प्रॉडक्ट के साथ इंडिया में आया वेस्टर्न कल्चर

- ग्लोबलाइजेशन की चुनौतियों पर हुआ डिस्कशन

- डीवीएनपीजी कॉलेज में महंत दिग्विजयनाथ स्मृति लेक्चर सीरीज हुई ऑर्गेनाइज

GORAKHPUR : बीसवीं सदी के आखिरी दशक से ग्लोबलाइजेशन की प्रॉसेस स्टार्ट हुई। क् जनवरी क्99भ् को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई, उसमें न चाहते हुए भी इंडिया को इस प्रॉसेस का पार्ट बनना पड़ा। यही वजह रही कि विश्व व्यापार के लिए इंडिया को अपने दरवाजे खोलने पड़े। भारत जैसे विकासशील देशों के पास यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशों को बेचने के लिए वस्तुएं कम हैं, लेकिन विकसित देशों की कम्पनियां इंडिया के गांव में रहने वाले लोगों के लिए अपना प्रॉडक्ट बनाने और बेचने लगीं। यह क्0 से क्ख् साल का ही रिजल्ट है कि इंडियन मार्केट में न सिर्फ विदेशी प्रॉडक्ट बल्कि वेस्टर्न कल्चर भी पूरी तरह से हावी हो गया है। विदेशी कंपनियां अपने मूल्यों और संस्कृति को भी इन्हीं के सहारे इंडिया में लेकर आई। यह बातें इविंग क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद के इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर डॉ। विवेक निगम ने कहीं। वह राष्ट्र संत दिग्विजयनाथ स्मृति लेक्चर सीरीज के पांचवें दिन कॉमर्स फैकेल्टी की ओर से ऑर्गेनाइज लेक्चर में की-नोट स्पीकर के तौर पर मौजूद थे।

देश की तरक्की ग्लोबलाइजेशन पर डिपेंड

वैश्वीकरण की चुनौतियां, आम जनता की भूमिका' टॉपिक पर ऑर्गेनाइज इस सेमिनार के दौरान डॉ। निगम ने बताया कि ग्लोबलाइजेशन की प्रॉसेस को जितने ही सहज रूप में अपनाया जायेगा उतना ही देश तरक्की करेगा, जिसका लाभ आने वाली पीढि़यां निश्चित ही उठाएंगी। प्रोग्राम की अध्यक्षता प्रिंसिपल डॉ। शेर बहादुर सिंह ने की। कोऑर्डिनेटर डॉ। शैलन्द्र ने गेस्ट का वेलकम किया। डॉ। नीरज सिंह ने आभार ज्ञापन किया। प्रोग्राम का संचालन डॉ। संजय कुमार त्रिपाठी ने किया। प्रोग्राम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इसमें डॉ। राजशरण शाही, डॉ। धीरेन्द्र सिंह, डॉ। सत्यपाल सिंह, डॉ। संजीव कुमार सिंह, डॉ। चंडी प्रसाद पाण्डेय, डॉ। अमरनाथ तिवारी और कुलदीप शाही सहित कॉमर्स फैकेल्टी के सभी स्टूडेंट्स मौजूद रहे।