- इस बार कोरोना की वजह से डबल करना है कंट्रोल

- मुस्लिम के साथ ही हर धर्म के लोग कर रहे हैं पालन

रमजान का मुकद्दस महीना शुरू हो चुका है। इस दौरान अल्लाह अपने बंदों के लिए रहमतों की बारिश करता है। इसमें हर दिन उनके लिए रहमतों से भरा होता है, जिसका अगर फायदा उठाना है तो लोगों को खुद कोशिश करनी होगी। रसूल अल्लाह ने फरमाया इस मुबारक महीने के बारे में कि पहला दस दिन (अशरा) रहमत, दूसरा दस दिन मग्फिरत और आखिरी दस दिन जहन्नम से आजादी का है। इस माह में हर इबादत पर सवाब कई गुना बढ़ा कर अता किया जाता है, बड़े पैमाने पर मुसलमान इस दौरान ही जकात, सदका और फित्र अदा करते हैं। उलेमाओं का कहना है कि इस वक्त लॉक डाउन का वक्त चल रहा है, ऐसे में सब्र की जो हद है, वह कुछ और बढ़ गई है, जिसे भी हर मुसलमान को उसी तरह से निभाना होगा जैसा कि वह रमजान के दौरान रोजा बरकरार रखने के लिए किया करते हैं। कुछ ऐसी चीजों का भी ध्यान रखना है, जिसकी वजह से जाने अनजाने में रोजा टूट सकता है।

इन चीजों से टूट जाता है रोजा

- खाने और पीने से

- हुक्का, सिगार, सिग्रेट वगैरह पीने से भी रोजा जाता रहता है।

- पान या तम्बाकू खाने से रोजा टूट जाता है।

- दांतों के दरमियान कोई चीज चने के बराबर या ज्यादा थी उसे खा लिया तो रोजा टूट गया।

- दांतों से खून निकल कर हल्क से नीचे उतरा और खून थूक से ज्यादा या बराबर या कम था मगर इसका मजा हल्क में महसूस हुआ तो रोजा टूट जाएगा।

- आंसू मुंह में चला गया और आप उसे निगल गए। उसकी नमकीन पूरे मुंह में महसूस हुई।

- पसीना मुंह में चला गया और उसकी नमकीन पूरे मुंह में महसूस हुई।

- हमबिस्तरी (संभोग) करने से रोजा टूट जाता है, जबकि रोजादार होना याद हो

- नाक के नथनों से दवाई चढ़ाई या कान में तेल डाला या तेल चला गया तो रोजा टूट जाएगा।

- जानबूझकर मुहं भर उल्टी की और रोजादार होना याद हैं तो मुतलकन रोजा जाता हैं।

लॉकडाउन में इनका भी करना है सब्र

- घर से बाहर नहीं निकलना है।

- तरावीह की नमाज घरों में अदा करनी है। सोशल डिसटेंस का ध्यान रखते हुए।

- पांचों वक्त की नमाजों के साथ जुमा में भी जोहर की नमाज भी घर पर ही पढ़ना है।

- सामूहिक इफ्तार में न शामिल होना है और न ही इसका अहतेमाम करना है।

- किसी को दावत नहीं देनी है।

- इफ्तार घर वालों के साथ सोशल डिसटेंस का ख्याल रखते हुए करना है।

इनसे नहीं टूटता है रोजा

- रोजे में खुद ब खुद कितनी ही कय (उल्टी) हो जाए बाल्टी ही क्यों न भर जाए।

- जानबूझ कर उल्टी की और अगर वो मुंह भर है तो अब रोजा टूट जाएगा।

- अगर उल्टी में सिर्फ बलगम निकला तो रोजा नहीं टूटेगा।

- भूल कर खाया, पीया रोजा खराब न हुआ।

- रोजा याद होने के बावुजूद भी मक्खी या गुबार या धुवां हलक में चले जाने से रोजा नहीं टूटता।

- बस या कार का धुआं या उनसे गुबार उड़कर हलक में पहुंचा अगरचे रोजादार होना याद था, रोजा नहीं जाएगा।

- तेल या सुरमा लगाया तो रोजा न गया, अगरचे तेल या सुरमा का रंग भी दिखाई देता हो जब भी रोजा नहीं टूटता।

- दांतों से खून निकलकर हल्क तक पहुंचा मगर हल्क से नीचे न उतरा तो इन सब सूरतों में रोजा न गया।

-थूक या बलगम मुंह में आया फिर उसे निगल गए तो रोजा न गया।

- जरुरत के लिए सूई लगवाने, ड्रीप चढ़वाने, खून निकलवाने से रोजा नहीं टूटता हैं।

रमजान के दौरान खाने-पीने से तो परहेज करना ही है, वहीं कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनकी वजह से भी रोजा टूट जाता है, उनका भी ख्याल रखना है। साथ ही इस बार लॉक डाउन है, तो लोगों को लॉक डाउन की बंदिशों का ख्याल रखना भी काफी जरूरी है।

- हाफिज गुलाम खैरुलवरा रज़वी, इमाम, रज़ा मस्जिद जाफरा बाजार

कुछ चीजों को गलती से खाने या हो जाने पर रोजा नहीं टूटता है। जैसे कि अगर रोजे में खुद ब खुद कय हो जाए, चाहे वह बाल्टीभर क्यों न हो, रोजा नहीं टूटता है। वहीं अगर जानबूझ कर कर दिया, तो रोजा टूट जाएगा। चेकअप के लिए खून निकलवाया जा सकता है। इनहेलर का इस्तेमाल करने से रोजा टूट जाता है।

मुफ्ती मो। अजहर शम्सी, नायब काजी