- तंजीम उलेमा-ए-अहने सुन्नत की ओर से जारी हेल्पलाइन पर जारी है सवाल-जवाब का सिलसिला

GORAKHPUR: उलेमा-ए-अहले सुन्नत की ओर से जारी रमजान हेल्पलाइन नम्बरों पर सवाल-जवाब का सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहा। लोगों ने नमाज, रोजा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलेमा-ए-किराम ने कुरआन-ए-पाक व हदीस-ए-पाक की रोशनी में जवाब दिया।

सवाल : क्या कोरोना से मरने वाले मुसलमान शहीद हैं? (अनवर आलम, बड़गो)

जवाब : हां, कोरोना से मरने वाले मुसलमान शहीद के हुक्म में हैं। (मुफ्ती मो। अजहर शम्सी)

सवाल : क्या बूढ़ा व्यक्ति रोजा रखने के बजाए उनका फिदया दे सकता है? (आरिफ कुरैशी, सूर्यविहार)

जवाब : अगर बूढ़ा व्यक्ति इतना कमजोर है कि न अभी रोजा रख सकता है न आने वाले वक्त में ताकत की और न ही बीमारी से शिफायाब होने की उम्मीद है, ऐसा आदमी शैखे फानी है उसके लिए शरीयत का हुक्म है कि फिदया अदा करे। (कारी मो। अनस रजवी)

सवाल : नहाते हुए आंख में साबुन या शैंपू चला जाए तो रोजे का क्या हुक्म होगा? (सफीउल्लाह सिद्दीकी, गेहूंआ सागर)

जवाब : आंख में साबुन या शैंपू के जाने से रोजा नहीं टूटेगा। (कारी मो। अनस रजवी)

सवाल : अगर फिदया देने के बाद कमजोरी जाती रही तो क्या हुक्म होगा? (अमीनुद्दीन, तकिया कवलदह)

जवाब : अगर रोजों की फिदया देने के बाद रोजा रखने की ताकत आ गई तो जो फिदया दिया था वो नफली सदका हो जाएगा, और रोजों की कजा रखना लाजिम होगा। (मौलाना मोहम्मद अहमद)

सवाल : क्या एसी के सामने सांस लेने से रोजा टूट जाएगा? (अफजल खान, अशरफ कॉलोनी)

जवाब : नहीं, इससे रोजे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। (हाफिज रहमत अली)