- शाहिदाबाद हुमायूंपुर उत्तरी में जलसा

GORAKHPUR: शाहिदाबाद हुमायूंपुर उत्तरी में जलसा-ए-गौसुलवरा हुआ। हजरत सैयदना शेख अब्दुल कादिर जीलानी व हजरत सूफी मुफ्ती मो। निजामुद्दीन कादरी अलैहिर्रहमां को शिद्दत से याद किया गया। संचालन हाफिज अजीम अहमद नूरी ने किया। मुख्य वक्ता मौलाना तफज्जुल हुसैन रजवी ने कहा कि पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद साहब के बाद इंसानों की हिदायत के लिए अल्लाह ने पैगंबर-ए-आजम का नायब औलिया व उलेमा को बनाया। जिनके जरिए इंसानों की हिदायत का काम हो रहा है। पैगंबर-ए-आजम अल्लाह की अता से अपने चाहने वालों का दरुदो-सलाम सुनते हैं। फरियादियों की फरियाद भी सुनते हैं और अल्लाह की दी हुई ताकत से उनके दुख-दर्द दूर करते हैं। पैगंबर-ए-आजम कयामत में गुनाहगार उम्मतियों की शफाअत करेंगे। हमें पैगंबर-ए-आजम पर कसरत से दरुदो-सलाम का नजराना पेश करना चाहिए। अल्लाह ने अपनी जात के बाद हर खूबी और कमाल का जामे पैगंबर-ए-आजम को बनाया। अल्लाह ने अपने तमाम खजानों की कुंजियां पैगंबर-ए-आजम को अता फरमा दीं। दीन व दुनिया की तमाम नेमतों का देने वाला अल्लाह है और बांटने वाले पैगंबर-ए-आजम हैं।

किसी की दुआ रद्द नहीं

विशिष्ट वक्ता कारी आबिद अली निजामी ने कहा कि अल्लाह के महबूब बंदों (औलिया-ए-किराम) से मोहब्बत इसीलिए की जाती है कि वो अल्लाह के महबूब हैं, तो उनसे मोहब्बत करना हकीकत में अल्लाह ही से मोहब्बत करना है। औलिया-ए-किराम ने अल्लाह से मोहब्बत की है इसलिए अल्लाह ने अपने इन महबूबों की मोहब्बत को अपने बंदों के दिलों में डाल दी है। जहां किसी अल्लाह के महबूब बंदे का जिक्र होता है वहां पर अल्लाह की रहमत नाजिल होती है। अल्लाह अपने महबूब बंदों की किसी भी दुआ को रद्द नहीं फरमाता। हम औलिया-ए-किराम को अल्लाह का महबूब बंदा मानते हैं और ये अकीदा रखते हैं की अल्लाह इनकी दुआओं को कभी रद्द नही करता, तो अगर ये हमारे हक़ में अल्लाह की बारगाह में दुआ कर दें तो हमारा भी भला हो जाएगा। आखिर में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती की दुआ मांगी गई। जलसे में हाफिज आरिफ रजा, हिमायतुल्लाह, लाडले, इम्तियाज, हैदर अली, जलालुद्दीन, बरकत हुसैन आदि मौजूद रहे।