारिवारिक पृष्ठभूमि व कारण विशेष वालों को नियमित चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।
बीआरडी में नहीं हैं इलाज
बीआरडी मेडिकल कॉलेज विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है। पूर्वी यूपी के करीब दो करोड़ की आबादी के बीच एक मात्र मेडिकल कॉलेज हैं। यहां पर नेपाल और बिहार से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। साढ़े दस सौ बेड वाले मेडिकल कॉलेज में रोजाना करीब पांच हजार मरीज ओपीडी में इलाज कराने पहुंचते हैं। गंभीर मरीजों को मेडिकल कॉलेज में मायूस भी जाते हैं। बताते चलें कि पांच साल पहले प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ। मुकुल मिश्रा ही हृदय रोग विभाग की कमान संभाल रहे थे। लेकिन लखनऊ के राममनोहर लोहिया अस्पताल में उनके जाने के बाद इस विद्या के विशेषज्ञों की तैनाती नहीं की गई। जिसकी वजह से यह विभाग आज भी अछुता है। मेडिसिन वार्ड में बनी कैथलैब बंद हो गई। जबकि एजियोग्राफी, एंजियोप्लॉस्टी, वेंटीलेटर और टीएमटी जांच समेत कोई सुविधा नहीं हैं।