गोरखपुर (ब्यूरो).ग्रामीण खंड प्रथम के जेएमटी राजकुमार उपाध्याय और अरूण कुमार गुप्ता ने एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए 8 जुलाई को अधीक्षण अभियंता से शिकायत की थी। एक दूसरे पर अलग अलग आरोप लगाए थे। शिकायत पर अधीक्षण अभियंता ने पहले दो सदस्यीय फिर बाद में एक सदस्य को और बढ़ाकर टीम गठित कर दी। इसी बीच राजकुमार उपाध्याय पर एक उपभोक्ता ने कनेक्शन के बदले वित्तीय अनियमितता का आरोप और लग गया। इसकी जांच हुई तो आरोप सही पाए गए। मुख्य अभियंता ने जांच टीम की रिपोर्ट पर जेएमटी राजकुमार उपाध्याय को निलंबित कर दिया गया। इधर, टीम मामले पुराने मामले की जांच के लिए लगाए आरोपों के मुताबिक, मीटर परीक्षण खंड से 11 कनेक्शनों की पूरी डिटेल मांगी थी। इसमें मीटर की सीलिंग बुक, मीटर में दर्ज रीडिंग और परिसर से उतारे गए मीटर की रीडिंग समेत अन्य डिटेल मांगी गई थी। लेकिन, मामला लटकत चला गया। दरअसल, किसी उपभोक्ता ने अरूण गुप्ता पर आरोप लगाते हुए चैयरमैन के व्हाट्सएप नंबर पर शिकायत की थी। इसमें आरोप लगाया था कि जेएमटी ने अभियंता के साथ सांठगांठ कर उपभोक्ताओं को आर्थिक लाभ पहुंचाया था। मामले के कुछ दिन बाद ही दूसरे जेएमटी राजकुमारा उपाध्याय पर भी ऐसे ही आरोप लग गए थे।

अधीक्षण अभियंता व मजदूर पंचायत विवाद में उठी जांच

मजदूर पंचायत संगठन और अधीक्षण अभियंता शहरी यूसी वर्मा के बीच कार्यालय में वाद विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। अधीक्षण अभियंता ने तहरीर देकर पंचायत संगठन के पदाधिकारियों पर सरकारी कार्य में बाधा, अपशब्द कहने समेत अन्य आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवाया था। जिन पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ, उनमें मीटर परीक्षण खंड का जेएमटी अरूण गुप्ता भी है। इसी के बाद पुराने जांच के मामले में अनुस्मारक पत्र जारी हुआ। अधीक्षण अभियंता ग्रामीण विनोद कुमार ने जांच पत्र पर अनुस्मारक जारी करते हुए दो दिन में रिपोर्ट जमा करने को निर्देशित किया। 7 सितंबर को जांच टीम ने अभिलेखों को लिए मीटर परीक्षण खंज में पत्र लिखा। लेकिन, अभी तक नहीं दिया जा सका।

गंभीर मामले में अभियंता अगर ऐसे रूख अपनाएंगे तो सवाल उठेंगे ही। मामला संज्ञान में नहीं है, लेकिन वित्तीय अनियमितता के अभिलेखों को देने में लापरवाही हो रही तो मामला संदिग्ध है। मामले की जांच करवाई जाएगी कि आखिर इतने दिनों में अभिलेख क्यों नहीं दे सके। इसमें अगर कमी मिली तो इन अभियंता की भी जांच करवाई जाएगी। ऐसे मामलों पर कारपोरेशन पहले से ही सख्त रहता है। इसके बाद भी ऐसी लापरवाही, ये गलत है।

एके सिंह, चीफ इंजीनियर