- चौथी मोहर्रम को बसंतपुर से निकाला गया मातमी जुलूस

- जंजीर और कमा के मातम को देखने के लिए उमड़े लोग

GORAKHPUR : जिस्म से लहू टपक रहा था, पर किसे फिक्र थी। जुबां पर सिर्फ 'या हुसैन', 'या अब्बास' के नारे से जिससे सारी फिजा गूंज रही थी। सदा जैसे-जैसे बुलंद हो रही थी, जंजीर और कमा (छोटा चाकू) उतनी ही तेजी से जिस्म पर गिर रहे थें। नौजवान तो थे ही वहीं छोटे बच्चों की आंखों में भी जुनून नजर आया। मौका था अंजुमन हुसैनिया गोरखपुर की ओर से मोहर्रम की चौथी तारीख पर निकाले गए मातमी जुलूस का, जिसमें कर्बला के शहीदों को याद किया गया।

72 साथियों की हुई थी कुर्बानी

यह जुलूस 61वीं हिजरी में हजरत इमाम हुसैन के 72 साथियों की कुर्बानी की याद में हर साल निकाला गया। इस बार भी यह जूलूस उसी शान-व-शौकत से साथ निकाला गया। अंजुमन हुसैनिया के अध्यक्ष सिब्ते हुसैन रिजवी ने बताया कि दोपहर 1 बजे यह जुलूस बसंतपुर स्थित मोहम्मद मेहंदी एडवोकेट के घर से शुरू हुआ, जिसमें मौजूद सदस्यों ने नौहाख्वानी और सीनाजनी की। यह मातमी जुलूस हालसीगंज, घंटाघर, उर्दू बाजार, रेती चौक होते हुए गीताप्रेस स्थित इमामबाड़ा आगा साहेबान पर खत्म हुआ।

जंजीरी और कमा से हुआ मातम

एक तरफ जहां फिजाओं में या हुसैन और या अब्बास के नारे गूंज रहे थे, वहीं दूसरी ओर सीनाजनी और जंजीरों की भी गूंज भी उसमें शामिल थी। छोटे से लेकर बड़े तक सभी के हाथों में जंजीर थी, जिनके कोने पर धारदार चाकुओं का गुच्छा लगा हुआ था। इससे मातम करते हुए वह जहां से गुजरे, सड़के सुर्ख नजर आने लगीं। मातमी जुलूस में रफत अब्बास, अफरोज आलम, तकी रिजवी, सैयद सिब्ते हसन रिजवी, एजाज रिजवी, अलमदार हुसैन रिजवी, सैफ हसन, अशफाक हैदर, नायाब हैदर, समेत बड़ी तादाद में लोगों ने मातम किया।