- बीआरडी मेडिकल कॉलेज और रेलवे हॉस्पिटल में एडमिट पेशेंट्स के इलाज के दौरान सामने आई बात

- सांस फूलने वाले पेशेंट्स की अलग से कराई गई थी जांच

GORAKHPUR: गोरखपुर में कोरोना पॉजिटिव पाए गए लोगों के लंग्स और लीवर इफेक्टेड हो रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज और रेलवे हॉस्पिटल में एडमिट कोरोना पेशेंट्स के इलाज के दौरान ये बात सामने आई है। एक्स-रे रिपोर्ट में पता चला है कि इन लोगों के न सिर्फ लंग्स इफेक्टेड हैं बल्कि लंग्स में स्पॉट पड़ चुके हैं। यही नहीं इन लोगों की इम्युनिटी पावर भी कम हो रही है। साथ-साथ लीवर, इंटेस्टाइन समेत डायजेस्टिव सिस्टम भी वीक हो रहा है। इसका नतीजा यह है कि पेशेंट्स को पेट दर्द, दस्त, भोजन में स्वाद का पता न चलने जैसी समस्याएं भी आ रही हैं। हालांकि डॉक्टर्स भी इस पर रिसर्च करने की बात कर रहे हैं।

67 पेशेंट्स के लंग्स में डार्क स्पॉट

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आईसोलेशन वार्ड व रेलवे हॉस्पिटल के आईसोलेशन वार्ड में कुल 85 कोरोना पेशेंट्स का इलाज रहा है। यहां से 45 पेशेंट्स स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। इसके अलावा देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीर नगर जिले के भी मरीज एडमिट हो चुके हैं। पेशेंट्स की एक्स-रे रिपोर्ट डॉक्टरों को हैरान कर रही है। एक्सरे में 90 प्रतिशत पेशेंट्स के लंग्स बीमार मिले हैं। बताया जा रहा है कि 152 पेशेंट्स में 67 के लंग्स में डार्क स्पॉट दिखाई दिया है। यह स्पॉट निमोनिया संक्रमण के कारण होते हैं। इसके बाद भी मरीजों में सांस फूलने, सांस लेने में तकलीफ जैसी कोई समस्या नहीं है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती 38 पेशेंट्स के लंग्स में एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) की पहचान की गई है। इनकी सांस फूल रही थी। इनमें से 8 मरीजों को ही वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी। आईसीयू में भर्ती 30 मरीज बगैर ऑक्सीजन के ही ठीक हो गए। सामान्य दवाओं से उनके सांस फूलने की समस्या दूर हो गई।

कोरोना पेशेंट्स के इलाज में सामने आईं बातें

- कोरोना वायरस मरीजों की सांसों पर ही नहीं, बल्कि यह उनकी भूख पर भी असर डाल रहा है।

- यह इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) घट जाने के साथ-साथ लीवर, इंटेस्टाइन सहित डाइजेस्टिव सिस्टम की प्रोसेस को वीक कर रहा है।

- इसका नतीजा यह है कि मरीजों को पेट दर्द, दस्त, भोजन में स्वाद का पता न चलने जैसी समस्याएं आ रही हैं।

- वायरस की वजह से गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक बिगड़ रहा है और लोगों के पाचन तंत्र पर इसका असर पड़ रहा है।

- ऐसे मरीजों की संख्या 10-15 प्रतिशत है।

- यह मरीज ऐसे हैं, जिनके लीवर को वायरस कमजोर कर रहा है।

वर्जन

अगर किसी को इस वक्त फीवर के साथ दस्त हो रहा हो, खाने में स्वाद का पता न चल रहा हो, कब्जियत हो या फिर पेट में लगातार दर्द हो तो ऐसे लोग तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। क्योंकि अब तक मिले कोरोना के केस में इस तरह के लक्षण कई मरीजों में मिल चुके हैं।

डॉ। अश्वनी मिश्रा, एचओडी, चेस्ट डिपार्टमेंट, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

कोरोना वायरस अभी एक पहेली बना हुआ है। अभी रिसर्च चल रही है। कोरोना संक्रमित मरीजों में एक के बाद एक नई थ्योरी आ रही है। मरीजों की एक्सरे रिपोर्ट के जरिए भी इस वायरस पर रिसर्च हो सकता है। इसको देखते हुए मरीजों के वार्ड में भर्ती होने और डिस्चार्ज होने के समय एक्स-रे जांच कराई जा रही है। भर्ती व डिस्चार्ज के दौरान हुए एक्सरे में अंतर साफ है।

डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज