- कोरोना के संक्रमण की चपेट में आने वाले मरीजों को लगातार पड़ रही है ऑक्सीजन की जरूरत

- इसके बाद भी रिकवरी में लग रहा है वक्त, लंग्स में तेजी के साथ फैलने इंफेक्शन का कारण हो रही देरी

केस वन

सिटी के एक प्राइवेट कोविड हॉस्पिटल में एडमिट ब्रिजेंद्र कुमार पाठक की उम्र 37 वर्ष हैं। वह जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। पिछले पांच दिन से ऑक्सीजन सपोर्ट पर होने से ऑक्सीजन लेवल 65-70 के बीच बना हुआ है। हॉस्पिटल संचालक भी बीच-बीच में ऑक्सीजन खत्म होने की बात कहते हुए दूसरे अस्पताल में व्यवस्था बनाने का अक्सर दबाव बना रहे हैं। ऐसे में पेशेंट्स के साथ तीमारदारों की भी टेंशन बढ़ जा रही है।

केस टू

62 वर्षीय इब्राहीम की हालत बेहद गंभीर है। वह 62 वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन उनका ऑक्सीजन का लेवल 90-95 के बीच में बना हुआ है। ऑक्सीजन सपोर्ट हटाने पर उन्हें भी फिलहाल प्रॉब्लम हो जा रही है। कई बार डॉक्टर के प्रयास के बाद भी नेचुरल ऑक्सीजन लेने में काफी तकलीफ महसूस कर रहे हैं। वहीं डॉक्टर की मानें तो लंग्स में संक्रमण का तेजी से फैलने के कारण रिकवरी में वक्त लग रहा है।

यह दो केस बानगी भर है। ऐसे 1000 से उपर उपर कोविड के पेशेंट्स हैं जो पूरी तरह से ऑक्सीजन पर डिपेंडेंट हो चुके हैं। ऑक्सीजन की जरा सी भी कमी उनके लिए मुश्किल पैदा कर दे रही है। इस बीच हॉस्पिटल संचालक ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर उनके तीमारदारों की टेंशन और बढ़ा दे रहे हैं। रिकरवी में भी काफी वक्त लग रहा है। कोरोना की दूरी वेव इतनी खतरनाक है कि संक्रमित व्यक्ति के इलाज में जितनी देरी हुई, उतना ही लंग्स में इंफेक्शन बढ़ने का खतरा बन जा रहा है। डॉक्टर का मानना है कि इंफेक्शन की वजह से ऑक्सीजन सपोर्ट देना पड़ रहा है, जिससे इसकी डिमांड भी बढ़ गई है।

लंग्स पर तेजी से अटैक

बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। डॉ। अमरेश सिंह ने बताया कि लंग्स ज्यादा तेजी के साथ इफेक्टेड हो रहा है। इसका मुख्य वजह यह है कि जो वायरस के संक्रामक क्षमता है। म्यूटेशन के बाद बहुत बढ़ गई है। जो भी म्यूटे्रेडेड स्ट्रेन से इफेक्ट हो रहा है। उसमें बहुत तेजी के साथ निमोनिया हो जा रहा है। तीन से चार दिन तक यह संक्रमण गले में रहता है। पांचवें दिन से चेस्ट में पहुंच जाता है। पांचवें या छठवें दिन से फीवर आ रहा है और तेज बुखार आ रहा हो। यानी 101 से उपर हो तो एलर्ट रहने की जरूरत है।

हो जा रही है लंग्स में स्वेलिंग

उन्होंने बताया कि जब निमोनिया डेवलप हो जाता है तो उसमें भी दो से तीन दिन का समय लगता है। जब लंग्स में पूरी स्वेलिंग हो जाती है तो इसके बाद ऑक्सीजन लेने में प्रॉब्लम होने लगती है। एकदम एसपीओ2 घटने लगता है। इसके बचाव के लिए पांचवे या छठवें दिन ही देखते रहें बुखार तेज हो रहा है तो चिकित्सकीय परार्मश के साथ, चेस्ट एक्स-रे, सिटी स्कैन करवाना जरूरी हो जाता है। अलर्ट रहने की जरूरत है। निमोनिया के इलाज की जरूरत है। एक्स-रे और सिटी स्कैन इसलिए जरूरी है ताकि यह पता चल सके कि लंग्स कितना इनफेक्टेड है।

बाक्स में

10-15 दिन तक जरूर पड़ती है ऑक्सीजन की

- बीआरडी मेडिकल कालेज के चेस्ट एंड टीबी रोग विभाग के हेड प्रो। अश्वनी मिश्रा बताते हैं कि यह सांस से जुड़ी समस्या है।

- इसमें लंग्स में स्वैलिंग होती है। जिसकी वजह से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन कैरी नहीं कर सकते।

- देखा जा रहा है कि जब कोविड पेशेंट्स के लंग्स में स्वैलिंग हो जाती है तो दो से तीन दिन उसे डेवलप होने में लग जाता है।

- जो सांस की झिल्लियां (रेसपेरिट्री मेंबरेन) होती हैं, उसमें जो सूजन हो जाती है।

- उसका अगर सही समय पर इलाज नहीं कराया गया तो पेशेंट्स का बच पाना मुश्किल हो जाता है।

- इसलिए कोविड के पेशेंट्स में जितना जल्दी इलाज शुरू कर दिया जाए। उसे रिकवर किया जा सकता है।

- चूंकि लंग्स पूरी तरह से इंफेक्टेड हो चुका होता है। ऐसे में रिकवर होने में कम से कम 10 से 15 दिन का वक्त लग सकता है।

- तब तक तो ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी।

फैक्ट फीगर

- कोविड प्राइवेट हास्पिटल - 45

- कोविड के गंभीर पेशेंट्स - 2400

- अब तक कुल केसेज - 40,419

- एक्टिव केसेज - 10258 (इसमें होम आईसोलेशन वाले संक्रमित भी शामिल हैं.)

ऑक्सीजन लेवल मेजरमेंट बेहद जरूरी है। जिस पेशेंट्स का ऑक्सीजन लेवल 95 से कम आ रहा है, उसे एडमिट रहते हुए इलाज कराना जरूरी है। चूंकि ज्यादातर पेशेंट्स में यह देखा जा रहा है कि उनके लंग्स में सबसे ज्यादा संक्रमण तेजी के साथ फैल रहा है। ऐसे में जितना जल्दी इस बीमारी को ट्रेस कर इलाज शुरू कर देंगे। उतनी जल्दी रिकवरी होने की संभावना बढ़ जाती है।

- डॉ। सुधाकर पांडेय, सीएमओ