- आज से शुरू हो जाएगा मगफिरत का अशरा

- मुकद्दस रमजान में जारी रहा इबादत व तिलावत का सिलसिला

GORAKHPUR: माह-ए-रमजान में रहमत का अशरा जारी है। शुक्रवार की शाम से मगफिरत का अशरा शुरू हो जाएगा। रमजान के मुकद्दस मौके पर मौलाना इम्तियाज अहमद ने कहा कि जिस्म और रूह से मिलकर इंसान बना है। यूं तो साल भर इंसान खाना-पीना और जिस्मानी व दुनियावी जरूरतों का ख्याल रखता है, लेकिन मिट्टी के बने इंसान में असल चीज तो उसकी रूह होती है अल्लाह ने रूह की तरबियत और पाकीजगी के लिए मुकद्दस रमजान बनाया है। आज हम एक ऐसे दौर से गुजर रहें हैं जहां इंसानियत दम तोड़ती नजर आ रही है और खुदगर्जी हावी हो रही है। ऐसे में मुकद्दस रमजान का महीना इंसान को अपने आप के अंदर झांकने और खुद की खामियों को दूर कर नेक राह पर चलने का मौका देता है।

सब्र का महीना है रमजान

मौलाना तफज्जुल हुसैन ने कहा कि पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने मुख्तलिफ मौकों पर रमजानुल मुबारक की फजीलत बयान फरमायी है और इसकी अजमत और अहमियत दिलों में बिठायी है। आपने फरमाया है कि यह महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। यह हमदर्दी व गम ख्वारी का महीना है। फिर फरमाया यह ऐसा महीना है जिसमें मोमिन का रिज्क बढ़ा दिया जाता है। रमजान के महीने में की गई इबादत व नेकी का सवाब कई गुना हो जाता है।

शुरू हुई ईद की खरीदारी

मुकद्दस रमजान का नौवां रोजा बंदों ने सुब्हानअल्लाह, अलहम्दुलिल्लाह, अल्लाहु अकबर का विर्द करते हुए गुजारा। दुआ में हाथ उठा तो दिल से यही सदा निकली 'या इलाही हर जगह तेरी अता का साथ हो, जब पड़े मुश्किल शहे मुश्किल कुशा का साथ हो'। तरावीह की नमाज जारी है। बाजार में चहल-पहल बढ़ गई है। ईद के लिए कपड़ों की खरीदारी शुरु हो गई है। भोर में रोजेदारों को मौसम ने थोड़ी राहत दी। हालांकि दिन में धूप तेज रही है। घरों व मस्जिदों में कुरआन-ए-पाक पढ़ा जा रहा है। आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम, आपके घर वालों व आपके साथियों पर दरूदो-सलाम का नजराना पेश किया जा रहा है। महिलाएं इबादत में मशगूल हैं। इफ्तार-सहरी में दस्तरख्वान बेहतरीन खानों से सजा नजर आ रहा है। मस्जिदों में नमाज कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अदा की जा रही है। मस्जिद में घरों से आने वाली इफ्तारी से मुसाफिर, जरूरतमंद व अन्य लोग रोजा खोल रहे हैं।