गोरखपुर (ब्यूरो)। बता दें, गोरखपुर में पिछले महीने से लगातार डेंगू केसेज बढ़ते जा रहे है। सबसे ज्यादा केसेज रेलवे कॉलोनी से आ रहे हैैं। अब तक गोरखपुर में 45 लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। लेकिन इनके लार्वा को नष्ट करने नए सिरे से रिसर्च के लिए आईसीएमआर ने टीम बनाई है। आईसीएमआर की मानें तो भारत सरकार ने 2030 तक इन बीमारियों को खत्म करने का लक्ष्य तय किया है। यह प्रयास उसी का हिस्सा है। जहां इन बीमारियों का ज्यादा प्रकोप है, वहां इसे कम किया जाएगा और जहां कम मरीज मिले हैं वहां इसे शून्य करने की दिशा में काम होगा। इसके लिए दवा, मच्छरदानी व मच्छरों का लार्वा खत्म करने के लिए गंबूजिया मछलियों का प्रयोग होगा। रिसर्च के फस्र्ट फेज में आईसीएमआर उन एरिया में काम करेगा, जहां मरीजों की संख्या ज्यादा है। इसके लिए आंकड़ों को आधार बनाया जाएगा। ऐसे एरिया या मोहल्ले में लोगों के रहन-सहन, खान-पान, साफ-सफाई आदि का स्टडी कर बीमारी के कारणों की तलाश की जाएगी।

हेल्थ वर्कर्स को दी जाएगी ट्रेनिंग

आईसीएमआर इस काम में लगभग 100 हेल्थ केयर वर्कर्स की हेल्प लेगा। उन्हें तीन फेज में ट्रेनिंग दिया जाएगा। इस दौरान बीमारियों के वाहक मच्छरों की पहचान व नियंत्रण के तरीके बताए जाएंगे। एक बैच की ट्रेनिंग एक सप्ताह की होगी।

इंसेफ्लाइटिस पर भी होगा रिसर्च

वहीं इंसेफ्लाइटिस को खत्म करने के लिए धान की रोपाई के बाद इसमें नीम कोटेड यूरिया का प्रयोग किया जाएगा। आईसीएमआर के निदेशक डॉ। रजनीकांत ने बताया कि मदुरै में यह प्रयोग काफी सफल रहा है। यहां जो किसान ऐसे यूरिया का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। उन्हें इसके लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके बाद यह देखा जाएगा कि इंसेफ्लाइटिस में कितनी कमी आ रही है।

पांच साल में डेंगू के केस

सन - डेंगू के केस - डेथ

2021 में - 45 - 00

2020 में - 13 - 02

2019 में - 35 - 05

2018 में - 35 - 02

2017 में - 10 - 02

अभियान जल्द शुरू हो जाएगा। मोहल्लों में लोगों का ब्लड सैंपल भी लिया जाएगा। रैपिड डायग्नोस्टिक किट के माध्यम से उसकी मौके पर ही जांच की जाएगी। बाद में यह जांच लैब में भी होगी।

डॉ। रजनीकांत, डायरेक्टर, आईसीएमआर गोरखपुर