GORAKHPUR: पिछले चार सालों से 15 जनवरी को मनाए जाने वाली मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार, 14 जनवरी को दोपहर 2:37 बजे सूर्य का प्रवेश अपने पुत्र शनि के मकर राशि में हो रहा है। धर्मशास्त्र के अनुसार यदि दिन में सूर्य का संक्रमण होता है तो संक्रांति का पुण्य काम उसी दिन रहता है। वहीं इस वर्ष श्रवण नक्षत्र में मकर संक्रांति हो रही है। इससे महंगाई पर नियंत्रण करने के प्रयास को गति प्राप्त होती।

सूर्य साधना का दिन है मकर संक्रांति

पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, मकर संक्रांति सूर्य भगवान का अति प्रिय महापर्व है। सूर्य की साधना से त्रिदेवों की साधना का फल प्राप्त होता है। ज्ञान-विज्ञान, द्विता, यश, सम्मान, आर्थिक समृद्वि सूर्य से ही प्राप्त होते हैं। सूर्य इस ग्रह मंडल के स्वाती हैं। ऐसे में सूर्य की उपासना से समस्त ग्रहों का कुप्रभाव समाप्त होने लगता है। इस दिन कलश या तांबे के लोटे में पवित्र जल भरकर उसमें चंदन, अक्षत और लाल फूल छोड़कर दोनों हाथों को ऊंचा उठाकर जल अर्पण करें। इस दिन सूर्य से संबंधित स्तोत्र, कवच, सहस्त्र नाम, द्वादश नाम, सूर्य चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए।

मकर संक्रांति का महत्व

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, सूर्य प्रत्येक मास में एक राशि पर भ्रमण करते हुए 12 माह में सभी 12 राशियों का भ्रमण कर लेते हैं। फलत: प्रत्येक माह की एक संक्रांति होती है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। इसका महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। उत्तरायण काल को ही प्राचीन ऋषियों ने साधनाओं को सिद्धिकाल व पुण्यकाल माना है। मकर संक्रांति सूर्य उपासना का महापर्व है। मकर से मिथुन तक की छह राशियां में छह महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं। तथा कर्क से धनु तक की छह राशियों में छह महीने तक सूर्य दक्षिणायन रहते हैं। कर्क से मकर की ओर सूर्य का जाना दक्षिणायन तथा मकर से कर्क की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है।