नंबर गेम

- 274.42 करोड़ है कुल लागत बाल रोग संस्थान की

- 40 करोड़ के सिर्फ उपकरण लगने हैं संस्थान में

- 500 बेड वाला है संस्थान

- 2014 में रखी गई थी नींव

- 2017 मार्च में पूरा हो जाना था काम

- 14 मंजिला बनना है भवन

- 6 मंजिल ही भवन अभी तक है तैयार

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- बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बाल रोग संस्थान का काम अब भी अधूरा

- जुलाई से मासूमों पर कहर बरपाता है इंसेफेलाइटिस रोग, जबकि अभी संस्थान को शुरू होने में लग जाएंगे पांच-छह माह

GORAKHPUR:

इंसेफेलाइटिस प्रभावित पूर्वाचल के मासूमों की जान बचाने के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 274.42 करोड़ से बाल रोग संस्थान बनना था। जुलाई माह से इंसेफेलाइटिस अधिक प्रभावी हो जाता है और पीडि़त मासूमों के मरने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ऐसे में संस्थान को इसके पहले ही शुरू कर लिया जाना था। लेकिन अभी तक 500 बेड वाले बाल रोग संस्थान में करीब 40 करोड़ के उपकरण नहीं आए हैं। बताते हैं कि अभी इन उपकरणों की खरीद का टेंडर तक नहीं हुआ है। इसका मतलब यह हुआ कि अभी भी संस्थान को शुरू होने में पांच-छह माह का वक्त लग सकता है।

मिलनी है सुपर स्पेशियलिटी सेवा

पूर्वाचल वर्षो से इंसेफेलाइटिस प्रभावित क्षेत्र है। यहां हर साल सैकड़ों मासूमों की मौत इस रोग से होती है। बीआरडी में इसके लिए विभाग तो है लेकिन सुपर स्पेशियलिटी की सुविधा नहीं होने के कारण वह इलाज उपलब्ध नहीं हो पाता, जो मासूमों को चाहिए। इसी को ध्यान में रखकर 2014 में 500 बेड वाले बाल रोग संस्थान की नींव रखी गई।

मार्च में हो जाना था तैयार

बाल रोग संस्थान के लिए 274.42 करोड़ बजट पास हो गया और कार्यदायी संस्था यूपी राजकीय निर्माण निगम लि। गोरखपुर ईकाई को 14 मंजिला भवन के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई। निर्माण 2017 मार्च को कार्य पूर्ण कर लेना था लेकिन अभी तक सिर्फ पांच से छह मंजिल तक ही बिल्डिंग तैयार हो पाई है। पिछली बार प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने अपने दौरे के दौरान कार्यदायी संस्थान को इस सत्र में दो मंजिला बाल रोग संस्थान तैयार कर बीआरडी को हैंडओवर करने को कहा था लेकिन इसके बावजूद यह तैयार नहीं हो सका है।

बिन उपकरण कैसा इलाज

बाल रोग संस्थान के लिए 40 करोड़ रुपये के उपकरण आने हैं लेकिन टेंडर नहीं होने की वजह से उपकरण नहीं आ पाया है। अब खतरनाक बीमारियों का मौसम शुरू होने वाला है। ऐसे में इससे लड़ने के लिए स्वास्थ्य महकमा कितना तैयार है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।

वर्जन

कार्यदायी संस्था से कार्य तेज करने को कहा गया है। जहां तक उपकरण का सवाल है तो आचार संहिता समाप्त होने के बाद टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

- डॉ। राजीव मिश्रा, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज