गोरखपुर (ब्यूरो)। कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या रामगढ़ताल एरिया के होटल में करने का आरोप इंस्पेक्टर सहित छह पुलिस कर्मचारियों पर लगा है। एसआईटी और गोरखपुर पुलिस ने सभी को अरेस्ट करके जेल भेज दिया है। इसके अलावा कोतवाली एरिया में जिला अस्पताल महिला कर्मचारी की मौत के मामले में भी दरोगा जेल में बंद है। सभी बंदियों को नेहरू बैरक में रखा गया है।

हर गतिविधि पर नजर

जेल में बंद पुलिस कर्मचारियों ने थाने और चौकियों पर तैनाती के दौरान कई बदमाशों को जेल में बंद किया है। इनमें ज्यादातर बंद हैं। इसलिए सभी पुलिस कर्मचारियों की सुरक्षा का ध्यान देते हुए उनको अलग बैरक में निरुद्ध किया गया है। इसके अलावा करीब सौ कुख्यात भी जेल में बंद हैं। जेल में गुटबाजी और बंदियों की अन्य हरकतों को देखते हुए सुरक्षा निहायत ही जरूरी है।

2019 के बवाल में टूट गए थे कैमरे

वर्ष 2019 में जेल के भीतर बंदियों ने जमकर उत्पात मचाया था। जेल के पीसीओ, सीसीटीवी कैमरों सहित अन्य प्रापर्टी को काफी नुकसान पहुंचाया। एक बंदी की मौत के बाद आक्रोशित हुए बंदियों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही, उपेक्षा का आरोप लगाते हुए तोडफ़ोड़ की थी। गोरखपुर जेल में कुल 826 बंदियों की क्षमता है। लेकिन यहां करीब 1950 बंदी निरुद्ध किए गए हैं।

24 घंटे जेल की निगरानी की जा रही है। इलेक्ट्रानिक सर्विलांस के जरिए पूरी जेल की मानीटरिंग होती है। इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिए गेट से लेकर बैरक का हाल देखा जा रहा है। जल्द ही कैमरों की तादाद बढ़ाई जाएगी।

प्रेम सागर शुक्ला, जेलर