गोरखपुर (निखिल तिवारी)।इसको पुरुषों की भलाई और स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। हम आपको गोरखपुर के कुछ ऐसे पुरुषों के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने दम पर समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई। साथ ही उनकी सकारात्मक सोच से गोरखपुर बढ़ भी रहा है।

योगी आदित्यनाथ

Yogi Adityanath

सीएम योगी आदित्यनाथ ने लगातार पांच बार सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाया। वह 22 साल की उम्र में सांसारिक मोह-माया छोड़कर योगी बन गए। साल 1998 में महंत अवेद्यनाथ ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया। यहीं से 26 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव जीतकर इनके राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत हुई। वह साल 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीते। इसके बाद 2017 में यूपी के सीएम की कुर्सी संभाली। गोरखपुर को राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान दिलाने में योगी आदित्यनाथ का बहुत बड़ा योगदान है। आज उन्हीं की वजह से गोरखपुर हर फील्ड में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वीर बहादुर सिंह

Veer Bahadur Singh

18 जनवरी 1935 को गोरखपुर के हरनही गांव में जन्में वीर बहादुर सिंह 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े रहे। वह 1967 में यूपी विधानसभा के पनियारा निर्वाचन क्षेत्र निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 1969, 1974, 1980 और 1985 तक 5 बार वो एमएलए रहे। 1988 से 1989 तक वो राज्य सभा के सदस्य भी रहे। 1985 में 24 सितंबर से 24 जून, 1988 तक यूपी के सीएम का पदभार संभाला। वीर बहादुर सिंह ने रामगढ़ ताल परियोजना, बौद्ध परिपथ, सर्किट हाउस, सड़कों का चौडीकरण, विकास नगर, राप्तीनगर में आवासीय भवनों का निर्माण, पर्यटन विकास केंद्र की स्थापना, तारामंडल का निर्माण और कई पार्कों का सुंदरीकरण कराने का काम करवाया था। उनके कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की वजह से उनको विकास पुरुष के नाम से भी जाना जाता है।

सांसद रविकिशन शुक्ल

Ravikishan Shukla

गोरखपुर से लोकसभा सांसद और एक्टर रविकिशन शुक्ल युवाओं के लिए एक इंस्पिरेशन हैं। जौनपुर के एक छोटे से परिवार का लड़का भी एक सुपरस्टार बन सकता है। यह रविकिशन ने सिखाया। उनका कहना है कि बचपन में ही उन्होंने ठान लिया था कि उनको अनजान मौत नहीं मरना। उन्होंने देश में लगभग हर भाषाओं में मूवी बनाई है। गोरखपुर के युवा फिल्म इंडस्ट्री में आएं। इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनका सपना है कि गोरखपुर में फिल्म सिटी बनें।

मुंशी प्रेमचंद

Munshi Premchand

हिंदी साहित्य में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखकों में से एक मुंशी प्रेमचंद ने अपने साहित्य जीवन में लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास और लगभग 300 से अधिक कहानियां लिखीं। ऐसा भी कहा जाता है कि जब तक देश और विश्व में हिंदी साहित्य बना रहेगा, मुंशी प्रेमचंद का नाम सदा अमर रहेगा। उनकी कई कहानियां जैसे बड़े भाई साहब, ईदगाह, कफन आदि आज भी जीवंत हैं। धनपत राय 'मुंशी प्रेमचंदÓ का गोरखपुर से गहरा नाता रहा है। यह उनकी कर्मभूमि भी कही जाती है।

फिराक गोरखपुरी

Firaq Gorakhpuri

गोरखपुर को जिन वजहों से दुनिया भर में पहचान मिली। उसमें फिराक गोरखपुरी का एक अहम योगदान है। नाम के आगे गोरखपुरी लगाकर उन्होंने उर्दू अदब की दुनिया में गोरखपुर एक अलग ऊंचाई दी। शायरी कहने के अपने अलमस्त और बेलौस अंदाज को लेकर वह शायरों ही नहीं आमजन के बीच भी हमेशा चर्चा का विषय रहे। उनके शेरों की कद्र हर किसी ने पूरी तबीयत से की। उन्होंने गुल-ए-नगमा, बज्म-ए-जिंदगी, रंगे शायरी, मशअल, रूह-ए-कायनात, नग्मा-ए-साज, सत्यम शिवम सुंदरम आदि रचनाएं काफी फेमस हैं।

सौरभ शुक्ला

Saurabh Shukla

सौरभ शुक्ला एक बॉलीवुड एक्टर, थियेटर आर्टिस्ट, टेलीविजन एक्टर, डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर हैं। वे सत्या, बर्फी, जॉली एलएलबी, किक और पीके जैसी फिल्मों में निभाए गए अपने रोल की वजह से जाने जाते हैं। वह मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं। 2014 में उन्हें जॉली एलएलबी में निभाए गए रोल के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

जिम्मी शेरगिल

Jimmy Shergill

जिम्मी शेरगिल एक ऐसे एक्टर हैं जो अपनी एक्टिंग से हर छोटे-बड़े किरदार में जान डाल देते है। जिम्मी का जन्म गोरखपुर में 3 दिसंबर 1969 में हुआ था। उनका असली नाम जसजीत सिंह गिल है। अपने कजिन के कहने पर वह एक्टिंग में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई आ गए। जिम्मी शेरगिल ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1970 की थ्रिलर हिंदी मूवी माचिस से की थी। उनकी पॉपुलर हिंदी फिल्मों में मोहब्बतें, दिल है तुम्हारा, मेरे यार की शादी है, मुन्नाभाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्नाभाई, बस एक पल, माय नेम इज खान, तनु वेड्स मनु, साहब बीवी और गैंग्सटर, साहब बीवी और गैंग्सटर रिटन्र्स, स्पेशल 26, बुलेट राजा, डर और बैंग बैंग जैसी तमाम फिल्में शामिल है।

अली सैयद

Ali Syed

सैयद अली सईद वो नाम हैं, जो 1964 के टोक्यो ओलंपिक में हॉकी की गोल्डन टीम का हिस्सा रहे। पाकिस्तान को फाइनल में रौंदने में इस आउट साइड लेफ्ट खिलाड़ी का अहम योगदान रहा। गोरखपुर जैसे छोटे शहर से निकल एक प्लेयर ने इंडिया को गोल्ड मेडल दिलाया तो देश के साथ ही गोरखपुर का नाम भी रौशन हुआ। उनसे इंस्पायर होकर गोरखपुर के बहुत सारे प्लेयर्स हॉकी में देश को रिप्रेजेंट करने का सपना देख रहे हैं।