गोरखपुर (ब्यूरो)। कानपुर के कारोबारी मनीष हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त जगत नारायण सिंह और अक्षय मिश्रा आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में आ गए। रविवार को रामगढ़ताल एरिया से पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया। जेएन सिंह और अक्षय मिश्रा को रामगढ़ताल थाने में ले जाया गया है। जहां एसआईटी ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी है। एसएसपी ने गिरफ्तारी की पुष्टि भी की है। प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की गोरखपुर के होटल में हुई मौत के मामले में निलंबित और उसके बाद फरार चल रहे सभी पुलिस कर्मियों को पकड़ने के लिए बीते शनिवार को ही इनाम की राशि 25 हजार से बढ़ाकर 1-1 लाख रुपए कर दिया गया था। इस मामले में 6 पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया है।

टाइमलाइन

27 सितंबर को मनीष गुप्ता अपने साथियों संग गोरखपुर आए थे।

- दोस्त प्रदीप सिंह और हरवीर सिंह के साथ रामगढ़ताल के होटल कृष्णा पैलेस में ठहरे।

- रात करीब साढ़े 12 बजे एसएचओ जेएन सिंह, एसआई अक्षय कुमार मिश्रा, एसआई विजय यादव और तीन अन्य के साथ होटल की चेकिंग करने पहुंचे।

- आरोप है कि चेकिंग के दौरान पुलिस कर्मचारियों की पिटाई से मनीष गुप्ता की मौत हो गई।

- इस प्रकरण में जेएन सिंह, अक्षय मिश्रा और विजय यादव के खिलाफ नामजद और तीन अज्ञात के खिलाफ मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने मुकदमा दर्ज कराया।

- 02 अक्टूबर को कानपुर की एसआईटी गोरखपुर पहुंची। घटनास्थल से लेकर टीम सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है। मंगलवार को चौथे दिन भी एसआईटी की छानबीन जारी रही।

वीडियो कॉल पर दोस्तों का बयान- पीटकर पुलिस ने ले ली जान

होटल में हुई घटना की सूचना पाकर गोरखपुर निवासी चंदन सैनी अपने अन्य साथियों संग पहुंचे थे। जबकि मनीष के साथ हरियाणा के प्रदीप और हरवीर आए थे। मंगलवार को एसआईटी ने चंदन सैनी, हरदीप और प्रदीप से वीडियो कॉलिंग के जरिए बातचीत करते हुए बयान दर्ज किया। होटल के कमरे में आने से पूर्व से लेकर घटना होने तक, रात में पुलिस की चेकिंग से लेकर मेडिकल कॉलेज उपचार के लिए ले जाने और उसके बाद की पुलिस कार्रवाई के बारे में एसआईटी ने जानकारी ली। इस दौरान हरदीप और प्रदीप ने सिलसिलेवार जानकारी दी। मनीष मर्डर कांड की कहानी बताते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए। दोनों ने कहा, पुलिस ने उनके साथ ज्यादती की। उनके दोस्त की पीटकर जान ले ली।

जिला अस्पताल पर नहीं था भरोसा, उठाकर ले गए नर्सिंग होम

मनीष मर्डर कांड में पुलिस पर आरोपों की कहानी परत-दर-परत खुलती जा रही है। 27 सितंबर की रात 12 बजे के बाद होटल में चेकिंग के दौरान मनीष के साथ घटना हुई। पुलिस ने दावा किया बेड पर सो रहे मनीष हड़बड़ाकर उठे, जिससे वह फर्श पर गिर गए। आंख के पास चोट लगने से अधिक खून बहने से उनकी हालत बिगड़ गई। उनको अस्पताल ले जाया गया। लेकिन मौत हो गई। जबकि घटना के बाद से ही मनीष के दोस्त रात में चेकिंग पर आपत्ति जताने को लेकर पुलिस पर पिटाई का आरोप लगातार लगाते रहे। एसआईटी की जांच में भी पुलिस की पिटाई की बात सामने आई है। एक सवाल यह भी उठा है कि यदि मनीष दुर्घटना के शिकार हुए तो पुलिस उनको जिला अस्पताल क्यों नहीं ले गई। नर्सिंग होम के बजाय उनको सीधे जिला अस्पताल ले जाया जा सकता था। लेकिन पुलिस घायल को लेकर फलमंडी पुलिस चौकी क्षेत्र स्थित नर्सिंग पर गई। इससे साफ हो गया कि किसी गड़बड़ी को छिपाने के लिए मनीष को नर्सिंग ले जाया गया। लेकिन वहां डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज ले जाने की सलाह दी। हालांकि पुलिस मनीष को लेकर इधर-उधर भटकती रही। कहीं बात न बनने पर मेडिकल कॉलेज ले गए।

हड़बड़ाकर मुंह बल बिस्तर से गिरे

थाने की जीडी में किया दर्ज, हड़बड़ाकर मुंह बल बिस्तर से गिरे थे मनीष होटल के कमरे में पुलिस ने मनीष की पिटाई की थी। चेहरे के पास मुक्का मारने से अंगूठी जैसी किसी वस्तु से उनकी बाईं आंख में चोट लगी जिससे ब्लीडिंग शुरू हो गई। अधिक खून बहने से उनकी जान चली गई। घटना के बाद घायल को लेकर पुलिस फलमंडी के पास नर्सिंग होम में ले गई। रात में दो बजे के बाद मनीष को मृत दशा में मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। यह बात अभी तक की जांच में सामने आई थी। लेकिन इसके इतर एसएचओ जेएन सिंह का एक झूठ सामने आया है। एसआईटी की जांच में मालूम हुआ है कि घटना के बाद थाना के रोजनामचा से कोई कहानी मेल नहीं खा रही है। एसएचओ की तरफ से जीडी में दर्ज कराया गया है कि वह जांच करने होटल में गए। उनके साथ हमराही और एसआई अक्षय मिश्रा थे। चेकिंग के दौरान मनीष हड़बड़ाकर मुंह के बल बिस्तर से गिर गए। चोट लगने पर उनको जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों के रेफर करने पर मेडिकल कॉलेज गए। वहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। जीडी में कब किसे होटल और मेडिकल कॉलेज बुलाया गया। इसका जिक्र करते हुए भी यह दर्ज किया गया है कि रात में जागने से एसएचओ जेएन सिंह और एसआई अक्षय मिश्रा की तबीयत खराब हो गई थी। इसलिए परिजनों के आने पर दोनों थाने पहुंचे। इसके बाद सरकारी असलहा जमा कराकर उपचार कराने चले गए।

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