गोरखपुर (ब्यूरो)।ओलंपिक टीम में शहर को पहली बार रिप्रेजेंट करने वाले अली सईद हों या फिर 1980 में ओलंपिक टीम में जगह बनाने वाली प्रेम माया। वहीं नई पौध में 36 सालों का सूखा तोड़कर 2016 में रियो ओलंपिक के लिए इंडियन टीम में जगह बनाने वाली प्रीति दुबे, सभी ने गोरखपुर का ओहदा और शहर वालों सर फक्र से ऊंचा किया है।

देश का नाम रोशन कर रहे हैं गोरखपुर के खिलाड़ी

गोरखपुर में हॉकी की शुरुआत 1916 में हुई। काजी मोहम्मद उस्मान ने मियां साहब इस्लामियां इंटर कॉलेज में इसकी शुरुआत की। 1945 को गोरखपुर हॉकी का गोल्डन पीरियड रहा। 1950 के बाद गोरखपुर के खिलाडिय़ों ने नेशनल टीम में जगह बनानी शुरू कर दी। अनवार अहमद को देश का बेहतरीन राइट इन माना जाता था। वहीं, 1960-70 के दशक में इस्लामिया कॉलेज के नसीरूल्लाह खां, अवध नरेश और यूसुफ खान ने धूम मचाई तो सैयद मोहम्मद अली टोकियो ओलंपिक के लिए चुने गए। टीम ने गोल्ड मेडल जीता तो गोरखपुर का नाम रोशन हुआ।

1970-80 में फीमेल्स का जादू

1966 में एनएन गौड़, आरबी सिंह, एम। हक ने अपने हुनर का जलवा बिखेरा तो वहीं 1970-80 में फीमेल विंग ने कमाल दिखना शुय कर दिया। प्रेममाया, रंजना श्रीवास्तव, पुष्पा श्रीवास्तव ने धूम मचाई। तीनों ने ही इंडिया के साथ विदेशों में भी जलवा बिखेरा। प्रेम माया को 1986 में अर्जुन अवार्ड मिला। 1980-90 के दशक में जिल्लुर्रहमान, मोहम्मद आरिफ, सनवर अली, इम्तियाज अहमद, प्रदीप शर्मा, शम्सुज्जोहा ने इंडियन टीम के साथ कई देशों में गए और इंटरनेशनल लेवल पर गोरखपुर का कद ऊंचा किया। इनके अलावा प्रीति दुबे और दिवाकर राम भी हॉकी में गोरखपुर का नाम रोशन कर रहे हैं।

अली सईद -

10 जुलाई 1942 को जन्मे एसएम अली सईद 1964 के टोक्यो ओलंपिक में हॉकी का टिकट हासिल कर गोल्ड मेडलिस्ट टीम इंडिया का हिस्सा रहे। एसएम अली सईद की मौजूदगी में पाकिस्तान को फाइनल में रौंदकर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। आउट साइड लेफ्ट खिलाड़ी के तौर पर अली सईद का अहम योगदान रहा। उन्होंने इंडियन हॉकी टीम के लिए करीब 35 टेस्ट मैच खेले। कई इंटरनेशनल दौरों में इंडियन हॉकी टीम का हिस्सा रहे। नेशनल लेवल कॉम्प्टीशन में उन्होंने यूपी, बंगाल व मुंबई के लिए मैच खेले। अली सईद 1980 से 1983 तक इंडियन जूनियर हॉकी टीम के सेलेक्टर्स भी रहे।

प्रेम माया

साल 2014-15 की वेटरन कैटेगरी में रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड के सेलेक्ट हुई प्रेम माया बच्चन गोरखपुर की रहने वाली हैं और एनई रेलवे में स्पोट्र्स ऑफिसर के पद से रिटायर हुईं। 1979 से 1986 तक उनका काफी सुनहरा दौर था। इस दौरान उन्होंने देश के खाते में भी कई मेडल डाले। 1982 में उन्हें रेल मिनिस्ट्री अवार्ड से सम्मानित किया गया, जबकि 1985-86 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड मिला। 1979 में उन्होंने पहली बार कनाडा में हुई वल्र्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। इसके बाद 1980 में मॉस्को में ऑर्गनाइज ओलंपिक में भी हिस्सा लिया, जिसमें टीम इंडिया को फोर्थ प्लेस हासिल हुई। 1981 में ऑर्गनाइज हुई फोर नेशन चैंपियनशिप, जापान में हुई एशियन चैंपियनशिप, यूनिवर्सिटी चैंनियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया। वहीं रशिया में ऑर्गनाइज हॉकी टेस्ट सीरीज में टीम को जीत दिलाई। 1982 में ऑर्गनाइज हुए नौवें एशियन गेम्स में टीम इंडिया का हिस्सा रहीं, जिसमें टीम को गोल्ड मेडल हासिल हुआ। 82 में ही जर्मनी में ऑर्गनाइज टेस्ट सीरीज में टीम को जीत हासिल हुई। 1985 में नई दिल्ली में ऑर्गनाइज इंदिरा गोल्ड कप में भी वह टीम का हिस्सा रहीं, जिसमें टीम को गोल्ड मेडल मिला। 1986 में हुए एशियन गेम्स में टीम इंडिया को ब्रान्ज मेडल मिला, जिसमें भी वह टीम इंडिया का हिस्सा थीं।

पुष्पा श्रीवास्तव

साल 2015-16 में रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड के लिए वेटरन कैटेगरी में सम्मानित हुई पुष्पा श्रीवास्तव भी गोरखपुर की पैदाइश हैं। प्रेजेंट में इलाहाबाद के डीआरएम ऑफिस में बतौर चीफ ओएस (स्पोट्र्स सेल) में तैनात पुष्पा श्रीवास्तव की शादी 1991 में अलोपीबाग इलाहाबाद के रहने वाले अजीत श्रीवास्तव से हुई। वह इस समय सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं। गोरखपुर से स्पोट्र्स हॉस्टल में पुष्पा ने 1977 में एडमिशन लिया। वहां पर कोच बुला गांगुली के निर्देशन में हॉकी का हुनर सीखा। 17 साल की उम्र में उन्हें रेलवे में नौकरी भी मिल गई। टीम इंडिया की ओर से 1983, 85 और 87 के दौरान रूस में उन्हें टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला। वहीं 1985 में ऑर्गनाइज हुए इंदिरा गांधी गोल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। पुष्पा की मानें तो दोनों विनिंग गोल उन्हीं की हॉकी स्टिक से निकले थे। 1984 में चीन, 85 में अर्जेंटीना और जापान में खेले गए टूर्नामेंट में उन्होंने शानदार परफॉर्मेंस दी। जर्मनी में ऑर्गनाइज 10वें एशियन गेम्स में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और टीम इंडिया के खाते में ब्रांज मेडल आया था। 1988 और 89 में जर्मनी के साथ दिल्ली में इंदिरा गोल्ड कप खेला था, जिसमें टीम को सिल्वर मेडल मिला था।

मोहम्मद आरिफ

गोरखपुर में 1970 में पैदा हुए मोहम्मद आरिफ ने स्कूल एजुकेशन के साथ ही हॉकी को अपना लिया। 1983 में उनका सेलेक्शन स्पोट्र्स हॉस्टल लखनऊ में हो गया। 1986 में उन्हें जूनियर नेशनल हॉकी टीम के लिए चुन लिया गया। 1987-88 में उन्होंने सीनियर नेशनल टीम में जगह बनाई। इस दौरान दो बड़े अचीवमेंट उनके नाम दर्ज हुए। पहला यह कि उन्हें सीनियर नेशनल हॉकी टीम में जगह मिल गई। वहीं दूसरी ओर इंडियन एयरलाइंस में उन्हें जॉब भी मिल गई। आरिफ 1988 में कराची में हुए जूनियर एशिया कप का हिस्सा बने, इसके बाद उन्हें दिल्ली में 1988-89 के दौरान ऑर्गनाइज वल्र्ड कप में खेलने का मौका मिला। क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में टीम ने तीसरी पोजीशन हासिल की। 1990 में उन्होंने बीएमडब्ल्यू ट्रॉफी और बीजिंग में ऑर्गनाइज 11वें एशियन गेम्स में खेलने का मौका मिला। उन्होंने 1991 से 1993 तक लगातार तीन साल इंदिरा गांधी गोल्ड कप टूर्नामेंट भी खेला। 1992 में स्पेन में ऑर्गनाइज नेशनल टूर्नामेंट और 1993 में एशिया कप का हिस्सा भी बने। 1993 में उनकी टीम ने वल्र्डकप के लिए क्वालिफाई किया। जापान में ऑर्गनाइज 12वें एशियन गेम्स में खेल के बाद वह लखनऊ आ गए और वहीं जॉब पर फोकस करने लगे। उन्होंने 2001 तक इंडियन एयरलाइंस के लिए हॉकी खेली।

प्रीति दुबे

प्रीति दुबे को बचपन से ही खेलने-कूदने का शौक था, इसे उसने अपने प्रोफेशन के तौर पर चुना। स्कूल में ऑर्गनाइज होने वाले ट्रेडिशनल खेलों में हिस्सा लेती और बेहतर परफॉर्म भी करतीं। इसे देखते हुए पिता अवधेश कुमार दुबे ने छठवीं से उसका दाखिला स्पोट्र्स कॉलेज में करवा दिया। यहां से उसने हॉकी को चुना और कड़ी मेहनत शुरू की। 2014 में उन्हें जूनियर इंडिया टीम में जगह मिल गई। गुवाहटी में ऑर्गनाइज हुए साउथ एशियन गेम्स में प्रीती गोल्ड मेडलिस्ट इंडियन टीम का हिस्सा रहीं। वहीं चाइना में 2015 में हुए सातवें जूनियर एशिया कप में उन्होंने इंडियन टीम का प्रतिनिधित्व किया। साउथ एशियन गेम्स में नेपाल के खिलाफ गोल करने पर उन्हें सम्मानित भी किया गया। अर्जेंटीना, नीदरलैंड, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, चाइना, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में उन्होंने इंडियन टीम का प्रनिधित्व किया। वहीं बेल्जियम में 14 से 21 जुलाई तक ऑर्गनाइज हुए अंडर-23 टूर्नामेंट में उन्हें टीम इंडिया की कमान मिली। प्रीती के पिता एके दुबे एनई रेलवे के कर्मचारी हैं और माता मिथलेश दुबे हाउस वाइफ। भाई फणीश दुबे और उनकी पत्नी खुशबू दुबे हमेशा ही उनकी हौसला अफजाई करती रहती हैं।