गोरखपुर (ब्यूरो)।ऐसे में सिटी के टैक्स पेयर अभी से वे सभी डॉक्यूमेंट्स जुटा लें, जिनकी जरूरत उन्हें अपना आयकर रिटर्न फाइल करते समय होगी। रिटर्न दाखिल करते समय अगर टैक्सपेयर के पास सभी जरूरी दस्तावेज नहीं होंगे तो आईटीआर फाइल करने की प्रोसेस अटक जाएगी। सर्वाधिक दिक्कत नौकरी पेशा वालों या फिर पहली बार रिटर्न फाइल करने वालों को आ सकती है।

पहले सैलरी स्लिप ऑफिस से लें

आप अगर नौकरी पेशा वाले हैं तो सबसे पहले आईटीआर भरने के लिए सैलरी स्लिप की जरूरत होती है, जिसमें हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए), लीव ट्रेवल अलाउंस (एलटीए), मेडिकल अलाउंस, पर्सनल अलाउंस आदि का जिक्र होता है। अलाउंस के आधार पर टैक्सपेयर को कई तरह की टैक्स छूट मिलती है।

पैन और आधार साथ होना चाहिए

आईटीआर फाइल करने के लिए पहला और सबसे अहम दस्तावेज पैन और आधार कार्ड है। टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले आधार और पैन को लिंक कराना जरूरी है। अगर पैन आधार से लिंक नहीं है तब भी आईटीआर भर सकते र्हं।

फॉर्म-16 अपने संस्थान से लें

सैलरी पर्सन को संस्थान से फॉर्म-16 कंपनी की ओर से दिया जाता है। इसमें कर्मचारी के सैलरी ब्रेकअप से जुड़ी सभी डिटेल्स और काटा गया टीडीएस शामिल होता है। फॉर्म-16 में पार्ट ए और पार्ट बी होते हैं। पार्ट ए में कंपनी की ओर से काटे गए टीडीएस की जानकारी होती है जो कंपनी के पैन और टैन के साथ होता है। पार्ट बी में कर्मचारी की ग्रॉस सैलरी होती है, जिसमें अलाउंस आदि का जिक्र होता है।

फॉर्म 26 एएस इनकम टैक्स विभाग देगा

यह फॉर्म आयकर विभाग की तरफ से जारी किया जाता है, जिसमें आय पर लगे टैक्स की पूरी जानकारी होती है। इसे विभाग की वेबसाइट से पैन नंबर डालकर निकाला जा सकता है। फॉर्म 16 और फॉर्म 26 एएस का मिलान करें। अंतर होने पर इसे ठीक कराएं।

टीडीएस सर्टिफिकेट

सैलरी के अलावा अन्य किसी स्रोत से कमाई होती है तो उस पर टीडीएस कटता है, जिसका सर्टिफिकेट आइटीआर फाइल करते वक्त रखना जरूरी है। फॉर्म-16ए टीडीएस सर्टिफिकेट होता है जो बैंक जारी करता है। यह टीडीएस नॉन- सैलरी इनकम पर काटा जाता है।

इन्वेस्टमेंट प्रूफ जरूरी

इनकम टैक्स की पुरानी प्रणाली में कई तरह के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है। टैक्सपेयर्स को आईटीआर में अपने निवेश का सबूत देना होता है। इंश्योरेंस प्रीमियम, ईएलएसएस, ईपीएफ- पीपीएफ व एनपीएस में निवेश पर टैक्स छूट लाभ के लिए इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा कर लें।

यह लोग आते हैं टैक्स के दायरे में

चार्टर्ड अकाउंटेंट भावेश गुप्ता ने बताया कि किसी वित्तीय वर्ष में किसी व्यक्ति की सकल वार्षिक आय नई कर व्यवस्था के तहत 2,50,000 रुपए से अधिक है, तो कर नियमों के अनुसार कर विवरणी जमा करना आवश्यक है। सकल वार्षिक आय में वेतन, अचल संपत्ति, पूंजीगत लाभ आदि सहित विभिन्न स्रोतों से आय शामिल है। पुरानी व्यवस्था के तहत छूट की सीमा रुपए थी। 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए 2.5 लाख रुपए, 60 वर्ष से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए 3 लाख रुपए और 80 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए 5 लाख, (वरिष्ठ नागरिक) यदि किसी वित्तीय वर्ष में बैंक खाते में नकद जमा और निकासी 10 लाख से अधिक है, और रुपए चालू खाते में 50 लाख, तो आईटी रिटर्न में निर्दिष्ट करना अनिवार्य है। अगर आपका टीडीएस या टीसीएस 25,000 रुपए या उससे ज्यादा है, तो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा। वरिष्ठ नागरिकों की दशा में ये राशि 50000 रुपए होगी।