गोरखपुर (ब्यूरो)।यूं तो खिलाड़ी ग्रास ग्राउंड पर ही प्रैक्टिस कर अपने हुनर का जलवा बिखेर रहे हैं, लेकिन जब नेशनल टूर्नामेंट का वह हिस्सा बनते हैं तो जिले में उस लेवल का ग्राउंड न होने की वजह से उनका जादू चल नहीं पाता और उनकी परफॉर्मेंस दिख नहीं पाती। गोरखपुर में इंटरनेशनल मानकों पर सिर्फ स्पोट्र्स कॉलेज के पास टर्फ ग्राउंड है। उसके लिए भी लोगों को काफी जद्दोजहद और लंबा इंतजार करना पड़ा है। मगर अब चेंजरूम, स्टैंड के साथ ही दूसरी सुविधाओं के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है।

5 माह का और वक्त मांगा

गोरखपुर में इंडिया और फ्रांस के बीच ऑर्गनाइज हुए इंटरनेशनल मैच के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के चारों ओर स्टैंड बनाने और चेंज रूप के लिए पहले फेज में 5 करोड़ रुपए स्वीकृत किए। इसका काम भी शुरू हुआ। पैक्सफेड को इसकी जिम्मेदारी भी दी गई। लेकिन काम की चाल ऐसी है कि फरवरी 2019 में स्वीकृत हुआ स्टेडियम अब तक पूरा नहीं हो सका है। बीच में कोविड की वजह से इसका निर्माण रुक गया। वहीं, सरकार ने कोविड के दौरान जब कंस्ट्रक्शन की परमिशन दी, उसके बाद भी इसकी रफ्तार नहीं बढ़ सकी। हालत यह है कि जिम्मेदार अब भी इसके लिए 5-6 माह का वक्त और मांग रहे हैं।

जनवरी में इनॉगरेशन, फरवरी में इंटरनेशनल मैच

गोरखपुर के खिलाडिय़ों के लिए 28 जनवरी 2019 को स्टेडियम की सौगात मिली। महज 10 दिन के बाद ही उन्हें इंटरनेशनल सितारों को लाइव देखने का मौका भी मिल गया। सीएम योगी आदित्यनाथ चाहत और स्पोट्र्स डायरेक्टर आरपी सिंह की कोशिश का नतीजा यह रहा कि लखनऊ में चल रही इंडिया-फ्रांस टेस्ट सीरीज में से एक मैच का तोहफा गोरखपुर को मिला, जिससे शहर के पन्नों में इतिहास की नई इबारत लिखी गई। गोरखपुर शहर की बात करें तो यहां भले ही कई गेम्स ने नेशनल और इंटरनेशनल प्लेयर्स दिए हों, लेकिन शहर की पहचान बिल्कुल नहीं थी। ऐसा इसलिए कि वह नेशनल लेवल टूर्नामेंट में यूपी को रिप्रेजेंट करते रहे, जबकि इंटरनेशनल टूर्नामेंट में टीम इंडिया का कद बढ़ाते रहे। मगर यह मैच ऑर्गनाइज होने से प्लेस का नाम इंटरनेशनल लेवल पर पहुंचा। जहां टीम इंडिया को 2024 में ओलंपिक की मेजबान टीम फ्रांस के साथ खेलने का मौका मिला।

दिसंबर 2015 में मिली थी सौगात

वीर बहादुर सिंह स्पोट्र्स कॉलेज में एस्ट्रोटर्फ की सौगात दिसंबर 2015 में ही मिली थी। तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के लिए पहले 5.59 करोड़ रुपए का फंड अलॉट किया। बाद में इसकी लागत बढ़ गई और टोटल बजट 694.55 लाख हो गया। यहां का निर्माण कार्य शुरू हो गया। कुछ दिन चलने के बाद इसमें पेंच फंस और मामला पेंडिंग पडऩा शुरू हो गया। कई बार जिम्मेदारों ने इस मामले में निरीक्षण किया और काम में ढुलमुल रवैये पर फटकार लगाई, मगर इसके बाद भी सूरत नहीं बदल सकी। अप्रैल 2017 में गोरखपुर पहुंचे स्पोट्र्स डायरेक्टर ने फटकार लगाते हुए जुलाई तक काम पूरा कराने के निर्देश दिए थे, मगर डेडलाइन बीतने के बाद भी टर्फ लगाने का काम पूरा नहीं हो सका है। काफी मुश्किलों के बाद जनवरी 2019 में लोगों को टर्फ ग्राउंड मिल सका।

पेस्टिंग में आ गई प्रॉब्लम

करीब सात करोड़ रुपए की लागत से बने हॉकी के एस्ट्रोटर्फ मैदान में भी कमी सामने आई। काम में सुस्ती और कई माह खुले में टर्फ पड़ा होने की वजह से काफी दिक्कतें आ गई। नतीजा यह रहा कि एस्ट्रोटर्फ के कई हिस्से फूल गए, जिसे बिछाने के बाद भी कमी नहीं दूर हो सकी। खास हॉलैंड से इंपोर्ट किए टर्फ की जब शिकायत की गई, तो कंपनी ने अपने खर्च पर इसे बदलने के लिए सहमति दे दी, जिसके बाद इसको बदलने के लिए न सिर्फ हॉलैंड से टर्फ आया, बल्कि वहां से इंजीनियर भी यहां पहुंचे और उसे सही तरीके से पेस्ट कर वापस लौट गए। इसके बाद इसे कंप्लीट करने की प्रॉसेस शुरू हुई। अब जाकर यह कॉलेज को हैंडओवर किया जा सका है, जिसके बाद सीएम ने इसका इनॉगरेशन किया।

टर्फ ग्राउंड के चारों ओर स्टैंड और उसमें खिलाडिय़ों के ड्रेसिंग रूम का काम चल रहा है। इसकी रफ्तार काफी धीमी थी, जिसके बाद वहां का निरीक्षण कर कार्यदायी संस्था पैक्सफेड और संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया है। उन्होंने 5-6 माह की और मोहलत मांगी है। उम्मीद है कि इस दौरान काम पूरा हो जाएगा।

- धीरज सिंह हरीश, वाइस प्रेसिडेंट, हॉकी यूपी